ये कैसी व्यवस्था ! पति के इलाज के लिए दिनभर गिड़गिड़ाती रही महिला, नौ घंटे बाद शाम 4.30 बजे पहुंची मेडिकल टीम, तब तक हो गई थी मौत Jamshedpur News
एसडीओ चंदन कुमार को फोन किया और मृतक का कोरोना जांच की गुहार लगायी। इसके बाद साढ़े चार बजे चिकित्सक की टीम पहुंची और कोराना जांच किया। मृतक का रिपोर्ट निगेटिव थी।
जमशेदपुर (जासं) । शहर में कोरोना का भय इस कदर लोगों में छा गया है कि साधारण बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को अस्पताल ले जाने के लिए भी कोई गुहार लगाए तो सामने कोई नहीं आ रहा। इसी तरह कह हृदय विदारक घटना उलीडीह थाना अंतर्गत शंकोसाई रोड नंबर पांच में घटी। जब बीरेन साहू नामक 40 वर्षीय व्यक्ति की तबियत शुक्रवार सुबह 8 बजे खराब हुई। राजेश्वरी साहू ने अपने पति बीरेन साहू को इलाज के लिए अस्पताल लेे जानेे के लिए सुबह 9 बजे एक टेंपो वाले को कहा, लेेेेेकिन वह बहाना बनाकर नहीं आया। इसके बाद उसने एंबुलेंस के लिए फोन किया, एंबुलेंस चालक ने भी व्यस्त होने की बात कही। इसके बाद महिला ने अपने दो मासूम बच्चोंं को संभालते हुए थानेे में भी गुहार लगाई। लेकिन कोई नहीं आया। अंत में लचर व्यवस्था ने मरीज की जान ले ली।
इधर, इस बीच महिला ने अपने समाज के नेता टेल्को निवासी मनोज गुप्ता को सूचना दी। सूचना के बाद मनोज गुप्ता ने एसडीओ चंदन कुमार को फोन किया और मृतक का कोरोना जांच की गुहार लगायी। इसके बाद साढ़े चार बजे चिकित्सक की टीम पहुंची और कोराना जांच किया। जांच में पाया कि मृतक का रिपोर्ट निगेटिव था। जब स्थानीय लोगों को जानकारी हुई कि मृतक को कोरोना नहीं है, इसके बाद लोग सामने आए।
मृतक की थी पान दुकान, बंद होने के कारण घूमकर बेचता था चाय
मृतक बीरेन साहू की पत्नी राजेश्वरी साहू ने बताया कि मेरे पति का साकची करीम सिटी के पास पान दुकान था। कोरोना के कारण लगाए गए लॉकडाउन के कारण दुकान बंद हो गयी। घर परिवार चलाने के लिए वह घूम-घूमकर चाय बिक्री कर किसी तरह गुजर बसर कर रहे थे। राजेश्वरी ने बताया कि दो दिनों से बोल रहे थे कि बदन हाथ में दर्द कर रहा है। गुरुवार को वह साकची बाराद्वारी में डा. जेना के यहां दिखाकर आए थे। रात में दवा खाकर सो गए। सुबह आठ बजे उन्हें उठाया। दरवाजे के सामने ब्रस किए।
इसके बाद नींबू, तुलसी पत्ता, अदरक डालकर लाल चाय बनाकर सेव के साथ उन्हें दी। चाय व सेव खाकर वह दवा खाए। करीब 9 बजे उन्होंने कहा कि सांस फूल रहा है। पत्नी के अनुसार इस बात का जिक्र मैंने पड़ोसी महिला से की। उसने कहा कि जल्दी अस्पताल ले जाओ। राजेश्वरी ने बताया कि इसके बाद तो मैं लगातार टेंपो, एंबुलेंस, पुलिस, स्थानीय लोगों वे नेता से गुहार लगाती रही, लेकिन संभवत: कोरोना के भय से कोई नहीं आया। महिला के अनुसार सुबह से फोन करने के बाद दोपहर में पुलिस आए और नाम पता पूछकर चले गए। अंत में अस्पताल तक पहुंचने का साधन उपलब्ध नहीं होने के कारण मेरे पति की मौत हो गयी।
कभी दो मासूम को संभालती तो कभी पति को निहारती
मृतक बीरेन साहू की पत्नी राजेश्वरी साहू की स्थिति इतनी खराब हो गयी कि आसपास के लोगों के आंखों से बरबस आंसू निकल गए। दो छोटे-छोटे बच्चे एक तीन साल का तथा दूसरा डेढ़ साल का। मां को रोता देख बच्चे भी रोते। बेबस राजेश्वरी कभी बच्चे को ढाढस बंधाती तो कभी पति को निहारती। यह सिलसिला सुबह 9 बजे से 4.30 बजे तक तब तक चली जब तक कि चिकित्सक की टीम ने जांच कर कोरोना नहीं होने की जानकारी दी। जब लोगों को जानकारी हुई कि मृतक को कोरोना नहीं था।