Weekly News Roundup Jamshedpur : आम सभा पर गरमाई सियासत, पढ़िए कॉरपोरेट जगत की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur. पूरी प्रक्रिया में दोनों यूनियन नेता एक-दूसरे को कुर्सी से गिराकर खुद काबिज होने की कुश्ती लड़ रहे हैं। देखना दिलचस्प होगा कि...
जमशेदपुर, निर्मल। Weekly News Roundup Jamshedpur टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन में 27 फरवरी को कंपनी परिसर में हुए आम सभा के बाद ट्रेड यूनियन की सियासत गरमा गई है। टेल्को वर्कर्स यूनियन जहां अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है वहीं टाटा मोटर्स यूनियन सत्ता पर काबिज रहने की जुगत में है।
यूनियन ने सदस्यों से हस्ताक्षर कराकर साबित करने का प्रयास किया कि बहुमत उनके साथ है। जबकि टेल्को यूनियन के प्रकाश व हर्षवद्र्धन का तर्क है कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है। हाई कोर्ट ने उपायुक्त को टेल्को यूनियन में चुनाव कराने का आदेश दे दिया है तो इसके बाद जो भी घालमेल हुआ, सब अवैध है। तब यूनियन में 3600 सदस्य थे, चुनाव हुए तो यही सदस्य वापस पूरी प्रक्रिया में हिस्सा लेंगे। पूरी प्रक्रिया में दोनों यूनियन नेता एक-दूसरे को कुर्सी से गिराकर खुद काबिज होने की कुश्ती लड़ रहे हैं। देखना दिलचस्प होगा कि उपश्रमायुक्त किसे हराते व किसे जिताते हैं।
खुदकशी के बाद महकमा रेस
टाटा स्टील में पिछले दिनों ठेकेदार उमेश पांडेय ने बकाया बिल का भुगतान नहीं होने से परेशान होकर कंपनी के ऑक्सन यार्ड में फंदे से झूलकर आत्महत्या कर ली। इस घटना के बाद से ऊपर से लेकर नीचे तक के अधिकारियों के हाथ-पांव फूले हुए हैं, क्योंकि कंपनी के 113 वर्षों के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। कई अधिकारी खुद पर गाज गिरने से चिंतित हैं। घटना के बाद से पूरा महकमा रेस हो गया है। सुबह होने वाली प्लांट मीटिंग में भी विभागीय अधिकारी बोल रहे हैं कि यदि किसी संवेदक के बिल में कोई त्रुटि नहीं है तो उसे जल्द से जल्द निष्पादित करें। वहीं, मृतक के स्वजन सवाल उठा रहे हैं कि एक नैतिक कंपनी में इतने लंबे समय तक बिल बकाया रखने की वजह क्या है? वे इसे ही उमेश की मौत की वजह बताकर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग तक कर चुके हैं।
एरियर पर चुप्पी क्यों
टाटा स्टील में 23 सितंबर 2019 को ग्रेड रिवीजन समझौता हुआ। इसके बाद से ही नए कर्मचारियों को एरियर नहीं मिलने का मामला गरमाया हुआ है। विपक्ष के नेताओं से लेकर कई कमेटी मेंबरों तक ने यूनियन नेतृत्व को ज्ञापन सांैपा और बकाया दिलाने की मांग की। इसके बावजूद यूनियन नेतृत्व बकाया दिलाने से अधिक व्यस्त टाटा स्टील के शताब्दी वर्ष पर होने वाले कार्यक्रम को लेकर है। इसलिए बार-बार मांग करने के बावजूद यूनियन अध्यक्ष से लेकर कोई भी नेता इस पर खुलकर बोलना नहीं चाहता। लेकिन यूनियन नेतृत्व शायद भूल रहा है कि जल्द ही यूनियन का चुनाव है। इसमें कर्मचारी उन कमेटी मेंबरों से हिसाब लेंगे जिन्होंने उनकी मांग उठाने के बजाए सिर्फ यूनियन नेतृत्व की गणेश परिक्रमा की। विपक्ष इसी बात को भुनाने के लिए अभी से सक्रिय है। एरियर सहित विसंगति कमेटी बनाकर त्रुटि सुधारने के लिए पाशा फेंक दिया है और सक्रिय भी है।
खाना निश्शुल्क क्यों नहीं
टाटा मोटर्स की तर्ज पर टाटा स्टील कैंटीन में खाना निश्शुल्क क्यों नहीं करती? इन दिनों टाटा स्टील में इसकी चर्चा जोरों पर है। कैंटीन कमेटी की पिछले दिनों हुई बैठक में कंपनी प्रबंधन ने ग्रेड रिवीजन के बाद पूर्व परंपरा के तहत खाने की दर में बढ़ोतरी करने की अपनी मंशा जाहिर कर दी है। इसका कुछ ने विरोध किया। कुछ ने तर्क दिया कि मंदी की मार झेल रही टाटा मोटर्स में तीन वर्षों में ग्रेड रिवीजन समझौता होता है। उनका मुनाफा भी टाटा स्टील से काफी कम है। जब उक्त कंपनी अपने सभी कर्मचारियों को निश्शुल्क भोजन करा सकती है तो 11 मिलियन टन स्टील बनाने वाली कंपनी को क्या परेशानी है? इस पर टाटा वर्कर्स यूनियन के कुछ नेता होंडा, टाइटन व अन्य कंपनियों के खाने की गुणवत्ता, वेरायटी से भी तुलना कर रहे हैं, जहां वे हाल ही में कभी इंडस्ट्रीयल टूर पर गए थे।