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1971 के युद्ध के दौरान रडार में लगे थे केबुल कंपनी में बने तार, जानिए Jamshedpur News

कभी विश्व बाजार में इंकैब इंडस्ट्री लिमिटेड के उत्पाद की धाक थी। यहां बने तांबे के तार 35 देशों में निर्यात होते थे। 1971 के युद्ध में रडार में लगने वाले तार इंसी कंपनी के बने थे।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 10:07 AM (IST)Updated: Fri, 10 Jan 2020 10:07 AM (IST)
1971 के युद्ध के दौरान रडार में लगे थे केबुल कंपनी में बने तार, जानिए Jamshedpur News
1971 के युद्ध के दौरान रडार में लगे थे केबुल कंपनी में बने तार, जानिए Jamshedpur News

जमशेदपुर,  अरविंद श्रीवास्तव। 80 वर्षों तक वैश्विक बाजार में धाक जमाने वाली इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड (केबुल कंपनी) एक बार फिर चर्चा में है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की कोलकाता पीठ में 15 जनवरी को अगली सुनवाई होगी, जिसमें अपै्रल 2000 में बंद होने के समय कंपनी की वित्तीय स्थिति, कर्मचारियों के बकाए व भविष्य निधि समेत अन्य वित्तीय कागजात मांगे गए है। वैसे इस मामले में 09 जनवरी को भी आंशिक सुनवाई हुई। इससे ठीक सात दिन पहले 02 जनवरी को जनरल ऑफिस (मुख्य प्रशासनिक कार्यालय) में आग लग गई, जबकि उसमें बिजली कनेक्शन भी नहीं थी। 

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यह वही कंपनी है, जो लगभग पचास साल पहले, 1971 के पाकिस्तान युद्ध में रडार में लगने वाले तार (केबुल) बनाने के कारण नेशनल मीडिया में चर्चा में थी। यहां के बने तार ने हर परिस्थिति में साथ दिया था। इतना ही नहीं, 1982 के पोखरण परीक्षण में भी यहां का बना केबुल लगा था। कभी विश्व बाजार में इंकैब इंडस्ट्री लिमिटेड के उत्पाद की धाक थी। यहां बने तांबे के तार 35 देशों में निर्यात होते थे। केबुल बनाने के लिए 1920 में इंडियन नेशनल केबुल कंपनी (इंकैब) की स्थापना हुई थी। बाद में इसका नाम इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड हो गया। बंदी से पूर्व यहां कई तरह के केबुल बनाए जाते थे। 

इंकैब का ब्रांड अभी भी लोगों के जेहन में

इंकैब नेता रामविनोद सिंह ने कहा कि अगर आज भी कंपनी चलने लगेगी तो उसे पकड़ बनाने में समय नहीं लगेगा, क्योंकि इंकैब का ब्रांड अभी भी लोगों के जेहन में है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष यहां दौरे पर आएं कंपनी के मूल प्रमोटर लीडर यूनिवर्सल के प्रतिनिधि रमेश गुवानी व महेन्द्र साव ने भी कंपनी के दोबारा खड़ा होने की संभावना जताई थी। उन लोगों ने भी कहा था कि बगैर केबुल किसी भी देश का विकास असंभव है। 


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