Move to Jagran APP

मैनेजमेंट पढ़ते-पढ़ते मॉडलिंग की दुनिया में छा गया झारखंड का यह छोरा, जानिए

हजारीबाग से बेंगलुरू का सफर आसान नहीं रहा, लेकिन अब मुड़कर पीछे देखने की बजाय यह युवक नित कामयाबी की नई सीढिय़ां चढ़ रहा है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 05:47 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 05:47 PM (IST)
मैनेजमेंट पढ़ते-पढ़ते मॉडलिंग की दुनिया में छा गया झारखंड का यह छोरा, जानिए
मैनेजमेंट पढ़ते-पढ़ते मॉडलिंग की दुनिया में छा गया झारखंड का यह छोरा, जानिए

जमशेदपुर, जेएनएन। झारखंड से यह छोरा बेंगलुरू गया था मैनेजमेंट की पढ़ाई करने, लेकिन पढ़ाई पूरी करने के बाद राह बदल ली और मॉडलिंग की दुनिया का हमसफर बन गया। नाम है जीत बैनर्जी। हजारीबाग से बेंगलुरू का सफर आसान नहीं रहा,  लेकिन अब मुड़कर पीछे देखने की बजाय यह युवक नित कामयाबी की नई सीढिय़ां चढ़ रहा है।

loksabha election banner

फॉरेस्ट कॉरपोरशन में डेली वेज पर असिस्टेंट क्लर्क की नौकरी करनेवाले पिता रथीन्द्र मोहन बनर्जी और हाउस वाइफ मां सोनाली बनर्जी के इस लाडले ने स्कूली शिक्षा हजारीबाग से हासिल की और स्नातक की पढ़ाई करने छत्तीसगढ़ के विलासपुर चला गया। वहां से एमबीए की पढ़ाई करने दयानंद सागर कॉलेज बेंगलुरू पहुंचा। पढ़ाई में मेधावी था और अपने बैच का टॉपर बना।

नई राह नहीं रही आसान

जीत को याद है कि मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी करने के बाद कॅरियर के लिए मॉडलिंग को चुनने का उसका फैसला संघर्ष की राह पर ले जाने वाला था। राह आसान नहीं थी। वह दिन याद है जब तीन दिन रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर गुजारने पड़े। रहने- खाने के इंतजाम के लिए मार्केटिंग का काम दुकान-दुकान जाकर करना पड़ा। फिर एक पकड़ा फैक्ट्री में काम किया। संघर्ष का सफर एक जिम भी ले गया। हालांकि, यह सकूनदायक रहा कि  जिम में काम करने के  साथ-साथ बॉडी भी बना ली। पर्सनल ट्रेनर भी बन गया।

डिजायनर का साथ रहा फायदेमंद

जीत ने एक छोटे से होटल में थर्ड पार्टी पार्टनर के बतौर भी समय बिताए। वही एक डिजायनर के साथ बैक स्टेज काम करने का मौका मिला। वहां बहुत कम पेमेंट था। हालंाकि, वहीं आठ महीने काम करने के बाद फिल्म इंडस्ट्री में जाने का लीड मिला और बस सबकुछ बदल गया। ढाई साल हो गए इंडस्ट्री में। काम मिल रहा है। अबतक बीस से ज्यादा रैम्प वाक किए हैं। पांच से ज्यादा फोटो शूट, एक शार्ट मूवी में काम उसका सफर है। ऑफ सीजन में सपोर्टिंग रनवे मॉडल, फिटनेस मॉडल का काम भी उसकी दिनचर्या का हिस्सा है। अब एक प्रसिद्ध डिजायनर के साथ ड्रेस डिजाइनिंग भी सीख रहा है।

बहुत कमरे बदलने पड़े

 संघर्ष के समय बहुत कमरे बदलने पड़े पैसे नहीं रहने की वजह से। जीत बताता है कि बड़े शहरों की यह हकीकत है। हिमाद्री फिल्मस की उप्स-इसने तो ले ली। शार्ट फिल्म में जीत मुख्य भूमिका में था। जमशेदपुर के टेल्को के हुरलुंग की खुशी महतो इस शार्ट फिल्म में जीत के अपोजिट थी। इस फिल्म को सराहा गया था। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.