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दो लाख की आबादी को एक एंबुलेंस तक नसीब नहीं

करमाटांड़ (जामताड़ा) सरकार स्वास्थ्य विभाग को हाईटेक बनाने की बात करती है लेकिन जमी

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 06:37 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 06:37 PM (IST)
दो लाख की आबादी को एक एंबुलेंस तक नसीब नहीं
दो लाख की आबादी को एक एंबुलेंस तक नसीब नहीं

करमाटांड़ (जामताड़ा): सरकार स्वास्थ्य विभाग को हाईटेक बनाने की बात करती है, लेकिन जमीन पर सरकारी अस्पतालों का हाल काफी बेहाल है। करमाटांड़ स्वास्थ्य केंद्र में डाक्टर की व्यवस्था नहीं है। एक डाक्टर वह भी प्रतिनियुक्ति पर। उन्हें अतिरिक्त प्रभार के रूप में तीन दिन के लिए भेजा जाता है। महिला डाक्टर की व्यवस्था नहीं होने से समस्या और भी गंभीर हो जाती है जिसके कारण लोगों को इलाज के लिए अन्य जिले की ओर जाना पड़ता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की एंबुलेंस महीनों से खराब पड़ी है। इसे बनाने के लिए ना तो विभाग से कोई पहल शुरू हुई है और ना ही अतिरिक्त सेवा की व्यवस्था की जा रही है। मरीजों को निजी वाहनों के सहारे ले जाया जाता है जिससे उसे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी तो निजी वाहन मरीजों को ले जाने में लंबे जाम में भी फंस जाते हैं क्योंकि किसे पता है कि निजी वाहन के अंदर मरीज हैं। विडंबना है कि प्रखंड की दो लाख की आबादी के लिए एक एंबुलेंस की व्यवस्था तक नहीं है।

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सीमावर्ती क्षेत्र देवघर जिले के लोग भी यहां से स्वास्थ्य लाभ लेते हैं। यह स्वास्थ्य केंद्र करमाटांड़ बाजार के आधा किलोमीटर के समीप स्थित है। ऐसे में वाहन दुर्घटना से ग्रसित लोग भी यहां स्वास्थ्य लाभ के लिए आते हैं। विद्यासागर रेलवे स्टेशन के समीप स्थित होने के कारण रेलवे ट्रैक पर दुर्घटना होने पर भी इलाज के लिए लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ही लाया जाता है। ऐसे में जख्मी मरीजों के बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल ले जाने में भी समस्याएं रोज सामने आती हैं। इलाके के लोग समस्या की शिकायत कई बार जनप्रतिनिधि व जिला प्रशासन से कर चुके हैं, परंतु इस मामले में किसी तरह की पहल नहीं हुई। केंद्र के कर्मी भी एंबुलेंस की कमी की सूचना अपने अधिकारी को दे चुके हैं, लेकिन विभाग की तंद्रा भंग नहीं होती। कोरोना की तीसरी लहर आने को है। स्वास्थ्य विभाग पुख्ता तैयारी का दावा करता है पर यहां एंबुलेंस ही नहीं है। दावा का सच इसी से उजागर होता है।

---कोविड अस्पताल चली गई 108 एंबुलेंस : भाजपा सरकार के कार्यकाल में 108 एंबुलेंस की सुविधा इस केंद्र को मिली थी। कोरोना की आफत आई तो एंबुलेंस जिला मुख्यालय के कोविड अस्पताल में खिच ली गई। जबकि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में विधायक रणधीर कुमार सिंह ने एक एंबुलेंस दी थी। कुछ खर्च चालक की कमी के कारण आज एंबुलेंस स्वास्थ्य केंद्र के समीप शोभा की वस्तु बनी हुई है।

एक नजर : करमाटांड़ प्रखंड की 18 पंचायतों में उप स्वास्थ्य कें द्र की व्यवस्था की गई है। परंतु ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ नहीं मिल पाता। विभाग के कागजों में केवल भवन बनना ही शायद लिखा था। करमाटांड़ प्रखंड का निर्माण जिस उद्देश्य से किया गया वह अब तक पूरा नहीं हो पाया। शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग का काम अब भी जिला मुख्यालय व बगल के प्रखंड मुख्यालय से होता है। इसलिए क्योंकि इन दोनों विभाग की पंजी में आज तक करमाटांड़ प्रखंड नहीं है। प्रखंड का निर्माण स्वास्थ्य और शिक्षा के नाम पर केवल खानापूर्ति है। 12 पंचायत का कार्य जामताड़ा जिला से व छह पंचायत का कार्य नारायणपुर प्रखंड से संचालित होता है। ऐसे में शिक्षकों को कभी जामताड़ा तो कभी नारायणपुर के लिए भागना पड़ता है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के लिए भी लोगों को जानकारी प्राप्त करने के लिए जामताड़ा तो कभी नारायणपुर का चक्कर काटना पड़ता है।

यूपीए की सरकार झारखंड में जब से बनी है स्वास्थ्य विभाग केवल लूट-खसौट का जरिया बन गया है। जनता को सुविधा देने के नाम पर केवल लंबी चौड़ी बातें होती है। धरातल पर कुछ भी नहीं है। करमाटांड़ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उसी का एक उदाहरण है। जहां पर ना तो चिकित्सक हैं ना तो सरकारी सुविधाएं। 24 घंटे सात दिन की सुविधा देने की बातें खूब होती हैं पर एक एंबुलेंस तक नहीं है। समय पर ना तो डाक्टर मिलेंगे ना दवाइयां। गरीबों को दर-दर भटकना पड़ता है। ग्रामीण झोलाछाप डाक्टरों के चंगुल में आकर अपनी जान भी गंवाते हैं।

---विनोद मंडल, समाजसेवी।

--- करमाटांड़ प्रखंड ग्रामीण बहुल क्षेत्र है। ऐसे में यहां के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। कई बार विभाग व अधिकारियों से स्वास्थ्य केंद्र को सुधारने की बात की गई पर कोई ध्यान नहीं देते। नतीजतन आज ग्रामीणों को अन्य जिले की ओर इलाज के लिए जाना पड़ता है। जब एक एंबुलेंस तक नहीं है तो विभाग की गंभीरता का खुद अंदाजा लगाया जा सकता। एंबुलेंस की कमी रोज खलती है। एक थी तो उसे मुख्यालय खिच लिया गया। दूसरी एंबुलेंस जर्जर पड़ी है।

---ममता कोल, प्रमुख।


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