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Weekly News Roundup Jamshedpur : भूखे पेट भजन ना होई गोपाला, पढ़ि‍ए खेल जगत की अंदरूनी खबर

Weekly News Roundup Jamshedpur. भगवान इंद्र की बदौलत ही तो उनकी लाज बच गई। वरना पारी की हार से मिट्टी-पलीद तय थी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 08 Feb 2020 11:36 AM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 05:29 PM (IST)
Weekly News Roundup Jamshedpur : भूखे पेट भजन ना होई गोपाला, पढ़ि‍ए खेल जगत की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur : भूखे पेट भजन ना होई गोपाला, पढ़ि‍ए खेल जगत की अंदरूनी खबर

जमशेदपुर, जितेंद्र सिंह।  Weekly News Roundup Jamshedpur किसी ने खूब कहा है, भूखे पेट भजन ना होई गोपाला, यह लो अपनी कंठी माला। कुछ यही हाल आजकल स्कूली बच्चों का हो चला है। झारखंड सरकार की ओर से ब्लॉक स्तरीय खेलकूद का आयोजन करने के लिए शिक्षा विभाग को सिर्फ 6000 रुपये की राशि आवंटित की गई है।

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अब इसमें विभाग को न सिर्फ खेल का आयोजन कराना है, बच्चों को नाश्ता पानी भी देना है। उक्त प्रतियोगिता में 300 से अधिक स्कूल के बच्चे भाग ले रहे हैैं। आप हिसाब लगा लीजिए, एक स्कूल के हिस्से में 200 रुपये आएंगे। अब मास्टर साहब माथा पीट रहे हैैं। 200 रुपये में क्या होगा। 15 बच्चों को सुदूर ग्रामीण इलाके से बर्मामाइंस स्थित लाना उनके लिए मुसीबत का सबब बन गया है। ऐसे में गुरु जी खुद के जेब से पैसे लगा रहे हैैं। अब गुरु जी कभी सरकार को तो कभी अपनी किस्मत को कोस रहे हैैं।

भगवान का शुक्र, बच गई लाज

एक तरफ जहां छत्तीसगढ़ की मेहमान टीम भगवान इंद्र को लानत-मलानत भेज रही है वहीं, मेजबान झारखंड रणजी टीम मौसम विज्ञानी इस देवता को लाख-लाख दुआ दे रही है। भगवान इंद्र की बदौलत ही तो उनकी लाज बच गई। वरना, पारी की हार से मिट्टी-पलीद तय थी। उधर, शुक्रवार को दिन भर छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी कभी आसमान देखते तो कभी अपनी किस्मत को कोसते। अगर छत्तीसगढ़ की टीम पारी की जीत हासिल करती तो फिर उसे बोनस अंक मिलते। छत्तीसगढ़ की टीम जिस विकेट पर पहली पारी में 559 रन बनाई थी, उसी विकेट पर झारखंड की टीम महज 242 रन पर सिमट जाती है। झारखंड की यह दुर्गति यूं ही नहीं हुई है। टीम में सामंजस्य की कमी और पैरवी पुत्र को प्रश्रय देने के कारण ही टीम की यह दुर्गति हुई है। रणजी ट्रॉफी में झारखंड की रणजी टीम का एलीट में पहुंचना सपना ही बन चुका है।

घोटाले के त्रिकोण में फंसा जेएससीए

वैसे तो झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन (जेएससीए) का विवादों का पुराना नाता है लेकिन, राज्य में निजाम बदलने के साथ ही संघ की चाल भी बदल गई है। पूर्व सीएम रघुवर दास की जीहुजूरी करने वाले अब नए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आगे पीछे मंडराने लगे हैं। मजबूर इंसान क्या नहीं करता। पदाधिकारियों को यह डर है कि कहीं नए निजाम में फाइल खुल गई तो कईयों की कलई खुल जाएगी। गर्दन भी फंस सकती है। जेएससीए स्टेडियम, विधानसभा भवन व उच्च न्यायालय भवन भौगोलिक दृष्टि से त्रिकोण बनाता है। इन तीनों भवनों का निर्माण राम कृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन ने किया है। तीनों पर कोर्ट में घोटाले को लेकर जनहित याचिका दायर है। जब यही बात संघ से निष्कासित सुनील सिंह से पूछी गई तो तो उन्होंने कहा कि बरमूडा ट्रायंगल में जो फंसा वह हत्थर से गया। देर सबेर घोटालेबाजों का यही हाल होगा। निजाम भी नहीं बचा पाएंगे।

कब्र में पांव, सिंहासन का मोह

सत्ता का नशा बुरा होता है। आसानी से पीछा नहीं छोड़ता। अब हरभजन सिंह को ही देख लीजिए। जनाब, झारखंड बास्केटबॉल संघ के उपाध्यक्ष थे। दो फरवरी को धनबाद में हुए चुनाव में वह सचिव बन गए। यूं तो इसे डिमोशन (पदावनति) कहा जाएगा, लेकिन टाटा स्टील खेल विभाग के पूर्व अधिकारी इस पद को लेकर भी इतरा रहे हैैं। प्यार से लोग उन्हेें भज्जी कहते हैैं। भज्जी साहब की उम्र सत्तर साल है। जनाब के पांव कब्र में लटके हुए हैैं, लेकिन सिंहासन का मोह ऐसा है कि छूटता नहीं। उक्त चुनावी बैठक में मुश्किल से दो या तीन जिले के ही पदाधिकारी पहुंचे थे। भीड़ बढ़ाने के लिए जमशेदपुर बास्केटबॉल संघ के सदस्य भाड़े पर ले जाए गए थे। हरभजन सिंह पर खेल की मेजबानी करने के नाम पर तीन लाख रुपये गबन करने का आरोप है। झारखंड सरकार का खेल विभाग इसकी जांच भी कर रहा है। 


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