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Jamshedpur Education : डीबीएमएस बीएड कालेज में दिखे मातृभाषा के विविध रंग, अंधेर नगरी चौपट राजा का मंचन

DBMS B Ed College Jamshedpur. डा. जूही समर्पिता ने कहा कि भारत में 1652 भाषा बोली जाती है जिनमें 1365 मातृभाषा हैं। झारखंड में 32 जनजातियों की अपनी-अपनी भाषा है लेकिन सिर्फ पांच भाषा ही विकसित हो सकी है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 09:40 AM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 09:40 AM (IST)
Jamshedpur Education : डीबीएमएस बीएड कालेज में दिखे मातृभाषा के विविध रंग, अंधेर नगरी चौपट राजा का मंचन
डीबीएमएस बीएड कालेज, कदमा व सहयोग के संयुक्त तत्वावधान में आनलाइन अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया गया।

जमशेदपुर, जासं। DBMS Jamshedpur डीबीएमएस बीएड कालेज, कदमा व बहुभाषीय साहित्यिक संस्था सहयोग के संयुक्त तत्वावधान में आनलाइन अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया गया।  विभिन्न भाषाओं में काव्य पाठ किया गया। अपनी अपनी भाषा में विभिन्न कालेजों के छात्रों ने अपनी रचना प्रस्तुत की। इस भाषा महोत्सव में अधिकाधिक भाषाओं का प्रतिनिधित्व हुआ।

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इसमें डीबीएमएस कालेज आफ एजुकेशन की व्याख्याता पामेला घोष दत्ता ने बांग्ला में टैगोर की कविता सुनाई, वीणा पांडेय ने भोजपुरी, अशोक पाठक स्नेही ने मैथिली, सुरीना भुल्लर ने पंजाबी, सरिता सिंह ने वज्जिका, जयश्री पांडा ने ओड़िया, डा.जेएलपी राजू ने तेलुगू, माधुरी मिश्रा व डा.अरुण सज्जन ने हिन्दी में स्वरचित कविता सुनाई| "लहर-लहर कर पीली सरसों हमें बुलाती झपकी में दे थपकी, हमें जगाती पूरबाई, मह-मह करती सुवास सांस में घुल जाती है, निज भाषा की धानी चादर दे जाती है"। हो भाषा में डीबीएमएस की छात्रा तृप्ति रोमिला ने काव्य पाठ किया। इस अवसर पर भारतेंदु हरिश्चंद्र के लोकप्रिय नाटक ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ का मंचन भी किया गया, जिसमें डीएलएड की छात्राओं नें जीतराई हांसदा के निर्देशन में उम्दा प्रदर्शन किया। इनमें अर्पिता मुखर्जी, के. चंद्रमणि, रूबी कुमारी, किरण कुमारी, पुजारिनी मोहंता, मनप्रीत कौर, नेहा कुमारी, सीमा अयूबी, स्वप्निल सिंह व शिखा ग्रोवर शामिल थीं।

इन काॅलेजों की भी रही भागीदारी

इसमें जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कालेज, श्रीनाथ कालेज व जामिनीकांत बीएड कालेज के भी छात्रों ने भाग लिया। धन्यवाद ज्ञापन अर्चना कुमारी ने किया, जबकि कार्यक्रम का सफल संचालन डा. रागिनी भूषण (संस्कृत विभागाध्यक्ष, कोल्हान विश्वविद्यालय) ने किया। समारोह में कॉलेज की प्राध्यापिका, छात्राएं, बहुभाषीय साहित्यिक संस्था,सहयोग के कवि, प्रबुद्धजन और सैकड़ों श्रोता-दर्शक उपस्थित थे।

इन्होंने बनाया आयोजन को सफल

कार्यक्रम को सफल बनाने में सुदीप प्रमाणिक, अंजलि गणेशन, ललित किशोर, निक्की सिंह, जूलियन एंथोनी, बीरेंद्र पांडेय, अभिजीत दे, सुजाता, जूली आदि सक्रिय रहीं।समारोह के मुख्य अतिथि डीबीएमएस प्रबंधन के अध्यक्ष बी.चंद्रशेखर, विशिष्ट अतिथि भानुमती नीलकंठन, ललिता चंद्रशेखर, सचिव प्रिया धर्मराजन, गीता नटराजन, उषा रामानाथन, सतीश सिंह व प्राचार्य डा. जूही समर्पिता ने दीप प्रज्वलित कर समारोह का उद्घाटन किया। कार्यक्रम की शुुरुआत अमृता चौधरी व डीएलएड की छात्राओं ने सरस्वती वंदना से की। नेहा भारती व मौसमी दत्ता ने मातृभाषा का राष्ट्रीय शिक्षा नीति में महत्व पर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दिया। डा..कविता परमार ने विषय प्रवेश किया और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के मुख्य बिंदुओं की चर्चा की। गीता मोहनदास तमिल में, डा. मोनिका उप्पल अंग्रेजी, डा. कल्याणी कबीर हिन्दी, डा. शीला कुमारी भोजपुरी और डोला बनर्जी ने बांग्ला में मातृभाषा के महत्व और राष्ट्रीय शिक्षा नीति अपने अपने विचार रखे।

डा. जूही समर्पिता ने कहा

स्वागत भाषण के दौरान डा. जूही समर्पिता ने कहा कि भारत में 1652 भाषा बोली जाती है, जिनमें 1365 मातृभाषा हैं। झारखंड में 32 जनजातियों की अपनी-अपनी भाषा है, लेकिन सिर्फ पांच भाषा ही विकसित हो सकी है। इस वर्ष हमने 21वां अंतरराष्ट्रीय भाषा दिवस मनाया और यह संकल्प लिया कि मातृभाषाओं का विकास सुनिश्चित करेंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भारत की सभी मातृभाषा में अनेक पाठ्यक्रम चलाने के लिए तथा अनेक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया ।


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