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Weekly News Roundup Jamshedpur : दान का आंकड़ा समझ नहीं आया, पढ़ि‍ए स‍ियासत की दुनिया की अंदरूनी खबर

Weekly News Roundup Jamshedpur siyasi adda. इनसे भी ऊपर अपने सांसद विद्युत वरण महतो निकले। उन्होंने एक करोड़ रुपये देने की घोषणा देकर सबकी बोलती बंद कर दी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 29 Mar 2020 08:26 AM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2020 08:26 AM (IST)
Weekly News Roundup Jamshedpur : दान का आंकड़ा समझ नहीं आया, पढ़ि‍ए स‍ियासत की दुनिया की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur : दान का आंकड़ा समझ नहीं आया, पढ़ि‍ए स‍ियासत की दुनिया की अंदरूनी खबर

जमशेदपुर,वीरेंद्र ओझा। Weekly News Roundup Jamshedpur कोरोना का वायरस पूरी दुनिया में फैल गया है। इसने किसी को नहीं छोड़ा। हालांकि अभी तक झारखंड में इसका कोई मरीज नहीं मिला है, लेकिन क्या ठिकाना। कहीं मिल गया तो क्या होगा। यही सोचकर यहां भी तैयारी चल रही है। इसी कड़ी में विधायकों से कोरोना की राशि दान करने को कहा गया।

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अपने लोकसभा क्षेत्र के विधायकों ने आदेश जारी होते ही हाथ खोल दिए। इसमें स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने 25 लाख दिए, तो रामदास सोरेन, संजीव सरदार, सरयू राय, समीर महंती ने भी 25-25 लाख रुपये देने की घोषणा कर दी। इन सबसे आगे निकल गए जुगसलाई के विधायक मंगल कालिंदी। उन्होंने विधायक निधि से 30 लाख रुपये देकर सबको चौंका दिया। इनसे भी ऊपर अपने सांसद विद्युत वरण महतो निकले। उन्होंने एक करोड़ रुपये देने की घोषणा देकर सबकी बोलती बंद कर दी। अब लोग कह रहे हैं कि आंकड़ा समझ में नहीं आया।

चाचा यहां भी बाजी मार गए

जमशेदपुर की राजनीति में चाचा-भतीजा का जुमला बहुत मशहूर हुआ था। इसे खुद स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने प्रचलित किया था। वे खुद को भतीजा कहते थे और प्रतिद्वंद्वी सरयू राय को चाचा कहकर संबोधित करते थे। चुनाव आते ही दोनों की चर्चा होने लगती कि कौन किसको हराता है। बहरहाल, पिछले चुनाव में जमशेदपुर की कुंडली ऐसी बनी कि राहु-केतू भी चक्कर खाकर बेहोश हो गए। ऐसा संयोग बना कि दोनों जीत गए। एक जीतकर कैबिनेट मंत्री बना, तो दूसरा सुपर मंत्री। कोई किसी से कम नहीं है, लिहाजा गिले-शिकवे भी दूर हो गए। कोरोना आया तो जनता जान गई कि बन्ना गुप्ता आपदा मंत्री भी हैं, पहले कोई चर्चा तक नहीं करता था। उन्होंने कई घोषणाएं कर दीं, लेकिन चाचा ने लॉकडाउन रहने तक हर दिन डेढ़ हजार लोगों को पूड़ी-सब्जी खिलाने का जो ऐलान किया है, उसने एक बार फिर साबित कर दिया कि चाचा सुपर हैं।

सिपाही जी ई लॉकडाउन है, कर्फ्यू नहीं

कोरोना में 21 दिन का लॉकडाउन लगा है। बहुत से लोगों को पता ही नहीं है कि लॉकडाउन और कर्फ्यू  में क्या अंतर है। चूंकि प्रधानमंत्री ने कहा था कि यह कर्फ्यू से भी बड़ी चीज है, लिहाजा अपने सिपाही जी ने इसी शब्द को गांठ बांध लिया। वैसे भी कर्फ्यू  शब्द बहुत आसान लगता है। सिपाही जी यह भी जानते हैं कि कर्फ्यू  में कोई घर से निकला तो दम भर पीट दो, कोई सवाल नहीं करेगा। हर थाने में दो-चार ऐसे सिपाही होते हैं, जिन्हें पीटने के लिए ही रखा जाता है। कर्फ्यू  में उन्हें सभ्य-सुशिक्षितों को पीटने में भी संकोच नहीं हो रहा है। पोटका में एक सिपाही जी ने बेचारे एक मास्टरजी को पीट दिया, क्योंकि उनके पास कोरोना वाला पास नहीं था। वे दुहाई देते रहे कि भई सरकारी काम कर रहे हैं, सिपाही भी कहता रहा, हम भी सरकारे का काम कर रहे हैं।

कोरोना में भी राजनीति के दांव

कोरोना हो या कोई और आपदा, राजनीति तो कहीं भी हो सकती है। भले आपदा और उसे लेकर जारी निर्देशों का विरोध नहीं कर सकते, जनता के लिए आगे बढ़कर मांग तो सकते ही हैं। कुछ ही दिन पहले भाजपा ने हेमंत सोरेन का पुतला फूंका था। मुद्दा कुछ नहीं बाबूलाल मरांडी को विपक्ष का नेता नहीं बनाने को लेकर था। अभी कोरोना नहीं आता, तो पता नहीं कितनी बार और कितनी जगह विपक्ष पुतला फूंकता, गिनना मुश्किल हो जाता। खैर कोरोना आ गया, तो अपने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास सामने आ गए। उन्होंने बयान दिया सरकार सभी गरीबों को तत्काल आर्थिक सहायता दे। उन्हें भी जो नौकरी छोड़कर बाहर से आए हैं। सरकार अभी इस पर विचार कर रही है। कोई जवाब नहीं आा है। सरकार अपने तरीके से सोच रही है और विपक्ष सरकार के अगले कदम का इंतजार कर रही है। देखें किसका दांव भारी पड़ता है।


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