जामताड़ा रेलवे कोयला साइडिग वीरान, मजदूर परेशान
जागरण संवाददाता जामताड़ा जामताड़ा शहर स्थित रेलवे कोयला साइडिग 25 नवंबर से वीरान पड़ा
जागरण संवाददाता, जामताड़ा: जामताड़ा शहर स्थित रेलवे कोयला साइडिग 25 नवंबर से वीरान पड़ा है। कोयले की ढुलाई बंद होने के कारण जहां मजदूर बेरोजगार हो गए हैं, वही साइडिग कर्मियों के पास भी कोई काम नहीं रह गया है। रेलवे साइडिग पर एक पखवारा से कोयले की आवाजाही पूरी तरह से ठप है। सरकार की ओर से रॉयल्टी सुनिश्चित करने को लेकर परिवहन के लिए प्रयोग किए जाने वाले डंपर के लिए वैध कागजात की शर्त के कारण कोयले की ढुलाई चितरा कोलियरी से यहां साइडिग तक ठप है।
क्या है मामला : बीते दिनों अवैध ढंग से संचालित डंपर से कोयला ढुलाई पर प्रशासन ने रोक लगा दी थी। नतीजतन चितरा कोलियरी से रेलवे साइडिग तक कोयले के ढुलाई ठप हो गई। राज्य सरकार जहां कोयला ढुलाई में इस्तेमाल किए जाने वाले सभी डंपर के वैध दस्तावेज की शर्त रखी है। जबकि जामताड़ा से चलने वाले किसी भी डंपर के कागजात दुरुस्त नहीं है। आलम यह है कि डंपर पर प्रतिबंध लगने के बाद से कोयले की ढुलाई पूरी तरह ठप हो गई है।
--राजस्व का नुकसान : ईसीएल चितरा के द्वारा कोयला ढुलाई के लिए संबंधित ट्रांसपोर्टरों पर दबाव बनाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। कोयला की नियमित ढलाई नहीं होने के कारण जहां ईसीएल को करोड़ों का चूना लग रहा है। वही सरकार को भी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
--डंपर मालिक भी है परेशान : सरकार के निर्देश पर प्रशासन की कार्रवाई से डंपर मालिकों की भी नींद उड़ी हुई है। नाम नहीं छापने की शर्त पर डंपर मालिकों ने बताया कि सरकार के नियमानुसार सारे कागजात दुरुस्त करने में उन्हें सालाना 80000 रु खर्च करने होंगे जबकि उसके अनुपात में नियमित कार्य करने के बावजूद भी खर्च की भरपाई नहीं हो सकती है।
--टेंडर की नई प्रक्रिया : चित्रा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिग तक कोयला ढुलाई के लिए दिया गया टेंडर काफी समय पूर्व ही समाप्त हो गया था। नया टेंडर नहीं होने के कारण ईसीएल के पदाधिकारियों द्वारा टेंडर की समय सीमा में विस्तार कर कार्य संपादित किया जा रहा था।
इधर एक अधिकारी ने बताया कि पंद्रह दिनों से ढुलाई ठप है। लॉकडाउन के पूर्व प्रतिदिन एक रैक कोयला साइडिग से निकलता था। उसके बाद महीने में 15 रैक निकलने लगा। अभी 25 नवंबर से ठप है। कोयला ढुलाई आरंभ करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है पर डंपर संचालकों के पास वाहन के समुचित दस्तावेज नहीं होने के कारण ढुलाई बाधित है।