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Bank Strike : बैंक निजीकरण का विरोध क्यों, यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियनों ने बताए कारण

Jamshedpur News केंद्र सरकार ने बजट में बैंकों के निजीकरण की घोषणा से देश भर के सार्वजनिक बैंकों में विरोध प्रदर्शन सहित दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल हो रहे हैं। इस हड़ताल का नेतृत्व यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन कर रहे हैं।

By Jitendra SinghEdited By: Published: Tue, 16 Mar 2021 11:03 AM (IST)Updated: Tue, 16 Mar 2021 11:03 AM (IST)
Bank Strike : बैंक निजीकरण का विरोध क्यों, यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियनों ने बताए कारण
बैंक निजीकरण का विरोध क्यों, यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियनों ने बताए कारण

जमशेदपुर : केंद्र सरकार ने बजट में बैंकों के निजीकरण (Bank Privatization) की घोषणा से देश भर के सार्वजनिक बैंकों  में विरोध प्रदर्शन सहित दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल (Strike) हो रहे हैं। इस हड़ताल का नेतृत्व यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (United Forum of Bank Union) कर रहे हैं। यूनियन नेताओं के अनुसार बैंकों के निजीकरण व विनिवेश के सरकार के फैसले के विरोध में और आम जनता, किसानों, लघु बचतकर्ताओं, पेंशनभाेगियों, छोटे व मध्यम आकार के उद्यमियों, व्यापारियों, स्वरोजगारियों, विद्यार्थियों, पिछले वर्ग के युवाओं, कर्मचारियों और देश के 95 प्रतिशत जनता के हितों की रक्षा के लिए है।बैंक निजीकरण का विरोध क्यों हो रहा है, इसका मतलब भी समझा रहे हैं। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के अनुसार :

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  • ग्रामीण शाखाओं का बंद होना और बैंकों का अधिक शहर उन्मुखीकरण यानि शहरीकरण होना।
  • सार्वजनिक बचत के लिए अधिक जोखिम, लघु बचत योजनाअें पर ब्याज में कमी और सेवानविृत, वरिष्ठ नागरिकों, पेशनधारियों की आय में कमी और उनके जीवनयापन में कठिनाई आएगी।
  • कृषि ऋणों में कमी, सीमांत और छोटे किसानों की कृषि कार्य से बेदखली का डर।
  • छोटे व मध्यम आकार के उद्योगों, व्यापारियों को कम ऋण के अलावे ऋण लेने में कठिनाई।
  • बुनियादी ढ़ांचे व जन उद्देश्य वाले विकास के लिए ऋण में कमी, जन सेवाओं का भी निजीकरण।
  • कॉरपोरेट व बड़े घरानों को सस्ते दर पर अधिक ऋण की व्यवस्था।
  • बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के कम अवसर।
  • स्थायी नौकरियों पर हमले और अनुबंध वाली नौकरियां। नौकरियों पर ठेकेदारों का कब्जा व लूट।
  • ग्राहकों के लिए अधिक सेवा शुल्क की वसूली।
  • जनता के बचत पूंजी पर बड़े कॉरपाेरेट घरानों का कब्जा और उसके मुनाफे पर मनमानी लूट।
  • सार्वजनिक बैंकों के मुनाफे से देश का विकास लेकिन निजीकरण में बैंकों को होने वाले मुनाफे का पूरा हिस्से निजी हाथों में।

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