पर्यूषण पर्व के सातवें दिन उत्तम तप धर्म का पालन
मिहिजाम (जामताड़ा) दिगंबर जैन मंदिर में गुरुवार को पर्यूषण पर्व के सातवें दिन उत्तम तप धर्म क
मिहिजाम (जामताड़ा) : दिगंबर जैन मंदिर में गुरुवार को पर्यूषण पर्व के सातवें दिन उत्तम तप धर्म का पालन किया गया। इस दौरान मंदिर परिसर में भगवान पारसनाथ का अभिषेक कर आराधना की गई। जैन समाज के लोगों ने माथे पर भगवान की प्रतिमा लेकर उत्तम तप धर्म का विधि-विधान पूरा किया। बताया गया कि तप से निर्जरा और संवर दोनों होते हैं। तप रसायन है शुद्धि का। जिस तरह अग्नि में तपाकर स्वर्ण का शोधन किया जाता है, उसी प्रकार तप में दग्ध आत्मा कर्मकालिमा से रहित कुंदन सी दमकने लगती है। तप का वर्ण अग्नि माना गया है। अग्नि उर्ध्वगामी रहती है। अत: तपस्वी का जीवन भी उर्ध्वगामी ही रहता है। तप से परिपक्वता आती है। कड़ाही में डाला गया घी, तेल जब तक गरम नहीं होता तब तक पकवान तैयार नहीं हो सकता। फलों को यदि पर्याप्त धूप ना मिले तो उनमें मिठास नहीं आ सकती। तप की महिमा तो इतनी है कि वह पतित को पावन परमात्मा भी बना देता है, तप की महिमा अवर्णनीय है। इस अवसर पर जैन समाज के कई महिला, पुरुष मौजूद थे।