दिव्य व आध्यात्मिक है श्री कृष्ण की लीला
बिदापाथर थाना क्षेत्र के बाबूडीह गांव स्थित हरिमंदिर परिसर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमदभागवत कथा सह प्रवचन के पांचवें दिन मंगलवार रात राधाकृष्ण बाबाजी महाराज व अभिजीत बनर्जी महाराज ने कृष्ण के वामन अवतार गंगा देवी की उत्पत्ति परशुराम अवतार भगवान श्रीराम व श्रीकृष्ण के जन्मोत्सवबाललीला का वर्णन किया।
संवाद सूत्र, बिदापाथर (जामताड़ा) : बिदापाथर थाना क्षेत्र के बाबूडीह गांव स्थित हरिमंदिर परिसर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमदभागवत कथा सह प्रवचन के पांचवें दिन मंगलवार रात राधाकृष्ण बाबाजी महाराज व अभिजीत बनर्जी महाराज ने कृष्ण के वामन अवतार , गंगा देवी की उत्पत्ति, परशुराम अवतार, भगवान श्रीराम व श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव,बाललीला का वर्णन किया।
कथावाचक ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का वर्णन करते हुए कहा कि द्वापर युग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज करते थे। उग्रसेन का पुत्र कंस व पुत्री देवकी थीं। देवकी का विवाह वासुदेव से हुआ। जब कंस अपनी बहन देवकी को उसके ससुराल पहुंचाने जा रहा था, तो रास्ते में आकाशवाणी हुई- ' हे कंस, जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से ले जा रहे हो , उसी में तेरा काल बसता है। इसी के गर्भ से उत्पन्न आठवां बालक तेरा वध करेगा। उसके बाद उसने वसुदेव और देवकी को कारागृह में डाल दिया। वासुदेव-देवकी के एक-एक करके सात बच्चे हुए और सातों को जन्म लेते ही कंस ने मार डाला। अब आठवां बच्चा होने वाला था। कारागार में उन पर कड़े पहरे बैठा दिए गए। उसी समय नंद की पत्नी यशोदा को भी बच्चा होने वाला था। वासुदेव-देवकी को पुत्र पैदा हुआ, उसी समय संयोग से यशोदा के गर्भ से एक कन्या का जन्म हुआ, जो और कुछ नहीं सिर्फ माया थी। इधर वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया। कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बाल्यकाल में अनेक लीला की हैं। भगवान श्री कृष्ण ने बाल्यकाल में माखन चोरी ,ऊखल बंधन , यमलार्जुन का उद्धार आदि दिव्य लीला की। श्रीकृष्ण की प्रत्येक लीला दिव्य व आध्यात्मिक था। भागवत कथा सह प्रवचन कार्यक्रम आयोजन होने से क्षेत्र में भक्तिमय माहौल बना हुआ है।