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न्यूजीलैंड में आतंकी हमले में घायल शमीम की आपबीती : साथ होता बेटा तो दोनों मारे जाते

न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में स्थित अल नूर मस्जिद में हुए आतंकी हमले में घायल मो. शमीम सिद्दीकी ने आपबीती बताते हुए कहा कि हमले के समय बेटा साथ होता तो दोनों मारे जाते।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 11:01 AM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 11:01 AM (IST)
न्यूजीलैंड में आतंकी हमले में घायल शमीम की आपबीती : साथ होता बेटा तो दोनों मारे जाते
न्यूजीलैंड में आतंकी हमले में घायल शमीम की आपबीती : साथ होता बेटा तो दोनों मारे जाते

जमशेदपुर,जागरण संवाददाता।  हर बार की तरह अगर मेरा बेटा सयान मेरे साथ नमाज पढ़ने के लिए अल नूर मस्जिद में पहुंच गया होता तो हम दोनों मारे गए होते। यह संयोग ही था कि वह मेरे साथ नहीं पहुंच पाया और गोली लगने के बाद भी मस्जिद की खिड़की के शीशे को तोड़कर मैं बाहर निकलने में कामयाब हो गया। मेरे साथ बेटा होता तो मैं उसे छोड़कर नहीं निकल पाता और हम दोनों मारे गए होते। ये अल्फाज हैं मो. शमीम सिद्दीकी के। न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में स्थित अल नूर मस्जिद में हुए आतंकी हमले में घायल मो. शमीम सिद्दीकी ने सोमवार अपनी ससुराल वालों से दूरभाष पर बातचीत की। वे बार-बार ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करते रहे। उन्होंने कहा कि ऊपर वाले की कृपा से ही बेटा सयान बच गया।

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उन्होंने बताया कि हर शुक्रवार को पूरा परिवार एक साथ अल नूर मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए जाता था। यह तो संयोग था कि घटना के दिन मैं अकेले नमाज पढ़ने के लिए चला गया। मैं मस्जिद के अंदर नमाज पढ़ने की तैयारी कर ही रहा था कि गोलियों की तड़तड़ाहट शुरू हो गयी। गोली चलता देख मैं अपनी पत्‍नी रेहाना को फोन किया कि कोई नमाज पढ़ने के लिए न आए। यहां पर गोली चल रही है। यह सुनकर पत्‍नी घबरा गयी। क्योंकि मेरा 16 वर्षीय पुत्र सयान मस्जिद के पास आ चुका था। पर वह समझदारी से काम लिया और गोली चलता देख भागकर घर पीछे चला गया। घर में जब मेरी पत्‍नी रेहाना को इसकी जानकारी दी तो वह घबरा गयी। वह मुङो देखने के लिए बाहर निकली।

मस्जिद की खिड़की का शीशा ताेड़ भागे

इधर, मस्जिद के अंदर अंधाधुंध हुई फायरिंग में मेरे हाथ में गोली लग चुकी थी, लेकिन मैं हिम्मत से काम लेते हुए मस्जिद की खिड़की का शीशा तोड़कर बाहर निकलने में कामयाब हो गया। शमीम सिद्दीकी ने बताया कि यदि मेरा पुत्र सयान उस समय मस्जिद के अंदर प्रवेश कर जाता तो मैं चाहकर भी उसे छोड़कर निकल नहीं पाता और हम दोनों मारे जाते। यह तो ऊपर वाले की देन है कि मेरा परिवार उस दिन मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए नहीं आया। वे प्रत्येक शुक्रवार को एक साथ पत्‍नी पुत्र व पुत्री आलिशा के साथ नमाज पढ़ने के लिए जाते थे।

शमीम का दूसरा ऑपरेशन हुआ सफल, तीसरा शुक्रवार को होगा

न्यूजीलैंड में हुए आतंकी हमले में घायल शमीम सिद्दीकी की ससुराल वालों के चेहरे पर सोमवार को कुछ रौनक नजर आई। शमीम का दूसरा ऑपरेशन सोमवार को हुआ। एक और शुक्रवार को ऑपरेशन होना है। उनकी सेहत में सुधार जारी है। मानगो रोड नंबर 12 स्थित कैशर कांप्लेक्स में शमीम की ससुराल है। उनकी पत्‍नी रेहाना ने सोमवार को अपनी मां कैशर जहां व भाई को फोन की। फोन पर उसने बताया कि न्यूजीलैंड सरकार बेहतर काम कर रही है। लेकिन, न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च स्थित अल नूर मस्जिद में हुए आतंकी हमले में जब से पति घायल हुए हैं तब से बच्चे भयभीत हैं। इसीलिए रेहाना परवीन ने अपनी मां से कहा है कि कुछ दिनों के लिए न्यूजीलैंड आ जाएं।

कई नसें हाे गईं हैं क्षतिग्रस्त

रेहाना ने मां से बताया कि शमीम का दूसरा ऑपरेशन पूरी तरह से सफल है। डॉक्टरों की टीम शुक्रवार को एक और ऑपरेशन करेगी। शमीम ने भी अपने परिजनों से बातचीत की। उन्होंने पहले से अपने को बेहतर बताया। स्वास्थ्य में सुधार से सास कैशर जहां, साला समशुल, नजमुल हसन के अलावा अन्य लोग भी खुश खुश नजर आए। सास व साला ने बताया कि शमीम के हाथ में लगी गोली को डाक्टरों ने शनिवार को निकाल दी थी। शुक्रवार को तीसरा ऑपरेशन होगा। इसके कुछ दिनों के बाद शमीम को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। कंधे व हाथ के बीच गोली लगने के कारण शमीम की कई नसें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। उसे दुरूस्त करने के लिए ही डाक्टर बार-बार ऑपरेशन कर रहे हैं।


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