लॉकडाउन की भेंट चढ़ गया शादी-ब्याह व ईद का बाजार
संवाद सहयोगी जामताड़ा वैश्विक महामारी को लेकर चल रहे देश व्यापी लॉकडाउन के 55 दिन
संवाद सहयोगी, जामताड़ा : वैश्विक महामारी को लेकर चल रहे देश व्यापी लॉकडाउन के 55 दिन से अधिक हो गए। इस बीच बाजार पर व्यापक असर पड़ा है। आवश्यक सेवा को छोड़ शेष व्यापार बंद है। इस बीच जिले में कोरोना के 28 नये मरीज मिलने से बाजार खुलने की जो भी संभावना दिख रही थी उस पर ब्रेक लग गयी है। व्यापारियों को उम्मीद थी कि बाजार खुलेंगे तो बाजार में रौनक आयेगी और दुकान में स्टाफ व अन्य खर्च को पूरा किया जायेगा। लॉकडाउन में जहां मजदूरों व रोज कमाने खाने वाले लोगों को परेशानी हो रही है। वहीं बाजार पर भी काफी असर भी पड़ा है। कपड़ा व्यापारियों के आय की तो कमर ही टूट चुकी है। रेडिमेड कपड़ा का भी यहां अच्छा बाजार चलता है। अब तक ईद से लेकर शादी-ब्याह का बाजार मायूसी में ही बीता। अब शहर में रेडिमेड कपड़ा के दुकानदार उम्मीद लगाये बैठे हैं कि जल्द मार्केट खुले।
फरवरी से जून तक विवाह का सीजन था। जबकि अप्रैल में ईद भी संपन्न हुआ। कपड़ा व्यवसाई उक्त दोनों सीजन के लिए जनवरी माह में ही तैयारी पूरी कर ली थी। मोटी पूंजी लगाकर विभिन्न राज्यों से आकर्षक डिजाइन के कपड़ा स्टॉक किए थे। ताकि शादी विवाह पर खरीदारों की मांग पूरी की जा सके। पर कोरोना संक्रमण ने व्यवसाय बढ़ाने के सारे सपने चकनाचूर कर दिया। ईद की मार्केटिग भी यहां अच्छी होता थी । करोड़ों का कपड़ा का कारोबार होता था पर इस बार पानी फिर गया। शहर में 10 रमजान से चहल पहल शुरूहो जाती है और पूरे रमजान तक बाजार में कपड़ा दुकानों पर रौनक देखते ही बनती थी। बाजार बंद होने से इसमें व्यापारियों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा।
कपड़ा व्यवसायियों को यह भी आफत सहना पड़ा कि दुकानों में काम करने वाले कर्मी को घर बैठाकर पैसा देना पड़ रहा है। बैंक से प्राप्त कर्•ा स्वरूप पूंजी का भी ब्याज चुकाना पड़ रहा है। दुकानदारों की मानें तो लाखों रुपए का नुकसान अब तक हो चुका है। रेडिमेड कपड़ा दुकानदार संजय कुमार ने बताया कि त्योहार के मौके पर बड़े पैमाने पर कपड़ा व रेडिमेड गारमेंट का बाजार होता था। इसकी तैयारी दुकानदार पिछले दिसंबर माह में ही कर लिया था। पर मौके पर इसका लाभ नहीं मिला।
कपड़ा व्यवसाई अजय कुमार ने बताया कि व्यापार बंद है। दुकान में माल खराब हो रहा है। आर्थिक बोझ भी बढ़ता जा रहा है। विष्णु परशुरामका ने कहा कि दुकान में काम करने वाले कर्मी को वेतन घर से देना पड़ रहा है। दुकानदारों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दुकान जल्द खुले तो मार्केट में रौनक लौटेगा। महीना लगते ही कर्मी घर पर वेतन लेने के लिए पहुंच जा रहे हैं। उसकी मांग पूरी भी करनी है। जबकि जबकि दुकान बंद है। चिता बढ़ती जा रही है। फुरकान अंसारी ने कहा कि यह क्षेत्र रमजान के महीने में व्यापार के लिए अच्छा रहता है। लेकिन लॉकडाउन होने से व्यापार पूरी तरह प्रभावित है। बिजली बिल, कर्मचारी को वेतन घर से देना पड़ रहा । इसके बाद भी व्यापारी वर्ग दुकान बंद कर लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं। अब शासन-प्रशासन पर ही भरोसा है कि व्यवसायियों की परेशानी व नुकसान देखकर बाजार हित में निर्णय ले।