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सदर अस्पताल में सफाई कर्मी करते मरीजों की ड्रेसिग

संवाद सहयोगी जामताड़ा कहने के लिए जिला स्तरीय सदर अस्पताल है पर एक भी स्थाई ड्रेसर नही

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 05:57 PM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 05:57 PM (IST)
सदर अस्पताल में सफाई कर्मी करते मरीजों की ड्रेसिग
सदर अस्पताल में सफाई कर्मी करते मरीजों की ड्रेसिग

संवाद सहयोगी, जामताड़ा : कहने के लिए जिला स्तरीय सदर अस्पताल है पर एक भी स्थाई ड्रेसर नहीं है। प्रतिनियुक्ति पर मरीजों की ड्रेसिग हो रही है। महीनों से अस्पताल इस कमी से जूझ रहा है। दो ड्रेसर की प्रतिनियुक्ति भी की गई है तो उनका योगदान अभी तक नहीं हो पाया है। जबकि इसी सदर अस्पताल के भरोसे जिले के करीब आठ लाख की आबादी की चिकित्सा सुविधा निर्भर है। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत प्रतिनियुक्त कर्मी व प्रशिक्षु ड्रेसर से किसी तरह मरीजों का इलाज हो रहा है।

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---सात पद रिक्त : ड्रेसर की कमी की वजह से जरूरतमंद मरीजों को गुणवत्ता युक्त ड्रेसिग संभव नहीं हो पाती। दरअसल जिले का स्वास्थ्य महकमा इन दिनों कर्मियों के घोर अभाव से गुजर रहा है। यहां न तो पर्याप्त संख्या में चिकित्सक है और न ही ड्रेसर। डाक्टरों की कमी का दंश तो पूर्व से ही सरकारी अस्पताल झेल रहा है। आलम यह है कि सदर अस्पताल में ड्रेसर के सात पद रिक्त पड़े हुए हैं। लिहाजा कटने-छंटने, जख्म आदि की शिकायत लेकर पहुंच रहे मरीजों को इलाज कराने में परेशानी हो रही। अस्पताल में प्रशिक्षु ड्रेसर ही मरहम पट्टी का काम करते हैं। कभी कभार तो अस्पतालों में चतुर्थवर्गीय कर्मी को जख्मों की साफ-सफाई व मरहम पट्टी का काम करते देखा जाता है। ऐसी स्थिति में सही इलाज की कल्पना बेमानी है। सबसे बड़े सदर अस्पताल में प्रतिदिन सैकड़ों मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में बिना ड्रेसर से काम चलाना प्रबंधन के लिए मुसीबत है। कभी-कभार बड़ी दुर्घटना होने और अधिक संख्या में घायलों के पहुंचने पर मरीज का इलाज कर पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे मौके पर स्थिति को बिगड़ने से बचाने के लिए अन्य स्वास्थ्य कर्मियों, सफाईकर्मियों को हाथ लगाना पड़ता है।

---- दो बीएचडब्ल्यू से लिया जाता है कार्य : दो सरकारी बुनियादी स्वास्थ्य कार्यकर्ता से सदर अस्पताल में ड्रेसर का काम लिया जा रहा है। जबकि इनका कार्य क्षेत्र अलग है। इसके अलावे एक ओटी सहायक को सप्ताह में चार दिन ड्रेसिग रूम में ड्यूटी करनी पड़ती है। बाकी दिन प्रशिक्षु ड्रेसर से विभाग काम चला रहा है। अस्पताल में आने वाले मरीजों की ड्रेसिग व स्टीच लगाने का कार्य प्रशिक्षु ड्रेसर के भरोसे होता है।

---क्या कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक : डॉ चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि सदर अस्पताल में दो रेगुलर कर्मियों से ड्रेसर का कार्य लिया जा रहा है। इसके अलावे दो अन्य रेगुलर कर्मी को सीएस ने प्रतिनियुक्त किया था। लेकिन दोनों ने सदर अस्पताल में योगदान नहीं दिया है। ऐसे में अन्य कर्मियों से कार्य लिया जा रहा है। कहा कि सदर अस्पताल में तीन शिफ्ट में कम से कम चार ड्रेसर की जरूरत है।


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