Weekly News Roundup Jamshedpur: किस-किस को कंबल ओढ़ाएंगे काले, पढ़िए सियासी जगत की अंदरूनी खबर
इनकी ख्याति काले कंबल वाले के रूप में है। ये भांति-भांति के कंबल रखते हैं जो जाड़े के अलावा पूरे साल भर दिखता है। कोई इनके कंबल ओढ़ाने से तर जाता है तो कोई डर जाता है।
जमशेदपुर (वीरेंद्र ओझा)। Siyasi adda शहर में एक युवा समाजसेवी नेताजी हैं, नाम है अमरप्रीत सिंह काले। हालांकि वे अंग्रेज टाइप गोरे हैं, इसलिए इन्हें पहली बार देखने वाला भरमा जाता है। बहरहाल शहरवासियों में इनकी ख्याति 'काले कंबल वाले के रूप में है। ये भांति-भांति के कंबल रखते हैं, जो जाड़े के अलावा पूरे साल भर दिखता है। कोई इनके कंबल ओढ़ाने से तर जाता है, तो कोई डर जाता है। पिछले चुनाव में इन्होंने एक चाचा के लिए कंबल ओढ़कर कितनों को कंबल ओढ़ा दिया, जो आज भी घुटन महसूस कर रहे हैं। इनके पास एक कंबल है, जो दिखाई नहीं देता है, लेकिन जब ये मन ही मन किसी को ओढ़ा देते हैं, तो उसे गर्मी महसूस होने लगती है। अब तो इन्हें देखते ही कई के पसीने छूट जाते हैं। भाजपाइयों का मानना है कि बेचारे अभी तन से भाजपा में नहीं हैं, लेकिन मन से खांटी भाजपाई हैं।
पुतला जलाया, पर फोटो नहीं खिंचवाया
डर क्या होता है, यह पिछले दिनों दिखाई दिया। एक दुखद घटना के बाद शहर के भाजपाइयों ने सरयू राय का पुतला दहन अभियान चलाया। पूर्वी के लोगों ने तो थोड़ी दिलेरी दिखाई, लेकिन पश्चिमी क्षेत्र के भाजपाइयों को तो जैसे लू मार गया था। कोरम पूरा करने के लिए मानगो, कदमा व सोनारी में पुतला दहन का नेग किया, लेकिन कोई फोटो खिंचाने सामने नहीं आया। अखबार में फोटो छपी तो हर कोई हैरान रह गया। पुतला जलता हुआ दिख रहा था, सरयू राय का खूबसूरत चेहरा भी दिख रहा था, लेकिन जलाने वाला नहीं दिख रहा था। यहां तक कि रिलीज में एक-दो को छोड़कर किसी का नाम नहीं था। जबकि टुटपुंजिया कार्यकर्ता इसी रास्ते से नेता बनते हैं। एक कांग्रेसी तो बात-बात में पुतला जलाते हैं। एक पुआल टाल को महीना बांध दिया है। हालांकि इस लॉकडाउन में पुतले वालों की दुकान भी बंद हो गई है।
अभय को धमकाने वाला डर गया
झारखंड विकास मोर्चा से भारतीय जनता पार्टी में शिफ्ट हुए अभय सिंह को पिछले दिनों एक फोन से धमकी आई। दूर हो जाओ, वरना जान से...। अब जिसका नाम ही अभय है, उसे डर कैसा। फिर भी डर के मारे उन्होंने पहले एसपी को फोन किया। थोड़ी देर बाद डरते-डरते उस नंबर पर फोन किया, जिससे फोन आया था। इनके आश्चर्य की सीमा नहीं रही, जब फोन नंबर का मालिक ही डर से कांपने लगा। कांपा क्या, बदहवास होकर पहले एसपी आफिस में लिखित हलफनामा दिया, फिर अभय के दरबार में गिर पड़ा। सफाई देते-देते बेचारे का गला सूख गया। उसका फोन किसी ने हैक कर लिया था। जरा सोचिए, जो वास्तव में धमकी देना चाहता था, उसे भी फोन नंबर चुराना पड़ा। अभी तक उस चोर का पता नहीं चल पाया है, जो चोरी-चोरी रंगदार बनने चला था। पुलिस भी उस धमकाने वाले चोर को स्लो-ट्रेस कर रही है।
रक्षाबंधन में भाजपाइयों ने तोड़ा बंधन
जो बंधन में रहने का आदी नहीं है, उसे भला आप कब तक बांधकर रख सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की तो पिछले दस वर्ष में आदत ही बदल गई थी। छह माह में कैसे छूट जाएगी। इसका नमूना रक्षाबंधन को दिखा। उसी दिन जिला कार्यालय की री- लॉचिंग हुई। आधिकारिक रूप से गुंजन यादव की ताजपोशी होनी थी। पहले यह डर लगा कि पता नहीं बारिश की वजह से लोग जुटेंगे कि नहीं, इसलिए ढेर सारे कार्यकर्ताओं को न्योता दे दिया। ऐन मौके पर बारिश छूट गई, तो सबके सब पहुंच गए। वैसे भी जब भोजन-पानी की व्यवस्था हो तो भीड़ की कमी नहीं रहती। बहरहाल रघुवर जी आने वाले हैं, सुनकर कुछ ज्यादा ही लोग आ गए। हालांकि कई लोगों को उनके भाषण-दर्शन का सौभाग्य नहीं मिला, लेकिन उनके जाते ही वहां लॉकडाउन के बंधन दोपहर बाद तक टूटते-जुड़ते रहे। बेचारे गुंजन 'दूरी-दूरी कहते थक गए-पक गए।