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Weekly News Roundup Jamshedpur : पैरवी के आगे सिस्टम का हार जाना, पढ़‍िए च‍िक‍ित्‍सा जगत की अंदरूनी खबर

Weekly News Roundup Jamshedpur. पैरवी के आगे सिस्टम को हार जाना दुर्भाग्‍यपूर्ण है। सभी आला अधिकारियों पर यह गंभीर सवाल है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 04:09 PM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 04:09 PM (IST)
Weekly News Roundup Jamshedpur : पैरवी के आगे सिस्टम का हार जाना, पढ़‍िए च‍िक‍ित्‍सा जगत की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur : पैरवी के आगे सिस्टम का हार जाना, पढ़‍िए च‍िक‍ित्‍सा जगत की अंदरूनी खबर

जमशेदपुर, अमित तिवारी। Weekly News Roundup Jamshedpur पैरवी के आगे सिस्टम को हार जाना दुर्भाग्‍यपूर्ण है। सभी आला अधिकारियों पर यह गंभीर सवाल है। अगर इसी तरह दोषियों का मनोबल बढ़ता रहा तो फिर न्याय की उम्मीद खत्म हो जाती है। कुछ ऐसा ही जिला स्वास्थ्य विभाग में देखने को मिल रहा है।

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एक मामूली कर्मचारी के आगे पूरा सिस्टम ध्वस्त हो गया है। इनके आगे न तो डीसी का आदेश चलता है और न ही सिविल सर्जन का। साकची जेल चौक स्थित क्वार्टर नंबर 65 को खाली करने के लिए पहले डीसी ने पत्र लिखा। इसके बाद सिविल सर्जन ने 24 घंटे के अंदर खाली करने को आदेश दिया। लेकिन, इस कर्मचारी के सामने वह सब बेकार साबित हुआ। एक सप्ताह बीत जाने के बावजूद यह क्वार्टर खाली नहीं हुआ। कोरोना को देखते हुए यह क्वार्टर पहले सर्विलांस विभाग को आवंटित हुआ। पर, इसके कुछ ही दिन के बाद जुगसलाई सीएचसी के कर्मचारी के नाम पर आवंटित हो गया है।

कुछ करिए सरकार

पूर्वी सिंहभूम जिले में कोरोना वायरस भयावह रूप ले चुका है। इलाज करने वाले शहर के 45 से अधिक डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। इससे अधिकांश अस्पताल बंद हो चुकें है। बाकी जो इक्का-दूक्का अस्पताल खुला है उसमें मरीजों को न तो बेड मिल रहा है और न ही डॉक्टर। ऐसे में इलाज का संकट गहरा गया है। सभी लाचार और बेबस नजर आ रहे है। इलाज के अभाव में लोगों की मौत भी होने लगी है। ऐसे में सभी की उम्मीदें अब सरकार पर टिकी हुई है। कोई लॉकडाउन करने की मांग कर रहा है तो कोई अस्पतालों में बेड बढ़ाने के साथ-साथ वेंटिलेटर सहित अन्य उपकरण बढ़ाने की बात कर रहा है। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता खुद जमशेदपुर का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसीलिए यहां के लोगों को उनसे अपेक्षा भी काफी ज्यादा है। अब देखना है कि वह लोगों की मांग को किस तरह से पूरा करते हैं।

 डॉक्टरों में खौफ

कोरोना से लड़ने के लिए शहर को योध्दा की जरूरत है। इसके लिए उपायुक्त ने चिकित्सकों से एक अपील करते हुए कहा था कि वे आगे आकर सहयोग करें। लेकिन, चिकित्सकों में खौफ इतना अधिक है कि वह आगे बढ़ने को तैयार नहीं हैं। अभी तक शायद ही किसी चिकित्सक ने अपना नाम डीसी कार्यालय में दर्ज कराया होगा। इसे देखते हुए डीसी ने अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) से संपर्क किया है। आइएमए के प्रतिनिधयों का कहना है कि चिकित्सक सहयोग करने को तैयार हैं लेकिन, उन्हें सुरक्षा मिलनी चाहिए। सरकारी चिकित्सकों की तर्ज पर निजी चिकित्सकों को भी सारी सुविधाएं मिले, ताकि वह आगे आकर बढ़चढ़ कर भाग ले सकें। जिस रफ्तार से कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ रही है, उसके हिसाब से बेड भी बढ़ाया जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में अगर डॉक्टर, नर्स व स्वास्थ्य कर्मी आगे आकर सहयोग नहीं किए तो बढ़ाए गए बेड कोई काम नहीं आएंगे।

 बिना फंड लड़ रहा एमजीएम

महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बीते पांच माह से कोरोना मरीजों को भर्ती किया जा रहा है लेकिन उनके बेहतर चिकित्सा सेवा के लिए एक रुपये भी फंड उपलब्ध नहीं कराया गया है। मैन पावर की कमी भी दूर नहीं की जा रही है। ऐसे में कोविड वार्ड की स्थिति लगातार बदतर होते जा रही है। यहां नियमित तौर पर मरीजों को देखने के लिए न तो डॉक्टर पहुंच रहे हैं और न साफई करने के लिए सफाई कर्मी। स्थिति यह है कि मरीज डॉक्टर को फोन कर बुलाते हैं तब वह देखने के लिए आते हैं। वहीं, शौचालय से बदबू इतनी तेज आ रही है कि मरीजों की तबीयत ठीक होने के बजाए और भी बिगड़ जाएगी। मरीजों की समस्या सुनने वाला कोई नहीं है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि मेरे पास जितने संसधान हैं उसके अनुसार मरीजों को बेहतर सुविधा देने की कोशिश की जाती है।


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