World Milk Day 2021 : दूध के लिए अब भी तरस रही लौहनगरी, जानिए मांग एवं आपूर्ति का अंतर
लौहनगरी जमशेदपुर को बसे करीब एक सौ वर्ष से ज्यादा हो गए। अब शहर की आबादी लगभग 20 लाख हो गई है। इस हिसाब से यहां रोजाना करीब पांच लाख लीटर दूध की आवश्यकता है लेकिन यहां करीब पौने तीन लाख लीटर दूध का ही उत्पादन होता है।
जमशेदपुर, वीरेंद्र ओझा। लौहनगरी जमशेदपुर को बसे करीब एक सौ वर्ष से ज्यादा हो गए। अब शहर की आबादी लगभग 20 लाख हो गई है। इस हिसाब से यहां रोजाना करीब पांच लाख लीटर दूध की आवश्यकता है, लेकिन यहां करीब पौने तीन लाख लीटर दूध का ही उत्पादन होता है। दूध के मामले में यह आज तक आत्मनिर्भर नहीं हो सका।
आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में जमशेदपुर डेयरी ही है, जो सबसे ज्यादा करीब 1.50 लाख लीटर दूध का उत्पादन करती है। इसके अलावा छोटी-छोटी कई डेयरी खुली, लेकिन बंद हो गईं। अब यहां अमूल डेयरी का प्लांट चल रहा है, जहां से औसतन 40 हजार लीटर दूध की ही उत्पादन होता है। रांची के बुंडू से मेधा डेयरी का दूध यहां आता है, लेकिन बताया जाता है कि वह फिलहाल वह 15 हजार लीटर दूध ही आपूर्ति कर रही है। यह स्थिति तब है, जब यहां डेयरी विकास की तमाम संभावना है। ग्रामीण इलाकों में छोटी-छोटी डेयरी चल रही है, लेकिन वह सीमित मात्रा में ही आपूर्ति कर पाती है। खटाल के अलावा पाउडर दूध का भी बड़ा कारोबार
जमशेदपुर में स्थानीय स्तर पर ब्रांडेड दूध के अलावा पाउडर दूध का भी बड़ा कारोबार है। अमूमन स्किम्ड मिल्क पाउडर का उपयोग चाय व मिठाई बनाने में किया जाता है। हाल के दिनों में टेट्रापैक दूध का भी बाजार तैयार हो रहा है। हालांकि अभी इसकी बिक्री सामान्य पैकेट दूध की तुलना में दो प्रतिशत से कम है। यह दूध जल्दी खराब नहीं होता है, लेकिन इसमें क्रीम की मात्रा कम रहने और अधिक कीमत की वजह से बिक्री कम है।
अभी दो लाख लीटर तक का डेयरी चाहिए
जमशेदपुर में आबादी के हिसाब से करीब पांच लाख लीटर दूध की मांग है। हालांकि फिलहाल तीन लाख लीटर तक दूध का उत्पादन हो जा रहा है, लेकिन तत्काल दो लाख लीटर उत्पादन क्षमता वाला एक प्लांट खुलना चाहिए।
- देवव्रत कुंडू, मुख्य कार्यपालक, जमशेदपुर डेयरी
करीब 11 वर्ष से धूल फांक रहा बालीगुमा का प्लांट
मानगो स्थित बालीगुमा में तत्कालीन कृषि मंत्री मथुरा महतो ने मेधा डेयरी प्लांट के लिए शिलान्यास किया था, वह आज तक धूल फांक रहा है। 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस प्लांट का दोबारा शिलान्यास किया, लेकिन इसके बाद सिर्फ चारदीवारी और गेट ही लग सके। प्लांट स्थल के पास मेधा डेयरी का डिपो है, जहां बुंडू से सुबह-शाम दूध लाकर स्टोर किया जाता है। करीब आठ एकड़ में फैले इस प्लांट में कब उत्पादन शुरू होगा, पता नहीं। इसके लिए झारखंड सरकार तीन बार बजट पास कर चुकी है। उस समय रघुुवर दास ने घोषणा की थी कि यहां 50 हजार लीटर प्रतिदिन दूध का उत्पादन होगा। उन्होंने कहा था कि हर साल जमशेदपुर में करीब 400 करोड़ रुपये का दूध दूसरे राज्यों से आता है। इसके खुलने से यह पैसा झारखंड में रह जाएगा।
ये भी जानें
सुधा डेयरी : 1.50 लाख लीटर
अमूल डेयरी : 40 हजार लीटर
मेधा डेयरी : 15 हजार लीटर
खटाल : 70 हजार लीटर