मजदूरों को रोजगार की चिता दूर करने में जुटा प्रशासन
नारायणपुर (जामताड़ा) लॉकडाउन में काम-धाम छोड़कर अपने घर वापस लौटे प्रवासी मजदूरों
नारायणपुर (जामताड़ा) : लॉकडाउन में काम-धाम छोड़कर अपने घर वापस लौटे प्रवासी मजदूरों को घर लौटने के बाद राहत तो मिली पर अब जब पैसे समाप्त हो गए हैं तो यहां गुजर-बसर करने की समस्या भी उत्पन्न हो गई है। बहुत ऐसे मजदूर हैं जिनका जॉबकार्ड भी नहीं है। जॉबकार्ड नहीं बनने के कारण मनरेगा में रोजगार भी नहीं कर पाएंगे। हालांकि विभाग ने व्यवस्था दी है कि आवेदन करेंगे तो तुरंत जॉबकार्ड बनेगा और प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिया जाएगा। इसके लिए प्रखंड क्षेत्र में मनरेगा की योजना चलाई जा रही हैं। बाहर से लौटने के बाद प्रवासी मजदूरों के समक्ष रोजगार सबसे बड़ी समस्या बन गई है। वहीं प्रशासन मनरेगा में काम देकर रोजगार उपलब्ध करवाने की दिशा में पहल कर रहा है।
क्या कहते हैं प्रवासी मजदूर : हमलोग बाहर रहकर कार्य कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे। लॉकडाउन में वापस आ गए हैं। इससे रोजगार की समस्या उत्पन्न हो गई है। जॉबकार्ड भी नहीं है। जानकारी मिली है कि जॉबकार्ड बन रहा है। जॉबकार्ड बनाकर मनरेगा में कार्य कर बेरोजगारी दूर करने का प्रयास करेंगे। ऐसी परिस्थिति में अब बाहर जाकर रोजगार करना भी संभव नहीं दिखता है। --प्रभाकर मंडल प्रवासी मजदूर।
---आधार कार्ड है परंतु जॉबकार्ड नहीं बना है. जॉबकार्ड बनाकर मनरेगा में कार्य करने का प्रयास करेंगे। क्योंकि बिना रोजगार के गुजर-बसर संभव नहीं है, बाहर में काम कर अपना और अपने परिवार का गुजर-बसर करते थे। लॉकडाउन में रोजगार छीन गया है, हमलोग किसी तरह घर वापस आए हैं। हमारी कमाई पर ही परिवार का भरण-पोषण निर्भर है।
---दिनेश मंडल प्रवासी मजदूर।
---आधार कार्ड और जॉबकार्ड है। बाहर काम करते थे अब घर आ गए हैं। यहां रोजगार की समस्या है। मनरेगा में जो मजदूरी मिलती है उसे गुजर-बसर करना भी मुश्किल होगा। कोई उपाय नहीं रहने के कारण यही रहकर कार्य तलाश करेंगे। गुजर बसर का कोई तरीका ढूंढ लेंगे। सरकार को हम प्रवासी मजदूरों के लिए कुछ विशेष करनी चाहिए ताकि हम लोगों को राहत मिल सके।
---गणेश मंडल, प्रवासी मजदूर