गिदीझोपड़ी में विश्वबैंक की टीम का विरोध
गिदीझोपड़ी के आदिवासी बोले-कुछ कर नहीं सकते तो बार-बार आकर क्यों करते हैं जांच, यहां से चले जाएं, सुप्रीम कोर्ट से लेकर अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट तक लड़ने को तैयार। -परियोजना का करते रहेंगे विरोध - ग्रामीण
जमशेदपुर (जासं)। बागबेड़ा जलापूॢत योजना को लेकर गिदीझोपड़ी पहाड़ी पर बन रहे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से नाराज गिदीझोपड़ी के ग्रामीणों से वार्ता करने पहुंची विश्व बैंक की टीम को विरोध का सामना करना पड़ा। देर से पहुंचे विश्वबैंक के अधिकारियों ने जब ग्रामीणों की मांग के जवाब में ये कहा कि वो किसी कीमत पर योजना को बंद नहीं कर सकते तो ग्रामीण नाराज हो गए। एक ग्रामीण ने विश्वबैंक के अधिकारी माइकल हेनरी से कहा कि तो फिर आप बार-बार जांच करने क्यों आ रहे हैं। दूसरे ग्रामीण ने उन्हें गांव से चले जाने को कहा। अलबत्ता, इसके बाद भी विश्वबैंक के अधिकारी वहां बैठे रहे ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया।
ग्रामीण सुबह नौ बजे से टीम के सदस्यों का इंतजार कर रहे थे मगर टीम करीब तीन घंटे विलंब से दोपहर 12 बजे के बाद गांव पहुंची। वार्ता के दौरान ग्रामीणों ने जलापूॢत योजना के कार्य पर रोक लगाने के लिए फंड देने रोक लगाने की मांग की। विश्व बैंक के माइकल हेनरी ने कहां कि योजना का कार्य लगभग 90 प्रतिशत पूरा हो चुका है। अब विश्व बैंक फंङ्क्षडग को रोकने में असमर्थ है। अगर फंङ्क्षडग रोकती भी है तो सरकार अपने पैसे से निर्माण कार्य को पूरा कर लेगी।
उन्होंने कहा कि वे ग्रामीणों की भावना को समझते हैं। मगर उनके हाथ में अब कुछ नही है। ग्रामीणों की शिकायत को विश्व बैंक का इंस्पेक्शन पैनल जांच कर रहा है। टीम की ओर से किसी तरह का आश्वासन नही मिलने से ग्रामीण नाराज हो गए। ग्रामीणों का कहना था कि टीम उन्हें जांच के नाम पर बेवकूफ बना रही है। टीम के सदस्य कई बार उनसे बैठक कर चुके हैं मगर अब तक कोई हल नही निकला। ग्रामीण अब अपनी लड़ाई स्वयं लड़ेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि परियोजना उनके पूजा स्थल व श्मशान घाट की भूमि पर किया जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय कोर्ट जाएगा बागबेड़ा जलापूर्ति प्रकरण
नाराज ग्रामीण अपनी भड़ास निकाल रहे थे। एक ने कहा कि वे मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे। जरूरत पड़ी तो अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया जाएगा। ग्रामीणों ने कहा कि वे परियोजना का नही बल्कि स्थल का विरोध कर रहे हैं। बैठक में जुगसलाई तोरोप परगना दासमत हासंदा, गांव के माझी बाबा सुखराम किस्कू समेत भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।