Weekly News Roundup Jamshedpur : मास्क-हेलमेट का सरक रहा जुर्माना, पढ़िए पुलिस महकमे की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur.दस-दस हजार के रंगरूट जब से आए हैं तब से अधेड़-बुजुर्ग टाइप के सिपाही सुस्त हो गए। इन्हें जुगाड़ से वसूलने की आदत हो गई है।
जमशेदपुर, अन्वेश अंबष्ठ। जमशेदपुर शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर बिना मास्क व हेलमेट पहने बाइक सवारों को उछल-उछलकर पकड़ने वाले सोमवार से आराम करने चले गए हैं। इससे मास्क व हेलमेट का जुर्माने के रूप में आने वाला राजस्व घटता जा रहा है। इसकी वजह है कि अब जो लोग थाने में बचे हैं, उनकी तीन-चार साल से उछलने की आदत छूट गई है।
दस-दस हजार के रंगरूट जब से आए हैं, तब से अधेड़-बुजुर्ग टाइप के सिपाही सुस्त हो गए। इन्हें जुगाड़ से वसूलने की आदत हो गई है। नए रंगरूट भी तीन साल से उछलते-उछलते थक गए थे। इन्हें अपने बड़ों की तरकीब देखकर जलन भी होती थी। हालांकि, उन्हें पांच साल तक दस हजार में ही काम करने की सुविधा मिली थी, लेकिन अब उन्हें डर सताने लगा कि चुपचाप रहे तो सरकार उन्हें छठी का दूध याद दिला सकती है। वैसे अब ये ऊर्जा बनाए रखने के लिए रांची पैदल जाएंगे।
चोरी नहीं गुमशुदगी की रिपोर्ट लेंगे
यह थाना है साहब। आपके अड्डेबाजी का अखाड़ा नहीं। यहां चोरी की रिपोर्ट नहीं दर्ज की जाती है। दर्ज की जाती है गुमशुदगी की रिपोर्ट। जी हां थानेदार कुछ ऐसी ही हिदायत उस समय आपको तपाक से दे बैठते हैं, जब आप आपके फोन की चोरी होने की सूचना देने पास के थाने जा पहुंचते हैं। थाने में जैसे ही आपके कदम पड़ते हैं, पूरा थाना आपको ऐसे देखने लगता है जैसे आपने ही कोई जुर्म कर दिया हो। आंख फैलाकर सामने से सिपाही तपाक से पूछ बैठता है, का भाई जी, चोरी हुआ है कि फोन खो दिए हैं। कुछ भी हुआ हो, आप सीधे सीधे फोन खो देने की रपट लिखवाईये। चोरी होने की रिपोर्ट दर्ज करेंगे नहीं। सिपाही के ऐसा कहने के बाद अगर आपने चोरी हो जाने की बात गलती से कह दी तो समझ जाइए की मोबाइल गुम होने तक की रिपोर्ट नहीं लिखी जाएगी।
वाह क्या ईमानदारी है
चोरी करते हैं, लेकिन गजब के ईमानदार हैं। भाई साहब दो दिन पहले सुंदरनगर में एक बंद घर में ताला तोड़कर चोरी करने पहुंचे। चोरी तो कर ली लेकिन आदत है कि जाती नहीं। ताला तोड़कर देखा तो घर में कोई नहीं था। बस फिर क्या था। पव्वा निकाला। पेग पर पेग बनाने लगे पेग। लेते- लेते इतना ले बैठे कि नींद आने लगी, तो सोचा थोड़ा सो ही लेते है। आराम से निकलेंगे। क्या पता था कि नींद ऐसी आएगी कि सुबह तक आंख ही नहीं खुलेगी। सुबह हुई तो पड़ोसियों ने दरवाजा खुला देखा। अंदर चोर भाई साहब आराम -फरमाते दिखे। पड़ोसियों ने पूछा आप कौन। अब चोर तो ठहरे ईमानदार। बोले चोर हूं। बस फिर क्या था ईमानदारी की कीमत यह चुकानी पड़ी कि पड़ोसियों पिटाई शुरु कर दी। चोर भी बोला ईमानदारी की तो कोई कदर ही नहीं। झूठ ही बोल देता। खुद को पहरेदार बता देता तो पिटाई तो नहीं होती।
मुंशी तो हम ही रहेंगे अभी
अभी तो मुंशी हम ही हैं जब एएसआई कार्य संभालेंगे तो देखा जाएगा। मतलब थाना में अभी पुरानी व्यवस्था चल रही हैं। साक्षर सिपाही ही थानो में मुंशी गिरी कर रहे हैं। अभी कोई फेरबदल नहीं हुआ है।कारण सेटिंग-गेटिंग हैं। थानेदार के विश्वासपात्र जो हैं। सारी व्यवस्था जो थाना का संभालते हैं। हिसाब-किताब से लेकर खातिदारी और सेवाभाव तक। सो कैसे इतनी जल्द व्यवस्था बदल जाएगी।शायद इसी कारण सहायक अवर निरीक्षक ( ए एसआई) को प्रतिनियुक्त नहीं किए जा सके है। इसके कारण कोरोना काल बता मामले टाले जा रहे हैं। जिले में इसकी व्यवस्था बदलने की तैयारी हुई थी। हर थाने से सूची मांगी गई थी, लेकिन कोरोना संक्रमण की चपेट में पुलिकर्मियों के आने के कारण आगे की करवाई नही हो पाई। जिले में पुलिसकर्मियों की ट्रांसफर पेस्टिंग नही की जा रही है जिससे मामला फंस गया। जो आगे भी फंसता ही रहेगा। कारण एएसआई को मुंशी गिरी के लिए ट्रेनिंग लेनी होगी।