Tata Workers Union Election : यदि को-ऑप्शन हो जाता तो क्या होता... पढिए टाटा वर्कर्स यूनियन चुनाव की अंदरूनी खबर
Tata Workers Union Election. यदि अरविंद पांडेय अपने साथियों के साथ को-ऑप्शन का समर्थन कर देते और पदाधिकारी के चुनाव में डिप्टी प्रेसिडेंट के पद पर चुनाव लड़ते तो स्थिति दूसरी होती। को-ऑप्शन यदि पास हो जाता तो हाउस में बड़ा उल्टफेर होता।
जमशेदपुर, जासं। टाटा वर्कर्स यूनियन चुनाव भले ही संपन्न हो गया हो और टुन्नू-सतीश एंड टीम ने विपक्षी टीम को पछाड़ कर पूर्ण बहुमत की सरकार बना ली है। लेकिन चुनाव बाद भी सभी की जुबान पर एक ही चर्चा है कि यदि स्टीलेनियम सभागार के बंद कमरे में यदि को-ऑप्शन पास हो जाता, तब क्या होता।
आपको बता दें कि को-ऑप्शन की प्रक्रिया में समर्थन में 82 वोट आए जबकि को-ऑप्शन के खिलाफ 127 वोट। जबकि को-ऑप्शन का प्रचार करने के लिए यूनियन के पूर्व अध्यक्ष पीएन सिंह भी हाउस में नहीं थे। चर्चा तो ये भी है कि को-ऑप्शन का विरोध करने के लिए कुछ निवर्तमान पदाधिकारियों को अपने कमेटी मेंबरों को कहना पड़े कि वे को-ऑप्शन का समर्थन न करें। नहीं तो देर होती तो बाजी पलट जाती।
ये भी है चर्चा
चर्चा ये भी है कि यदि अरविंद पांडेय अपने साथियों के साथ को-ऑप्शन का समर्थन कर देते और पदाधिकारी के चुनाव में डिप्टी प्रेसिडेंट के पद पर चुनाव लड़ते तो स्थिति दूसरी होती। को-ऑप्शन यदि पास हो जाता तो हाउस में बड़ा उल्टफेर होता। तब अध्यक्ष पद के नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजीव उर्फ टुन्नू चौधरी को अपने ही गुरु पीएन सिंह से मुकाबला करना पड़ता और इसका रिजल्ट क्या होता, यह सभी को पता है। क्योंकि पिछली कार्यकारिणी से कमेटी मेंबर कितने खुश हैं, यह को-ऑप्शन के आंकड़े बता रहे हैं। बिना किसी प्रचार-प्रसार के कमेटी मेंबरों ने समर्थन में 82 वोट दे दिए। ऐसे में वर्तमान कार्यकारिणी के सामने भी यह खतरे की घंटी है कि वे वापस सभी कमेटी मेंबरों के विश्वास को जीते। जो नुकसान हुए उसकी भरपाई कराए ताकि भविष्य में ऐसी पुनावृत्ति न हो। नहीं तो यूनियन चुनाव तीन साल के बाद फिर आने वाला है। मजदूर हित में बेहतर काम नहीं हुए तो बाजी पलटने में देर नही लगेगी।