Weekly News Roundup Jamshedpur : बड़े वनभोज से मटन-चिकन गायब, पढ़िए सियासत की दुनिया की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur. वनभोज खत्म होते-होते मटन-चिकन के बहाने बवाल हो गया। साकची पहुंचते-पहुंचते खूनखराबा हो गया।
जमशेदपुर, वीरेंद्र ओझा। Weekly News Roundup Jamshedpur थीम पार्क में 25 जनवरी को एक बड़े वनभोज का आयोजन हुआ। यह सरयू राय की अगुवाई वाले भारतीय जनमोर्चा का पहला सामूहिक आयोजन था। लगभग दस हजार लोगों ने हिस्सा लिया। मांसाहार के शौकीन जब टेबल पर पहुंचे तो मटन-चिकन गायब था। उसकी जगह मछली थी।
उसके बाद मटन-चिकन के बहाने ही सही पिछले दिनों डिमना लेक में हुए बड़े वनभोज की चर्चा शुरू हो गई, जिसमें रघुवर दास, विद्युत वरण महतो, मेनका सरदार समेत भाजपा के कई नेता-कार्यकर्ता शामिल हुए। वनभोज खत्म होते-होते मटन-चिकन के बहाने बवाल हो गया। साकची पहुंचते-पहुंचते खूनखराबा हो गया। वैसे भाजमो के कर्ताधर्ता बताते हैं कि मिलन समारोह का विचार आया। मेनू पर चर्चा हुई तो मटन-चिकन का जिक्र आया तो सभी चौकन्ने हो गए। इसपर सरयू राय ने कहा कि सबकी इच्छा है कि मछली बनाया जाए। यहां लगभग दस हजार लोग आए, लेकिन विवाद नहीं हुआ। मतलब मछली ही ठीक है।
पूर्वी-पश्चिमी नहीं, सरयू जमशेदपुर के विधायक
जमशेदपुर पूर्वी से पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराकर देश भर में सुर्खियां बटोरने वाले सरयू राय विधायक तो बन गए, लेकिन उनके साथ अब अलग समस्या हो गई है। चूंकि वे जमशेदपुर पश्चिमी से दो बार विधायक रहने के साथ 15 साल तक सक्रिय रहे हैं, इसलिए उनके पास पहले की तरह जमशेदपुर पश्चिमी के लोग हर काम कराने के लिए आ रहे हैं। खासकर अस्पताल में इलाज का बिल माफ कराने के लिए हर दिन करीब एक दर्जन लोग आ रहे हैं। उनसे सरयू राय के कार्यकर्ता कहते भी हैं कि अब राय जी पश्चिमी के विधायक नहीं हैं, लेकिन लोग यह मानने के लिए तैयार नहीं हैं। आने वाले कहते हैं-राय जी जमशेदपुर के ही हैं न। थक-हारकर सरयू व उनके कर्मचारी-कार्यकर्ता पैरवी कर भी देते हैं। गनीमत है कि काम भी हो जाता है। लगता है सरयू राय पूर्वी या पश्चिमी नहीं जमशेदपुर के विधायक हैं।
चुनाव के बाद बिजय खां को सुकून
विधानसभा चुनाव से कांग्रेस को कितनी ऊर्जा मिली, यह बाद की बात है। लेकिन जिलाध्यक्ष बिजय खां को सुकून जरूर मिल गया। पिछले पांच साल से उन्हें पद से हटाने के लिए कांग्रेस में आंदोलन चल रहा था। जहां भी कांग्रेस की बैठक होती, बिजय खां को हटाना प्रमुख मुद्दा रहता था। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू के खेमे से विजय यादव का नाम कई बार जिलाध्यक्ष के लिए उठा, लेकिन हर बार मामला किसी न किसी बहाने शांत हो गया। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का पूरा परिदृश्य ही बदल गया। बलमुचू कांग्रेस छोड़कर आजसू पार्टी में चले गए, तो चुनाव में कोल्हान से भाजपा साफ हो गई। इससे झामुमो-कांग्रेस गठबंधन मजबूत हुआ। चुनाव निपटते ही उन्हें जिलाध्यक्ष हटाने की मुहिम ही बंद हो गई। अब लगता नहीं है कि एक-दो वर्ष तक कांग्रेस में कोई बिजय खां को हटाने की बात भी करेगा। क्योंकि कांग्रेस के अच्छे दिन है।
झामुमो में नए जिलाध्यक्ष की तलाश
विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा की तो जैसे लॉटरी ही लग गई। कोल्हान में उम्मीद से ज्यादा सीटें मिल गईं, लेकिन जमशेदपुर में पार्टी के लिए नई समस्या पैदा हो गई है। रामदास सोरेन के घाटशिला से एक बार फिर विधायक बनने के बाद नए जिला अध्यक्ष की खोज शुरू है। फिलहाल महावीर मुर्मू और बाघराय मार्डी का नाम सबसे आगे चल रहा है, लेकिन सुनील महतो मिता, बब्बन राय, प्रमोद लाल और श्यामल सरकार भी जोड़-तोड़ में लगे हुए हैं। अव्वल तो यह कि इसमें कांग्रेस विधायक बन्ना गुप्ता भी दिलचस्पी लेने लगे हैं। वे महावीर मुर्मू के लिए हेमंत सोरेन के पास लाबिंग कर रहे हैं। उम्मीद है कि हेमंत सरकार के विस्तार के बाद ही संगठन में बदलाव पर बात होगी। देखने वाली बात होगी कि जिलाध्यक्ष के पद पर किसके नाम पर सहमति बनती है। इसके लिए अंदर ही अंदर लाबिंग भी चल रही है।