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Jamshedpur News: कोरोना के इलाज में वेंटिलेटर का भी फूल रहा दम, एक्मो के लिए भेजा रहा चेन्नई व हैदराबाद

कोरोना की दूसरी लहर में वेंटिलेटर का भी दम फूल रहा है। कई गंभीर मरीजों का फेफड़ा इतना अधिक डैमेज हो गया कि वे वेंटिलेटर के माध्यम से भी सही ढंग से ऑक्सीजन लेने में असमर्थ हो गए। ऐसी स्थिति में चिकित्सक एक्मो मशीन की आवश्यकता बता रहे हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 25 May 2021 05:59 PM (IST)Updated: Tue, 25 May 2021 10:01 PM (IST)
Jamshedpur News: कोरोना के इलाज में वेंटिलेटर का भी फूल रहा दम, एक्मो के लिए भेजा रहा चेन्नई व हैदराबाद
डॉ. उमेश प्रसाद, विभागाध्यक्ष, एनेस्थीसिया, ब्रह्मानंद अस्पताल।

जमशेदपुर, अमित तिवारी। कोरोना की दूसरी लहर में वेंटिलेटर का भी दम फूल रहा है। कई गंभीर मरीजों का फेफड़ा इतना अधिक डैमेज हो गया कि वे वेंटिलेटर के माध्यम से भी सही ढंग से ऑक्सीजन लेने में असमर्थ हो गए। ऐसी स्थिति में चिकित्सक एक्मो मशीन की आवश्यकता बता रहे हैं, जो जमशेदपुर के किसी भी अस्पताल में मौजूद नहीं है। जिसके कारण मरीजों को हैदराबाद, चेन्नई सहित अन्य राज्यों में भेजा जा रहा है।

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लगभग 20 दिन पूर्व शहर के जाने-माने एक हड्डी रोग विशेषज्ञ के भगीना, जिनकी उम्र लगभग 33 साल थी उन्हें सांस लेने में परेशानी होने पर ब्रह्मानंद अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन उनका फेफड़ा अधिक डैमेज होने की वजह से वेंटिलेटर भी सही ढंग से काम नहीं कर रहा था। ऐसी परिस्थिति में उन्हें चेन्नई रेफर किया गया। मरीज को एयर एंबुलेंस के माध्यम से ले जाया गया। फिलहाल वह एक्मो मशीन पर ही सांस ले रहे है। इसी तरह और भी कई मरीजों को एक्मो की जरूरत पड़ी लेकिन किसी कारण से उनको यह सुविधा नहीं मिल सकी। एक्मो मशीन का चार्ज काफी अधिक है।

100 में चार मरीज मिल रहे, जिन्हें एक्मो की आवश्यकता

कोरोना की दूसरी लहर में देखा जा रहा है कि मरीजों का फेफड़ा तीव्र गति से डैमेज हुआ है। सौ में दो से चार मरीजों की स्थिति अत्यंत गंभीर होती है और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा जाता है। लेकिन उसके बावजूद वे सही ढंग से सांस नहीं ले पाते हैं। वैसे मरीजों को एक्मो प्रणाली की आवश्यकता होती है। लेकिन, जमशेदपुर में न तो एक्मो मशीन है और न ही प्रशिक्षित टीम। एक्मो प्रणाली वेंटिलेटर से ज्यादा कारगर है। जब कोरोना के गंभीर मरीजों को बचाने के लिए वेंटिलेटर या अन्य जीवन रक्षक प्रणाली भी कोई फायदा नहीं कर पा रही, तब एक्मो चिकित्सा प्रणाली कोरोना मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इस प्रणाली के द्वारा कोरोना मरीजों के फेफड़ों के रक्त में शुध्द ऑक्सीजन पहुंचाने उनकी जान बचाई जा रही है।

कई देशों में सफल रहा यह प्रयोग

कोरोना के दौरान एक्मो मशीन का उपयोग अमेरिका, यूरोप, आस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों में किया गया, जिसका परिणाम काफी अच्छा रहा। ऐसे में अब भारत में भी इसका उपयोग तेज गति से होने लगा है। कई अस्पतालों में यह मशीन लगाई जा रही है। झारखंड में सिर्फ रांची के मेडिका अस्पताल में एक मशीन है लेकिन अब दो नए मशीन मंगाई गई है। तीसरी लहर से पहले ये दोनों मशीन लग जाएगी।

क्या है एक्मो मशीन

एक्मो का पूरा नाम (एक्स्ट्राकारपोरेल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन) है। यह भी वेंटिलेटर की तरह ही एक जीवन रक्षक प्रणाली है। इसके द्वारा फेफड़ों तक शुध्द ऑक्सीजन पहुंचाने का काम किया जाता है। लेकिन इस प्रणाली में सबसे अच्छी बात ये है कि जब कोरोना के कारण फेफड़ों में सूजन और निमोनिया हो जाता है तब ये प्रणाली कृत्रिम फेफड़ों की तरह कार्य करती है। ये फेफड़ों पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ने देता है, जिससे कोरोना मरीजों में जल्दी सुधार देखा जाता है।

ये कहते डाॅक्टर

अगर शहर में भी एक्मो मशीन और प्रशिक्षित टीम मौजूद होती तो हम अधिक से अधिक मरीजों की जान बचा पाते। अभी जरूरत पड़ने पर मरीजों को बाहर भेजा जाता है। अधिकांश मरीज तो जाने की स्थिति में भी नहीं होते। कोरोना की दूसरी लहर में कई ऐसे मरीज सामने आए जिन्हें एक्मो मशीन की आवश्यकता थी लेकिन हम नहीं दे पाएं। एक्मो चिकित्सा थोड़ा महंगा है।

- डॉ. उमेश प्रसाद, विभागाध्यक्ष, एनेस्थीसिया, ब्रह्मानंद अस्पताल।


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