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बाल विकास परियोजना कार्यालय में कर्मियों की कमी नहीं हुई पूरी

मुरलीपहाड़ी (जामताड़ा) बाल विकास परियोजना कार्यालय नारायणपुर इन दिनों कर्मियों की कमी से जूझ रहा  है। 235 आंगनबाड़ी केंद्र को संचालित करनेवाला यह कार्यालय स्वयं कर्मियों की कमी से परेशान हैं। कार्यालय के महत्वपूर्ण पद सांख्यिकी सहायक सहित छह कर्मी की कमी कार्यालय वर्षो से झेल रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Mar 2020 06:31 PM (IST)Updated: Tue, 17 Mar 2020 06:31 PM (IST)
बाल विकास परियोजना कार्यालय में कर्मियों की कमी नहीं हुई पूरी
बाल विकास परियोजना कार्यालय में कर्मियों की कमी नहीं हुई पूरी

मुरलीपहाड़ी (जामताड़ा) : बाल विकास परियोजना कार्यालय नारायणपुर इन दिनों कर्मियों की कमी से जूझ रहा  है। 235 आंगनबाड़ी केंद्र को संचालित करनेवाला यह कार्यालय स्वयं कर्मियों की कमी से परेशान हैं। कार्यालय के महत्वपूर्ण पद सांख्यिकी, सहायक, सहित छह कर्मी की कमी कार्यालय वर्षो से झेल रहा है। यहां न तो एक लिपिक हैं और न ही वाहन चलानेवाले चालक। आंगनबाड़ी केंद्रों की लगातार मॉनिटरिग करने की जिम्मेदारी जिनके कंधे पर है  उसके चार पद भी  रिक्त पड़े हुए हैं। सात महिला पर्यवेक्षक में से तीन पर्यवेक्षक ही यहां कार्यरत हैं। कुछ ऐसा ही हाल कंप्यूटर ऑपरेटर का भी है। कार्यालय में कंप्यूटर का पूरा सिस्टम लगा हुआ है लेकिन इसका संचालन कौन से कर्मी करेंगे इसकी व्यवस्था पर किसी का ध्यान तक नहीं है।

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कर्मियों के कमी के कारण कार्यालय के कार्य में तो देरी होती ही है, क्षेत्र का भी कार्य सुचारू ढंग से नहीं हो पाता। सात कर्मियों के कार्य को तीन पर्यवेक्षक ही करती है। तीन पर्यवेक्षक आंगनबाड़ी केंद्रों का नियमित निरीक्षण तक नहीं कर पाती। बच्चों को पोषाहार मिल रहा है या नहीं, केंद्रों में साफ-सफाई की कैसी व्यवस्था है, गोद भराई रस्म हो रही है या नहीं, कुपोषण मुक्ति के लिए सेविका के स्तर से क्या पहल हो रही, इसे देखने का बोझ तीन पर्यवेक्षक किसी तरह संभाल रहे। नतीजतन गांव-गांव में नौनिहाल बच्चों के शिक्षा-दीक्षा व कुपोषण मुक्ति के सरकारी उद्देश्य पर पानी फिर रहा है। आंगनबाड़ी केंद्र में सिर्फ सेविका व सहायिका के रहने से बहुत हद तक सरकार की योजनाओं का सफलतापूर्वक संचालन संभव नहीं है।

एक लिपिक प्रति नियोजन में : इस कार्यालय संचालन के लिए एक लिपिक का पद है। इस पद में ऐसे कर्मी को प्रतिनियोजित किया गया है जो पहले से ही प्रखंड कार्यालय के नजारत की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उनपर दो-दो कार्यालयों के संचालन की जवाबदेही है।

---बाल विकास परियोजना का वाहन वर्षो से खराब : आंगनबाड़ी केंद्रों की नियमित मॉनिटरिग के लिए राज्य सरकार ने सीडीपीओ के लिए एक चार पहिया वाहन दिया है पर खराब पड़ा है। विभाग के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वाहन की मरम्मत कराई जाए। अधिकारी को अपने निजी वाहन का इस्तेमाल आंगनबाड़ी  केंद्रों निरीक्षण के लिए करना पड़ता है। 

---वर्जन :

परियोजना कार्यालय कर्मियों की कमी की समस्या को झेल रहे हैं। सरकार को यहां के कर्मी की कमी को शीघ्र दूर करनी चाहिए। वाहन भी खराब पड़ा है। स्नेह कश्यप, सीडीपीओ।


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