प्रखंड का इकलौता स्टेडियम तबेला बना
नारायणपुर (जामताड़ा) 10 वर्ष पूर्व प्रखंड के बथनबारी में 88 लाख रुपये की लागत से बना स्टेडियम खिलाड़ियों के लिए अनुपयोगी साबित हो रहा है। प्रखंड मुख्यालय से काफी दूर बने रहने के कारण यहां खिलाड़ी पहुंचते भी नहीं और न खेल विभाग यहां खेल आयोजन करवाने में दिलचस्पी दिखा रहा है। वीरान जगह पर बने स्टेडियम की चमक रख-रखाव के अभाव में धूमिल हो रही है। स्टेडियम के खिड़की-दरवाजे सब गायब हो गए हैं।
नारायणपुर (जामताड़ा) : 10 वर्ष पूर्व प्रखंड के बथनबारी में 88 लाख रुपये की लागत से बना स्टेडियम खिलाड़ियों के लिए अनुपयोगी साबित हो रहा है। प्रखंड मुख्यालय से काफी दूर बने रहने के कारण यहां खिलाड़ी पहुंचते भी नहीं और न खेल विभाग यहां खेल आयोजन करवाने में दिलचस्पी दिखा रहा है। वीरान जगह पर बने स्टेडियम की चमक रख-रखाव के अभाव में धूमिल हो रही है। स्टेडियम के खिड़की-दरवाजे सब गायब हो गए हैं। दीवार भी एक ओर से गिर गई है।
प्रखंड क्षेत्र में खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए उक्त स्टेडियम का निर्माण करवाया गया था। तब यह लक्ष्य रखा गया था कि यहां पर प्रखंड स्तरीय फुटबॉल, क्रिकेट, कबड्डी आदि प्रतियोगिता की जाएगी। खिलाड़ियों को खेल का अवसर मिलेगा तो प्रतिभा का विकास होगा। परंतु दुर्भाग्य से आज तक एक भी प्रतियोगिता आयोजित नहीं हुई। सुब्रतो कप फुटबॉल टूर्नामेंट समेत अन्य खेलकूद का आयोजन प्रखंड कार्यालय मैदान में ही होता है। इस स्टेडियम में आयेाजन कराने की किसी ने भी नहीं सोची है। थाना क्षेत्र में पिछले एक वर्षो में प्रशासन की ओर से तीन बार जब्त किए गए पशुधन को यहां रखने में स्टेडियम का उपयोग जरूर किया गया। स्टेडियम को महत्व नहीं दिए जाने के कारण खेलकूद प्रतियोगिता नहीं होने से यहां के लोगों को नागवार गुजरने लगा है। स्टेडियम में खेलकूद करवाने में विभाग ने ध्यान दिया और न ही जनप्रतिनिधियों ने कभी दिलचस्पी दिखाई। जबकि जामताड़ा के पूर्व उपायुक्त कृपानंद झा ने विधिवत रूप से स्टेडियम का उद्घाटन किया था। स्टेडियम बनने के समय क्षेत्र के युवाओं को लगा था कि उनके लिए यह वरदान साबित होगा परंतु ऐसा नहीं हो पाया है। नारायणपुर प्रखंड क्षेत्र का यह इकलौता स्टेडियम भी है।
क्या कहते हैं ग्रामीण : स्टेडियम निर्माण के लिए गलत स्थल का चयन कर लिया गया था। स्टेडियम प्रखंड मुख्यालय से पांच किमी की दूरी पर वीरान जगह में बनाया गया। वहां न पानी और न कोई अन्य सुविधा ही उपलब्ध है। गलत स्थान पर स्टेडियम बनने के कारण इसका सदुपयोग नहीं हो पाया है। विभाग को इस ओर पहल करनी चाहिए ताकि स्टेडियम में खेलकूद का आयोजन हो सके।
रंजीत साह, ग्रामीण
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10 वर्ष पूर्व बनाया गया स्टेडियम बेकार ही साबित हुआ है। यहां के जनप्रतिनिधियों व विभागीय अधिकारी स्टेडियम को तवज्जो नहीं दिए। अन्यथा यहां खेलकूद प्रतियोगिता अवश्य होती। स्टेडियम में खेलकूद करवाना जरूरी है। खेल प्रतिभाएं विकसित होती हैं।
डोमन महतो, ग्रामीण
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इतनी बड़ी राशि से बने स्टेडियम बेकार हो जाना दुखद है। सरकार की राशि बेकार हुई है। अब तो इस स्टेडियम के भवनों की खिड़की-दरवाजे भी गायब हो गए। दीवार भी गिर चुकी है। विभाग को अभी खेल आयोजन की पहल करना चाहिए। सरकारी उदासीनता की वजह से यह तबेला बना हुआ है।
रवि रजवार, ग्रामीण
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प्रखंड के लिए यह स्टेडियम बहुत महत्वपूर्ण था। स्टेडियम बन रहा था तो लगा था कि इस के सदुपयोग से क्षेत्र की युवा प्रतिभा निखरेगी। परंतु ऐसा नहीं हो पाया है। प्रशासन को खेलकूद प्रतियोगिता के आयोजन के प्रति गंभीर होना चाहिए। स्टेडियम की मरम्मत सबसे जरूरी है। रूपलाल हेंब्रम, ग्रामीण