Move to Jagran APP

सभ्यता-संस्कृति बचाने के लिए संघर्षरत हैं 80 लाख आदिवासी

संवाद सहयोगी जामताड़ा आदिवासी समाज को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विश्व आदिवासी दिवस मनाय

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Aug 2021 12:16 AM (IST)Updated: Tue, 10 Aug 2021 12:16 AM (IST)
सभ्यता-संस्कृति बचाने के लिए संघर्षरत हैं 80 लाख आदिवासी
सभ्यता-संस्कृति बचाने के लिए संघर्षरत हैं 80 लाख आदिवासी

संवाद सहयोगी, जामताड़ा : आदिवासी समाज को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। इस शुभ मुहूर्त पर समाज के सभी लोग एक मंच पर एकत्रित होते हैं और समाज के विकास की दशा-दिशा बेहतर करने का प्रयास करते हैं। झारखंड प्रदेश में 26 फीसद यानी 80 लाख आबादी आदिवासियों की है। इतनी अधिक आबादी रहने के यह समाज अपनी संस्कृति सभ्यता व अस्तित्व, पहचान बचाने को संघर्षरत है। इस समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए झारखंड के मुख्यमंत्री ने राज्य में कई विशेष योजनाओं का क्रियान्वयन शुरू की है। इस समाज के अंतिम पायदान के व्यक्ति को लाभ दिलाने की जरूरत है। ऐसा सोमवार को गांधी मैदान में आयोजित विश्व आदिवासी दिवस समारोह व सिदो-कान्हू मुर्मू की प्रतिमा अनावरण समारोह को संबोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो ने कहीं।

loksabha election banner

उन्होंने कहा कि आबादी इतनी अधिक होने के बावजूद भी अब तक जातिगत जनगणना प्रपत्र में आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड को स्थान नहीं मिल पाया है। मुख्यमंत्री हेमंत सरकार के प्रयास से राज्य कैबिनेट में सरना धर्म कोड से संबंधित प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को स्वीकृति के लिए भेज दिया गया है। उम्मीद है आगामी जनगणना में सरना धर्म कोड अंकित होगा। आबादी के अनुरूप समाज हित में सशक्त सु²ढ़ आंदोलन के तहत आदिवासियों की दशा- दिशा बदलेगी। कई वर्ग के लोग अभी भी विकास के मुख्य धारा से पिछड़े हुए हैं। ऐसे सभी वर्ग के पिछड़े लोगों का संतुलित विकास होना चाहिए। विश्व आदिवासी दिवस अंतिम पायदान पर खड़े लोगों को विकास से लाभान्वित कराने को संकल्प लेने का उपयुक्त दिवस है। एक साथ मिलकर सभी संकल्प लें और वंचित लोगों को मुख्यधारा तक लाएं।

पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार सिन्हा ने कहा कि आदिवासियों की सभ्यता व संस्कृति ,पर्यावरण संरक्षण व महिला सम्मान को प्रेरित करने वाला है। झारखंड प्रदेश के 13-14 जिले आदिवासी बहुल है। महिला प्रताड़ना, महिलाओं पर अत्याचार, आपराधिक मामले आदिवासी बहुल समाज में नगण्य है। इनकी सभ्यता संस्कृति से लोगों को प्रेरणा लेने की जरूरत है। विभिन्न समाज में दहेज प्रथा की फैल रही कुरीतियों के बीच अब भी आदिवासी समाज स्वच्छ एवं स्वस्थ है। सेवा समिति के अध्यक्ष आनंद टुडू की अध्यक्षता में सभी सदस्यों ने मंत्रणा की। आनंद टुडू ने बैठक में बताया कि समारोह तीन सत्र में संपन्न हुआ। समारोह में मुख्य रूप से उपायुक्त फैज अक अहमद मुमताज, एसडीपीओ आनंद ज्योति मिज समेत नंदलाल सोरेन, श्यामलाल हेंब्रम, मनोरथ मरांडी, आंदोलनकारी सुनील कुमार बासके, राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक शुशील मरांडी, राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक प्रो आनंद राज खालको, चुनूलाल सोरेन, अमिता टुडू आदि ने विचार व्यक्त किए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.