Weekly News Roundup Jamshedpur : विवेकानंद में चेहरा दिखा रहे अजय, पढि़ए सियासत की अंदरूनी खबरेंं
Weekly News Roundup Jamshedpur. पहले सरयू खेमा ने सोन मंडप की चाबी छीनकर हड़कंप मचा दिया तो रघुवर खेमे ने भी थीम पार्क की पिकनिक को तूल देकर दुखती रग को जोर से दबा दिया है।
जमशेदपुर, वीरेंद्र ओझा। Weekly News Roundup Jamshedpur siyasi adda छात्र राजनीति से नाम कमाने वाले कांग्रेसी अजय सिंह अब अपना जन्मदिन स्वामी विवेकानंद को प्रतीक मानकर मना रहे हैं। अजय सिंह ने अपने जन्मदिन को युवा शक्ति दिवस के रूप में मनाया।
इससे उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वे विवेकानंद के रास्ते पर चलेंगे। दिखने-दिखाने के लिए विवेकानंद की भगवा पगड़ी तो पहन ली, लेकिन क्या विवेकानंद की तरह राजनीति छोड़कर आध्यात्म की राह पर चलेंगे। इस हिसाब से अजय सिंह को भी राजनीति में नहीं रहना चाहिए। उन्हें क्लीन शेव भी रहना होगा। क्या वे ऐसा कर पाएंगे। उन्हें करीब से जानने वाले कहते हैं कि अजय सिंह चुनावी मैदान में उतरना चाहते हैं, लेकिन अंतिम समय में संकोच की वजह से टिकट नहीं मांग पाते हैं। दूसरी दुविधा आदित्यपुर से जमशेदपुर तक राजनीतिक पहचान बनाने की है, जो बनते-बनते रह जाती है। ऐसे में उनकी इच्छा कैसे पूरी होगी, यह बड़ा सवाल है।
पार्क व मंडप में द्वंद्व
सियासी खेमे में जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र चुनाव के 'पहले भी और बाद भी' रघुवर व सरयू के बीच अखाड़ा बना हुआ है। एक-दूसरे को घेरने में कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पहले सरयू खेमा ने सोन मंडप की चाबी छीनकर हड़कंप मचा दिया, तो रघुवर खेमे ने भी थीम पार्क की पिकनिक को तूल देकर दुखती रग को जोर से दबा दिया है। इसमें रघुवर खेमा जैसे सोन मंडप पर कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है, वैसे सरयू खेमे के पास भी थीम पार्क पर कोई जवाब नहीं सूझ रहा है। पिछले दिनों जब दिनेश कुमार ने पार्क में वनभोज के लिए उपायुक्त से कार्रवाई की मांग उठाई, तो सरयू खेमे का पलटवार जवाब आया। हैरानी वाली बात रही कि सरयू खेमे के पलटवार में थीम पार्क की चर्चा तक नहीं थी। इस मामले में वन विभाग भी 'इधर कुआं, उधर खाईÓ वाली स्थिति में फंस गया है।
दुर्घटना में बेचैन हो गए साधु
नेतागीरी का तकाजा है कि आप चर्चा में बने रहें। जनता को यह दिखना भी चाहिए कि आप उसके लिए चिंता करते हैं। यही काम पूर्व विधायक साधुचरण महतो कर रहे हैं। पिछले दिनों नीमडीह में एक सड़क दुर्घटना हुई, जिसमें हाइवा से एक राहगीर की मौत हो गई। जैसे ही साधु को पता चला कि हाइवा रूपी यह हैवान उनके चुनावी प्रतिद्वंद्वी का ही था, तो बेचैन हो गए। आनन-फानन में घटनास्थल पर पहुंचे और वाहन मालिक के खिलाफ बयान जारी कर दिया। जनता का सवाल है कि ईचागढ़ विधानसभा में पहले भी सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं, शायद आगे भी होंगी। क्या साधु अपनी बेचैनी हर दुर्घटना में इसी तरह दिखाएंगे। पहले तो कभी उन्हें इतना बेचैन नहीं देखा गया था। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या साधु प्रतिद्वंद्वी के वाहनों का चलना बंद कराएंगे या घडिय़ाली आंसू बहाकर भूल जाएंगे। क्या दुर्घटना के रास्ते राजनीति चमकाएंगे।
मात खा गए राजनीति के धुरंधर
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता बलदेव सिंह राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी माने जाते हैं, लेकिन वे बहुत कम मौकों पर आगे आकर खेलते हैं। अब तक उन्होंने बिना किसी राजनीतिक भेदभाव के कई नेताओं-नेत्रियों को फर्श से अर्श तक चमकाया, तो कई को सीढ़ी चढ़ाकर गिराने में भी देर नहीं लगाई। बड़े-बड़े सभाओं-कार्यक्रमों का सफल आयोजन करने वाले बलदेव सिंह इस बार अपने ही चेलों से मात खा गए। मानगो के गांधी मैदान में सीएए के खिलाफ बड़ी सभा करा लेने के बाद उन्होंने साकची के आमबगान मैदान में सभा की तैयारी की थी। उनके चेले घर-घर जाकर पुरुषों-महिलाओं को इसमें भेजने में जुटे थे, जबकि दूसरा खेमा इस आयोजन की हवा निकालने में तत्पर था। कहा जा रहा है कि उसी ने शाहीन बाग का शिगूफा छेड़कर सभा की अनुमति नहीं मिलने दी, बल्कि यही कहकर आमबगान आने वालों को भी रोक दिया। इसके बाद तीसरे पक्ष से हंगामा करा दिया।