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लाखों के आयुर्वेदिक अस्पताल में मुर्गा दे रहा बांग

संवाद सहयोगी कुंडहित (जामताड़ा) राज्य सरकार ने आदिवासियों को स्थानीय स्तर पर चिकित्सा उ

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 May 2021 05:37 AM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 05:37 AM (IST)
लाखों के आयुर्वेदिक अस्पताल में मुर्गा दे रहा बांग
लाखों के आयुर्वेदिक अस्पताल में मुर्गा दे रहा बांग

संवाद सहयोगी, कुंडहित (जामताड़ा)

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: राज्य सरकार ने आदिवासियों को स्थानीय स्तर पर चिकित्सा उपलब्ध कराने को आयुर्वेदिक अस्पताल का निर्माण कुंडहित के पुतुलबोना में कराया था, लेकिन उचित देखरेख की कमी व बंद रहने के कारण आयुर्वेदिक अस्पताल में अब मुर्गी पालन हो रहा है। भवन की खिड़की, दरवाजा, पानी की टंकी, बिजली के तार समेत सारे समान गायब हो चुके हैं। खाली पड़े भवन में ग्रामीण मुर्गी पालन कर रहे।

जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार ने आदिवासी बहुल लोगों की चिकित्सा के लिए कुंडहित के पुतुलबोना में लाखों रुपये की लागत से आयुर्वेदिक अस्पताल का निर्माण करवाया था। अस्पताल बनने के बाद नाला के विधायक रवींद्रनाथ महतो ने वर्ष 2008 में इसका उद्घाटन किया। एक साल तक अस्पताल किसी तरह चला। उसके बाद विभागीय उदासीनता से इसकी उल्टी गिनती शुरू हो गई। तब से बंद होकर यह भूत बंगला बना हुआ है।

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क्या कहते ग्रामीण

ग्रामीण निर्मल हांसदा, विमल बास्की, बाबूराम बास्की, सुनील सोरेन, शर्मिला सोरेन, अलोकी बास्की आदि ने बताया वर्षो से डॉक्टर व कर्मचारी के अभाव में अस्पताल बंद पड़ा है। सरकार ने जिस उद्देश्य से आयुर्वेदिक अस्पताल का निर्माण किया गया था उसका लाभ साल भर ही मिल पाया। लोगों को अस्पताल के अभाव में छोटी-छोटी बीमारी होने पर 10 किलोमीटर दूर कुंडहित सीएचसी जाना पड़ता है। 20 किलोमीटर दूर बंगाल के राजनगर तथा नाकड़ाकोदा का सफर तय करना पड़ता है।

समिति करने लगी उपयोग : पुतुलबोनो आदिवासी गांव की महिला स्वयं सहायता समिति के दो सदस्य बंद पड़े आयुर्वेदिक अस्पताल में मुर्गी पालन का काम कर रही है। इस दौरान गांव के सिदो-कान्हू महिला समूह व सरा सरना महिला समूह 200 मुर्गी वहां पाल रही है। समिति की महिलाओं ने बताया कि अस्पताल बंद हो गया और भवन पड़ा हुआ था। इसलिए इसका उपयोग कर रहे हैं। जब खाली करने को कहा जाएगा तो खाली कर देंगे।

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क्या कहते जिप सदस्य : जिप सदस्य भजोहरि मंडल व सुभद्रा बाउरी ने बताया यह अस्पताल चिकित्सक व कर्मचारी के अभाव में वर्षों से बंद पड़ा है। इसका लाभ गरीब आदिवासी, हरिजन लोगों को नहीं मिल रहा। सरकार गरीबों के इलाज की व्यवस्था तो बनाती है पर संसाधन नहीं दे पाती। इसका खमियाजा इस क्षेत्र के गरीब, असहाय आदिवासी, हरिजन लोगों को भुगतना पड़ रहा है। जिप सदस्यों ने डीसी से अस्पताल खुलवाने की मांग की।


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