उद्योगों के निजीकरण के खिलाफ किसान मोर्चा ने किया प्रदर्शन
गांधी मैदान के समीप पार्टी कार्यालय से समूह की शक्ल में कार्यकर्ता एकजुट होकर रेलवे स्टेशन के समीप पहुंचे। प्रदर्शन के बाद हुई सभा में केंद्र सरकार के निजीकरण नीति के खिलाफ नारेबाजी की।
जामताड़ा : उद्योगों के निजीकरण के खिलाफ सोमवार को ट्रेड यूनियंस व किसान मोर्चा के संयुक्त आह्वान पर किसान मोर्चा ने जामताड़ा रेलवे स्टेशन के समीप प्रदर्शन किया। गांधी मैदान के समीप पार्टी कार्यालय से समूह की शक्ल में कार्यकर्ता एकजुट होकर रेलवे स्टेशन के समीप पहुंचे। प्रदर्शन के बाद हुई सभा में केंद्र सरकार के निजीकरण नीति के खिलाफ नारेबाजी की।
झारखंड राज्य किसान सभा के महासचिव सुरजीत सिन्हा ने कहा कि केंद्रीय बजट में सार्वजनिक क्षेत्रों के उद्यमों के निजीकरण की नीति की घोषणा कर दी गई। इसे मीडिया व दक्षिणपंथी अर्थशास्त्रियों ने हाथों-हाथ ले लिया है और कहने लगे कि पीएम मोदी असली आर्थिक सुधार कर रहे हैं। इस नीति से बड़े कारोबारी व वित्तीय सटोरिया काफी खुश हैं। आत्मनिर्भर भारत में नई उद्योग नीति के अनुसार देश के अंतरिक्ष प्रतिरक्षा, परिवहन और दूरसंचार, पावर सेक्टर, पेट्रोलियम तथा कोयला, बैंकिग, बीमा व वित्तीय सेवा को निजीकरण कर दिया जाएगा। सार्वजनिक क्षेत्रों को भी विलय कर दिया जाएगा या उसे बंद कर दिया जाएगा। इसके खिलाफ किसान मजदूरों का यह संयुक्त संघर्ष एक नया विकल्प पेश करेगा। सीटू राज्य कमेटी सदस्य लखन लाल मंडल ने कहा कि सार्वजनिक उद्यमों का निजी करण भारतीय व विदेशी पूंजी के हवाले कर दिया जाएगा। सरकार ने ऐसे उद्योगों को जानबूझकर ऐसी स्थिति में ला खड़ा कर दिया है कि उसके निजी करण को सही ठहराया जा सके। निजी करण के चलते बेरोजगारी में बेतहाशा वृद्धि होगी, लोगों की आमदनी घटेगी तो बाजार में सामान की खरीदारी घटेगी। प्रदर्शन में दुबराज भंडारी, सुजीत माजि, लोकनाथ राणा, सचिन राना, दिप्तीमंडल, अनूप सर्खेल, अरुण राणा, दीपक चटर्जी, हिरवा कोल, साबिर हुसैन, तुलसी महतो, गोविद पंडित आदि कार्यकर्ता थे।