जो हाथ रंगे थे खून से अब दिखा रहे हुनर, पढि़ए जेल की कालकोठरी में बदलाव की कहानी
जेल की कालकोठरी में बदलाव की यह कहानी सुखद संकेत देती है। यहां के कैदी व्यावसायिक प्रशिक्षण लेकर स्वरोजगार के रास्ते आसान कर रहे हैं।
जमशेदपुर, अन्वेष अंबष्ठ। हुनर मजबूरियों का मोहताज नहीं। बस जरूरत है इसे उचित अवसर व माहौल मिलने की। घाघीडीह सेंट्रल जेल के कैदियों के हुनर को लाल रंग की ऊंची चारदीवारी भी कैद नहीं कर सकी। यहां कौशल विकास केंद्र के माध्यम से कैदियों को उनकी रुचि के अनुसार प्रशिक्षित कर उनके लिए स्वरोजगार के मार्ग को प्रशस्त किया जा रहा है।
इतना ही नहीं, प्रशिक्षण देने के साथ ही श्रमिक निबंधन कार्यालय गोलमुरी में उनका नियोजन भी कराया जा रहा है, ताकि कुशल बनकर जेल से बाहर निकलें और समाज की मुख्यधारा से खुद को जोड़ सकें। अच्छे नागरिक के रूप में रोजगार हासिल कर रोजी-रोटी कमा सकें। अबतक 30 कैदियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है और उन्हें उनकी कुशलता के लिए प्रमाण पत्र दिया जा चुका है।
तैयार हो रहे प्लंबर-इलेक्ट्रीशियन, हस्तकरघा, चित्रांकन में हो रहे दक्ष
जेल में यहां कैदियों को प्लंबर, इलेक्ट्रिकल व इलेक्ट्रॉनिक्स सामान की रिपेयङ्क्षरग, चित्रांकन, हस्तकला, दरी, चटाई, टॉवेल बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जेल में कौशल विकास केंद्र का उद्घाटन अगस्त 2018 को झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अपयेश कुमार सिंह ने किया था। केंद्र का संचालन टाट स्टील फाउंडेशन संस्था की ओर से किया जाता है।
कटोरा और थाली भी बना रहे बंदी
घाघीडीह सेंट्रल जेल में अल्यूमीनियम की कटोरी, थाली और गमला भी बंदी बना रहे हैं। इसका प्रशिक्षण देने के लिए जेल में अत्याधुनिक मशीन स्थापित की गई है। यहां तैयार बर्तनों का उपयोग घाघीडीह सेंट्रल जेल के बंदी अपने लिए करते हैं। इसके अलावा कोल्हान समेत प्रदेश के अन्य जेलों में भी इसकी आपूर्ति की जा रही है। फिनाइल और साबुन बनाने की जानकारी भी बंदियों को दी जा रही है। पावरोटी का भी उत्पादन हो रहा है इसके लिए जेल में ऑटोमेटिक मशीन लगाई गई है। पावरोटी की बिक्री जेल के बंदियों के अलावा दूसरे जेलों में की जाती है। होने वाली आय को बंदियों के बीच बांट दी जाती है। इस कौशल विकास केंद्र में प्रशिक्षण लेने में कैदियों की खासी रुचि भी देखी जा रही है। जेल के अधिकारी इसे सकारात्मक परिवर्तन मान रहे हैं।
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