झारखंड़ में लालन पालन, बंगाल का गुणगान
कुंडहित (जामताड़ा) : पश्चिम बंगाल की सीमा से सटे जामताड़ा जिला के कुंडहित प्रखंड के मुड़
कुंडहित (जामताड़ा) : पश्चिम बंगाल की सीमा से सटे जामताड़ा जिला के कुंडहित प्रखंड के मुड़ाबेड़िया डंगालपाड़ा की अजीब कहानी है। सरकारी सुविधाओं के मामले में यह गांव फीसड्डी है। बावजूद यहां के लोगों की रात-दिन झारखंड के आबो-हवा में कटती है, रोजी-रोजगार से लेकर जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए बंगाल पर निर्भर हैं। इस कारण झारखंड के लालन-पालन होने के बाद भी ये बंगाल का गुणगान करते हैं।
ग्रामीणों के अनुसार यहां के लोगों के पास मजदूरी करने के लिए जॉब कार्ड है, लेकिन रोजगार नहीं मिलता है। मजदूरी के लिए वे बंगाल के खयराकुड़ी, खयरासोल, लोकपुर आदि इलाकों की दूरी रोज नापते हैं।
यहा के अधिकतर परिवार गरीब हैं, लेकिन पांच परिवार को ही बीपीएल का लाभ मिलता है। शेष परिवार के लोग बीपीएल कार्ड के लिए प्रखंड से अनुमंडल तक के अधिकारियों को आवेदन दे चुके हैं, पर परिणाम सिफर ही निकला है। टोला में 16 परिवार में दो परिवार को प्रधानमंत्री आवास का लाभ मिला है। शेष परिवार आवास के लिए मुखिया, पंचायत सचिव एवं बीडीओ को कहते-कहते थक गए।
जॉब कार्ड बिचौलिया के पास :
डगालपाड़ा टोला के स्वप्न दास, सानद दास, दीनू दास, हरि दास, तिलकी बाउरी, मानव बाउरी ने कहा कि प्रखंड मुख्यालय से दूर होने के कारण सरकारी लाभ नहीं मिलता है। रोजगार के लिए जॉब कार्ड है, लेकिन कार्ड गांव के बिचौलिया ले जाते हैं। बैंक में पैसा उठाने के समय एक हजार रुपये में मात्र एक सौ रुपये दिया जाता है। जब मजदूरी की बात आती हैं तो गांव के बिचौलिया मुंह फेर लेता है। कहा कि आज तक टोला में बिजली नहीं पहुंची है। जबकि तीन सौ मीटर की दूर मुड़ाबेड़िया गांव में बिजली है। वर्ष 2005 में टोला में पांच बीपीएल परिवार को बिजली तार और मीटर की सुविधा दी गई थी। उस समय से आज तक प्रतिमाह बिजली बिल विभाग भेज रहा है। दस से अधिक विधवा में मात्र पांच को पेंशन मिलती है। बच्चे बंगाल के विद्यालय में पढ़ते हैं। प्राथमिक विद्यालय है, बच्चों को समुचित शिक्षा नहीं मिलती है। बच्चों को बंगाल के खयराकुड़ी प्राथमिक विद्यालय में भर्ती कराया गया है। वहां शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को शारीरिक शिक्षा भी दी जाती है।
-वर्जन:
लोग यहां मजदूरी करना नहीं चाहते हैं। ये लोग बंगाल में जाकर मजदूरी के साथ अन्य कार्य करते हैं। बच्चों को भी बंगाल में पढ़ाते हैं। कहने के बावजूद टोला के लोग किसी तरह का बात सुनने को तैयार नहीं है।
बाबूराम मरांडी, मुखिया, मुड़ाबेडिया पंचायत