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दिव्यांगों के लिए सफर हुआ आसान, बैटरी चलित ट्राईसाइकिल की करें सवारी

दिव्यांग को न ही ट्राई साइकिल पर पैडल मारना पड़ेगा और न ही सहायता के लिए किसी को साथ रखना पड़ेगा।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 11:17 AM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 11:17 AM (IST)
दिव्यांगों के लिए सफर हुआ आसान, बैटरी चलित ट्राईसाइकिल की करें सवारी

जमशेदपुर( दिलीप कुमार)। अब दिव्यांगों को एक से दूसरे स्थान तक जाने के लिए परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। न ही उन्हें ट्राई साइकिल पर पैडल मारना पड़ेगा और न ही सहायता के लिए किसी को साथ रखना पड़ेगा। सरायकेला-खरसावां जिले के गम्हरिया थाना क्षेत्र के बासुड़दा निवासी छात्र कामदेव पान ने दिव्यांगों के लिए अनोखी बैटरी चलित ट्राई साइकिल  और छोटी साइकिल बनाई है। वर्तमान में जमशेदपुर के काशीडीह में रहने वाले कामदेव ने कुल 25 हजार की लागत से ट्राई साइकिल  और 20 से 22 हजार की लागत से साइकिल बनाई है। इसमें हेड लाइट, बेक लाइट के साथ हॉर्न भी है। 

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मिला था दो लाख का मुद्रा लोन

अपने सपने को साकार करने के लिए उन्हें दो लाख का मुद्रा लोन मिला था। बैंक ऑफ इंडिया के गोलमुरी शाखा से उन्हें लोन आवंटित किया गया था। इतने कम राशि में भी उन्होंने विभिन्न कंपनियों से सामान मंगाकर दिव्यांगों के लिए साइकिल और ट्राई साइकिल  बनाया। जिला मुख्यालय में सोमवार को विभिन्न बैंकों के अधिकारियों के साथ जिला अग्रणी प्रबंधक (एलडीएम) फाल्गुनी राय ने बताया कि आवश्यकता पडऩे पर कामदेव को आगे भी लोन मुहैया कराया जाएगा।

50 और 90 किलोमीटर सफर कराएगा बैटरी

साइकिल और ट्राई साइकिल  के बैटरी को फूल चार्ज करने के बाद साइकिल 90 किलोमीटर और ट्राई साइकिल 50 किलोमीटर तक चलेगा। बैटरी चलित साइकिल और ट्राई साइकिल  की गति सीमा 30 किलोमीटर प्रतिघंटा होगा। कामदेव ने बताया कि साइकिल के बैटरी को चार्ज करने में तीन से चार घंटा और ट्राई साइकिल के बैटरी को चार्ज करने के लिए करीब दो घंटे का समय लगेगा। साइकिल का कुल वजन 65 किलो है, जिसमें 40 किलो का बैटरी लगाया हुआ है।

दिव्यांगों के लिए कुछ करने की चाह

कामदेव पान ने बताया कि उनका उद्देश्य लाभ कमाना नहीं बल्कि, दिव्यांगों का मदद करना है। दीपावली पर जब सभी खुशियां मना रहे थे तब वे दिव्यांगों के लिए साइकिल तैयार करने में लगे थे। काशी साहू कालेज सरायकेला से विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई करने वाले कामदेव बताते हैं कि उन्हें उच्च शिक्षा हासिल करने का मन था, लेकिन आर्थिक स्थिति के कारण आगे की पढ़ाई नहीं कर सका। उन्होंने बताया कि साइकिल और ट्राई साइकिल  बनाने में सरकारी मदद मिलने और अधिक संख्या में निर्माण करने पर दोनों की लागत कम होगा।

कंपनियों से मिल रहा ऑफर

दिव्यांगों के लिए बैटरी चलित साइकिल और ट्राई साइकिल  बनाने के बाद कामदेव को कई कंपनियों से ऑफर मिल रहा है। तमिलनाडु के जेनेसिस और बंगलुरू के सोवेसिस कंपनी ने अपने उत्पाद को बेचने के लिए ऑफर दिया है। कामदेव ने बताया कि कंपनी ने उनके साथ 20 साल का अनुबंध करने की भी बात कही है।


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