महिला हूं तो क्या हुआ, पुरुषों से नहीं हूं कम : गुरुवारी
पोटका प्रखंड अंतर्गत गीतीलता की गुरुवारी बास्के ने महिलाओं को सीख देने का काम किया है। उन्होंने जमशेदपुर में ई-रिक्शा चलाने के लिए एक माह का प्रशिक्षण लिया और आज 10 से 12 हजार रुपये प्रतिमाह कमा कर अन्य महिलाओं को स्वाबलंबी होने की सीख दे रही हैं।

संसू, पोटका : पोटका प्रखंड अंतर्गत गीतीलता की गुरुवारी बास्के ने महिलाओं को सीख देने का काम किया है। उन्होंने जमशेदपुर में ई-रिक्शा चलाने के लिए एक माह का प्रशिक्षण लिया और आज 10 से 12 हजार रुपये प्रतिमाह कमा कर अन्य महिलाओं को स्वाबलंबी होने की सीख दे रही हैं। गुरुवारी को शेचन क्लीनिक की ओर से ई-रिक्शा से मरीजों को लाने का काम दिया गया है। इस कार्य के बदले उन्हें शेचन क्लीनिक की ओर से प्रतिमाह छह हजार रुपये का भुगतान किया जाता है। गुरुवारी के अनुसार, ई-रिक्शा एक बार चार्ज करने पर 80 किलोमीटर तक चलती है। टोटो के सहारे गुरुवारी हाता चौक से शेचन क्लीनिक तक मरीजों को लाती है और ट्रीटमेंट करा कर उन्हें वापस हाता चौक तक छोड़ती हैं। यह सिलसिला सुबह 8:00 से दोपहर 12:00 बजे तक चलता है। उसके बाद गुरुवारी ई-रिक्शा लेकर हाईवे पर निकल जाती है और 8 से 10 किलोमीटर की दूरी तय करने वाले यात्रियों को अपने ई-रिक्शा में बैठाती हैं। गुरुवारी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह अपने ई-रिक्शा पर शराब का सेवन किए व्यक्ति को नहीं बैठाती हैं। वह अपने पंचायत में शराबबंदी को लेकर आंदोलन भी कर चुकी है। गुरुवारी को टोटो से प्रतिदिन दो-तीन सौ रुपये की आमदनी हो जाती है। इस प्रकार वह महीने में दस से बारह हजार रुपये कमा लेती है। गुरुवारी के पांच बच्चे हैं, जिनका विवाह हो चुका है। उनके पति राजमिस्त्री का कार्य करते हैं। वह महिला सहयोग समिति में पैसे जमा कर अच्छी जिंदगी की शुरुआत कर चुकी है। महिलाओं के लिए उन्होंने स्वावलंबन का उदाहरण प्रस्तुत किया है। कह कहती हैं कि मैं महिला हूं तो क्या हुआ, पुरुषों से किसी मामले में कम नहीं हूं। मैं भी रोजगार कर आगे बढ़ सकती हूं।
Edited By Jagran