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रोहिणी में कम बारिश की भरपाई हुई मृगशिरा नक्षत्र में

संवाद सहयोगी जामताड़ा वैसे तो मानसून आगमन के पहले ही जिले में खरीफ फसल की तैयारी तेज

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Jun 2020 05:01 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jun 2020 05:01 PM (IST)
रोहिणी में कम बारिश की भरपाई हुई मृगशिरा नक्षत्र में
रोहिणी में कम बारिश की भरपाई हुई मृगशिरा नक्षत्र में

संवाद सहयोगी, जामताड़ा : वैसे तो मानसून आगमन के पहले ही जिले में खरीफ फसल की तैयारी तेज हो गई थी। कोई किसान खेतों में रबी फसल के अवशेषों को जलाकर जमीन तैयार कर रहा था तो किसी के खेत में जोताई हो रही थी। जमीन की उर्वरता बढ़ाने के लिए किसान खेतों में गोबर खाद डाल रहे थे। मानसून के दस्तक देते ही जिले में झमाझम बारिश शुरू हो गई जो लगातार छह दिनों तक जारी रही। झमाझम बारिश का लाभ उठाते हुए उत्साहित किसानों ने तैयार खेतों में धान बीज की बुआई शुरू कर दी है। जबकि ऊपरी भूमि में मकई, अरहर आदि के बीज डाले जा रहे हैं। खेतों की जुताई तथा कीटनाशक खाद का छिड़काव किया जा रहा है। आद्रा नक्षत्र में किसानी और जोर पकड़ गई है।

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सुविधा संपन्न किसान ट्रैक्टर व अन्य कृषि यंत्रों का उपयोग कर रहे हैं। गांव में मेड़ बनाने, खेत सफाई का कार्य पखवाड़े भर से शुरू हो चुका है। कई किसान तो खेत में खाद भी डालने लगे हैं। किसानों का कहना था कि पहले बारिश होने का इंतजार था। खेत तैयार होने के बाद अच्छी बारिश होते ही धान रोपने के लिए जुताई की जा रही है। अब इन खेतों में बीज डाला जा रहा है।

इस वर्ष कहीं-कहीं खरीफ फसल की बुआई भी शुरू हो गयी है। जबकि पिछले साल इस समय तक खरीफ फसल की बुवाई की शुरुआत नहीं हो सकी थी। आषाढ़ माह के पहले सप्ताह बारिश नहीं होने से किसान परेशान दिख रहे थे लेकिन अब बारिश होने से किसानों में उत्साह है।

हर साल बढ़ रही लागत : किसानों का कहना है कि ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, थ्रेसर आधुनिक मशीनों के आ जाने से मजदूरों पर निर्भरता काफी हद तक कम हो गई है। खेती करना पहले से सरल जरूर हो गया है, लेकिन लागत भी काफी तक बढ़ गई है। ट्रैक्टर की बहु उपयोगिता ने परंपरागत खेती के ढर्रे को पीछे छोड़ दिया है। 1 से 2 घंटे में काम निप जाता है। यही वजह है कि अनेक लोग इसका उपयोग करने लगे हैं। मानसून प्रवेश के साथ किसानों ने खरीफ फसल के लिए खेतों की सफाई और जुताई शुरू कर दी है। किसान हाफिज अंसारी, राजेश राय, कृष्णा भंडारी आदि का कहना है कि किसान मानसून के साथ जुआ खेलते हैं। मानसून ठीक रहने से खेती अच्छी होती है। शुरू के रोहिणी नक्षत्र में वर्षा नहीं होने से केवल खेत की जुताई ही हुई थी।


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