दस दिवसीय रामलीला के दूसरे दिन सीता स्वयंवर का मंचन
विद्यासागर (जामताड़ा) श्रीरामलीला महोत्सव का आयोजन विद्यासागर प्रखंड क्षेत्र के काशीटांड़ गांव में हुआ। 10 दिवसीय रामलीला के दूसरे दिन सीता स्वयंवर का मंचन किया गया। रामलीला देखने के लिए काफी भीड़ उमड़ी थी। ताड़का वध और सीता स्वयंवर का मंचन हुआ।
विद्यासागर (जामताड़ा) : श्रीरामलीला महोत्सव का आयोजन विद्यासागर प्रखंड क्षेत्र के काशीटांड़ गांव में हुआ। 10 दिवसीय रामलीला के दूसरे दिन सीता स्वयंवर का मंचन किया गया। रामलीला देखने के लिए काफी भीड़ उमड़ी थी। ताड़का वध और सीता स्वयंवर का मंचन हुआ। ताड़का ने आए हुए दर्शकों को मुंह से आग निकाल खूब डराया। पुष्प वाटिका का दृश्य दर्शकों को बहुत भाया। स्वयंवर में लक्ष्मण-परशुराम संवाद में दर्शकों ने खूब सराहा। सीता स्वयंवर में कलाकारों ने मंचन के माध्यम से बताया कि सीता मिथिला के राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री थी। इनका विवाह अयोध्या के राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र राम से स्वयंवर में शिवधनुष को भंग करने के उपरांत हुआ था।
कलाकारों ने मंचन के जरिए दिखाया कि सीता के लिए योग्य वर प्राप्त करना कठिन हो गया था अंत में राजा जनक ने सीता का स्वयंवर रचवाया। वरुण देव ने राजा जनक को एक धनुष और बाणों से भरा तरकस दिए थे। उस धनुष को अनेक लोग मिलकर भी हिला नहीं पाते थे। जनक ने घोषणा की कि जो मनुष्य धनुष को उठाकर उसकी प्रत्यंचा चढ़ा देगा, उससे वे सीता का विवाह कर देंगे। महाराजा जनक ने उपस्थित ऋषिमुनियों के आशीर्वाद से स्वयंवर के लिए शिवधनुष उठाने के नियम की घोषणा की। सभा में उपस्थित सभी राजकुमार, राजा व महाराजा धनुष उठाने में विफल रहे। यह देखकर विश्वामित्र ने राम से प्रतियोगिता में हिस्सा लेने को कहा। गुरु की आज्ञा मानते हुए श्रीराम ने अत्यंत सहजता से वह धनुष उठाकर चढ़ाया और मध्य से तोड़ डाला। इस प्रकार स्वयंवर को जीत श्रीराम ने माता सीता से विवाह किया था। शिव नारायण, व्यास हरि महाराज व मैनेजर उमाशंकर सिंह की टीम ने संगीतमय रामलीला का आयोजन किया।