श्रीराम-केवट संवाद मंचन से भावविभोर हुए लोग
श्रीराम केवट संवाद से भाव विभोर हुए लोग
विद्यासागर (जामताड़ा) : प्रखंड क्षेत्र के काशीटांड़ गांव में धर्म प्रचारक मंडल इलाहाबाद प्रयागराज के तत्वावधान में रामलीला महोत्सव का आयोजन किया गया। इस दस दिवसीय रामलीला के चौथे दिन रविवार को केवट मिलन प्रसंग का मंचन किया गया। गंगा तट पर भगवान राम केवट से गंगा पार पहुंचाने का आग्रह करते हैं लेकिन केवट बिना पांव पखारे उन्हें नाव पर बैठाने से इंकार कर देता है। केवट विनम्रता से कहता है लक्ष्मण उन्हें तीर भले ही मार दें लेकिन बिना पाव पखारे तीनों को अपनी नौका पर नहीं बैठाएगा। केवट की प्रेम वाणी सुन श्रीराम लक्ष्मण व सीता की ओर देख हंस पड़ते हैं। केवट भी आज्ञा पाकर कठौती में गंगाजल ले आया। केवट द्वारा प्रभु राम-सीता व लक्ष्मण का पांव पखारते देख देवगण उसके भाग्य को सराहते हैं। देवी गंगा भी श्रीराम का चरण स्पर्श कर प्रसन्न हैं। एक ही पेशे से जुडे़ लोग एक दूसरे से पारिश्रमिक नहीं लेते हैं। नदी पार उतारने पर केवट राम से उतराई लेने से इंकार कर देता है। कहता है कि हे प्रभु एक ही पेशे से जुडे़ लोग एक दूसरे से पारिश्रमिक नहीं लेते हैं। मैने आपको गंगा पार कराया आप अपनी कृपा से मुझे इस संसार रूपी भवसागर से पार उतार दीजिएगा। केवट की ऐसी भक्ति देख लोग भावविभोर हो गए। इस पर लक्ष्मण क्रोधित होते हैं परंतु बाद में प्रभु राम-लक्ष्मण व सीता का पांव पखारने के बाद ही उन्हें नाव से गंगा पार पहुंचाता है। राजा दशरथ के महाप्रायाण प्रसंग भी प्रस्तुत किया गया। प्रसंगानुसार वन में वटवृक्ष के दूध से जटा बनाते श्रीराम को देख मंत्री सुमंत रो पड़े। श्रीराम ने उन्हें सभी धर्मों का ज्ञाता बताते हुए संकट की इस घड़ी में महाराज दशरथ को ढांढस बंधाने का अनुरोध किया। लक्ष्मण द्वारा महाराज दशरथ के प्रति क्रोध प्रकट करने पर श्रीराम उन्हें समझाते हैं। साथ ही सुमंत को भी लक्ष्मण की बातें राजा दशरथ से न कहने के लिए वचनबद्ध करते हैं। सीता अयोध्या वापस जाने की बात को अपने तर्कों से काट मंत्री को निरुत्तर कर देती हैं। कार्यक्रम के संचालक शिव नारायण, व्यास हरि महाराज व मैनेजर उमाशंकर सिंह की टीम ने संगीतमय रामलीला का आयोजन किया। रामलीला से पूरे गांव में भक्ति की अविरल धारा बह रही है लोग देर रात तक रामलीला का आनंद ले रहे हैं।