अधिवक्ताओं ने एडवोकेट एक्ट में फेरबदल का किया विरोध
जामताड़ा : अधिवक्ताओं के रायशुमारी के बगैर एडवोकेट एक्ट 1961 की धारा में सर्वोच्च न्यायाल
जामताड़ा : अधिवक्ताओं के रायशुमारी के बगैर एडवोकेट एक्ट 1961 की धारा में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फेरबदल किए जाने पर अधिवक्ताओं ने रोष प्रकट किया है। जिसे लेकर बार काउंसिल ऑफ इंडिया एवं राज्य बार परिषदों के प्रतिनिधियों और दिल्ली के उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन, दिल्ली जिला बार संघ एवं एनसीआर के प्रतिनिधियों ने संयुक्त बैठक कर राष्ट्रव्यापी आंदोलन करने की धमकी दी है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया एवं राज्य बार काउंसिल के निर्देशों पर सोमवार को जिला अधिवक्ता संघ भवन जामताड़ा में एक आपातकालीन बैठक आयोजित कर अधिवक्ताओं ने विचार प्रस्तुत किया। जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष गणेश चंद्र चौधरी की अगुवाई में आयोजित बैठक में अध्यक्ष ने सर्वप्रथम एडवोकेट एक्ट 1961 की धारा 34 और कृष्णकांता तमरकर बनाम मध्य प्रदेश सरकार के फैसले पर दिए गए निर्णय के बारे में अधिवक्ताओं को जानकारी दी। इस क्रम में अध्यक्ष ने बताया कि जिला अधिवक्ता संघ सरकार के द्वारा किसी प्रकार के अधिवक्ता विरोधी विधेयक लाए जाने तथा एडवोकेट एक्ट 1961 के प्रावधानों का अधिवक्ताओं के हितों तथा अधिवक्ता संघ के हितों के प्रतिकूल संशोधन का प्रयास का पुरजोर विरोध करता है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया एवं राज्य बार काउंसिल के द्वारा समय-समय पर प्राप्त निर्देशों पर जरूरत पड़ी तो राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन भी किया जाएगा। अध्यक्ष ने बताया कि सरकार एडवोकेट एक्ट की धारा 34 को समाप्त करें, उच्च शिक्षा विधायक को वापस लें, सरकार द्वारा विधिक कार्य एवं निर्णय पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया से सहमति लें, अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम को शीघ्र लागू करें, अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए बजटीय प्रावधान चिकित्सा सहायता, बीमा, पेंशन एवं छात्रवृत्ति के लिए कल्याण योजनाओं को लागू करने की मांग की। इस मौके पर वरीय अधिवक्ता अरुण कुमार बोस, जिला अधिवक्ता संघ के उपाध्यक्ष मोहन लाल बर्मन, सचिव अनिल कुमार महतो ने भी अपना विचार प्रस्तुत किया। मौके पर वरीय अधिवक्ता बल्लाल सेन, सौमित्र सरकार, विशेश्वर महतो, मिहिर दुबे, नंदन कुमार सिन्हा, अनवर अंसारी, मनोज कुमार, दिलीप गण, अताउल अंसारी, उज्ज्वल कविराज, बिजन कुमार सर्खेल आदि दर्जनों अधिवक्ता मौजूद थे।