Weekly News Roundup Jamshedpur : अरविंद के कार्यालय में नहीं फैलता कोरोना, पढ़िए कॉरपोरेट जगत की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur. भले ही अरविंद शारीरिक दूरी और सेनिटाइजर का जितना बखान कर लें। लेकिन उनके हेल्प डेस्क की खूब चर्चा है।
जमशेदपुर, निर्मल। कोरोना के कारण 23 जुलाई से टाटा वर्कर्स यूनियन कार्यालय को बंद कर दिया गया है है। ऐसे में पदाधिकारी से लेकर कमेटी मेंबर और कर्मचारियों की आवाजाही यूनियन कार्यालय में बंद हो गई है। ऐसे में डिप्टी प्रेसिडेंट अरविंद पांडेय ने तुरंत ही अपने के रोड स्थित आवासीय कार्यालय में हेल्प डेस्क का शुभारंभ कर लिया।
फरवरी 2021 के बाद यूनियन में चुनाव है। इसलिए हेल्प डेस्क के माध्यम से कर्मचारी से लेकर कमेटी मेंबर तक संपर्क भी बनाए रखना है। भले ही अरविंद शारीरिक दूरी और सेनिटाइजर का जितना बखान कर लें। लेकिन उनके हेल्प डेस्क की खूब चर्चा है। क्योंकि बीते कार्यकाल में इनके अपने कोक प्लांट से सबसे ज्यादा कर्मचारी बर्खास्त हुए। अपने या परिजनों के इलाज को टीएमएच जाने अनिवार्य रूप से सूचना देने की बंदिश भी इनके विभाग में आ गई। लेकिन साहब हेल्प डेस्क में व्यस्त हैं क्योंकि इनके कार्यालय में कोरोना नहीं फैलता।
न माया मिली न राम.. राम राम
दुविधा में दोनो गए न माया मिली न राम। ये कहावत टाटा वर्कर्स यूनियन अध्यक्ष आर रवि प्रसाद पर सटीक बैठ रही है। क्योंकि टाटा स्टील में ग्रेड रिवीजन समझौते के समय इन्होंने वर्तमान परिस्थिति और भविष्य की जरूरत ढ़िढ़ोरा पीटा। दावा किया कि टाटा स्टील में छह माह के अंदर 500 नए लोगों की बहाली कराई जाएगी। इसलिए ग्रेड रिवीजन में अध्यक्ष आर रवि प्रसाद ने डीए फ्रिज, मेडिकल एक्सटेंशन बंद सहित पिछली बार 18.25 के बजाए 12.75 प्रतिशत पर एमजीबी फाइनल कर लिया। स्पैन जिसे पीएन सिंह ने 17 से बढ़ाकर 20 करवाया था। एनएस कर्मचारियों का डीए परप्वाइंट भी इस समय यथावत ही रह गया। उम्मीद थी कि 500 बहाली होगी तो समर्थकों को नौकरी की मलाई खिलाकर सब गिले-शिकवे दूर कर लिए जाएंगे। लेकिन कोरोना वायरस ने सब पर पानी फेर दिया। न नए सदस्यों की बहाली निकली और कर्मचारियों को नुकसान हुआ सो अलग।
एक आंख में काजल दूसरे में सुरमा क्यों
टाटा कमिंस यूनियन के पूर्व महामंत्री अरुण सिंह की बर्खास्तगी इन दिनों प्रबंधन की कार्य प्रणाली पर कई सवाल उठा रही है। कमेटी मेंबर से लेकर कर्मचारियों में यही चर्चा है कि एक आंख में काजल तो दूसरे में सुरमा क्यों। जब मारपीट में अरुण सिंह और उनके जिगरी दोस्त मनोज सिंह, दोनों अपराधी थे तो एक को बर्खास्तगी और दूसरे का मात्र पांच दिन का निलंबन क्यों। क्या अरुण को यूनियन से साइड करने की ये सोची-समझी रणनीति है या पे स्लिप पर हड़ताल करने के कारण अरुण पर प्रबंधन द्वारा बर्खास्तगी का ये चाबुक है। जो भी हो, कर्मचारियों के मन में सवाल कई उठ रहे हैं। श्रम विभाग के प्रधान सचिव के पत्र के बाद प्रबंधन के जांच की परत दर परत खुलेगी कि आखिर जांच का आधार क्या था। इस मामले में उपश्रमायुक्त ने कमिंस चेयरमैन और एमडी तक को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।
एक कार्यालय में पांच-पांच यूनियन गुलजार
कोरोना वायरस ने जुस्को श्रमिक यूनियन की संवैधानिक मान्यता भले ही खत्म कर दी हो। लेकिन बिष्टुपुर स्थित यूनियन के एक कार्यालय के पते पर पांच-पांच यूनियन सदाबहार हैं। यहां जुस्को यूनियन व इंटक के अलावे झारखंड आम मजदूर यूनियन, झारखंड ड्राइवर यूनियन और इंडियन नेशनल मेटल वर्कर्स फडरेशन का कार्यालय गुलजार है। टाटा वर्कर्स और टिनप्लेट यूनियन का कार्यालय भले ही कोरोना के कारण बंद हो गए हो। लेकिन इनका कार्यालय बदस्तूर जारी है। कोरोना में शारीरिक दूरी का पालन करने और हाथ नहीं मिलाने का आदेश हो। लेकिन इस कार्यालय में पांव छूने की परंपरा आज भी कायम है। समर्थकों का कहना है कि बाबा अमरत्व लेकर आए हैं उन्हें कुछ नहीं होगा। यदि ऐसा है तो थोड़ी अमरत्व की जरूरत टीएमएच को भी दे दीजिए, जहां हर दिन मौत के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन चाहे कुछ भी हो जाए बाबा का दरबार सजा रहेगा।