Move to Jagran APP

Jharkhand Fashion : फैशन की अंतरराष्ट्रीय दुनिया में पहचान बना रही आदिवासी कला सोहराय Jamshedpur News

Jharkhand Fashion. रंग ला रही जमशेदपुर की फैशन डिजाइनर प्राची मोहन की कोशिश नई पीढ़ी को जनजातीय कला के प्रति प्रेरित करने को चला रही अभियान।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 11:34 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 11:04 AM (IST)
Jharkhand Fashion : फैशन की अंतरराष्ट्रीय दुनिया में पहचान बना रही आदिवासी कला सोहराय Jamshedpur News
Jharkhand Fashion : फैशन की अंतरराष्ट्रीय दुनिया में पहचान बना रही आदिवासी कला सोहराय Jamshedpur News

जमशेदपुर, विकास श्रीवास्तव। Fashion यह झारखंड की जनजातीय कला को न केवल सहेजने बल्कि उसे व्यापक फलक प्रदान करने का प्रयास है। किसी कला को गुम होने से बचाने के लिए उसे बदलते दौर के बीच नए कलेवर के साथ प्रस्तुत करना भी एक सशक्त माध्यम हो सकता है। इस बात को बखूबी समझा है प्राची मोहन ने।

loksabha election banner

उन्होंने झारखंड की आदिवासी कला सोहराय को फैशन की दुनिया में देश-विदेश में पहचान दिलाई है। बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान में आदिवासी सम्मेलन संवाद - 2019 के समापन समारोह में फैशन शो के दौरान सोहराय कला से सजी साडियों व अन्य परिधान में रैंप वाक करती आदिवासी युवतियां इस परंपरागत कला की वाहक बनीं।  

जमशेदपुर की फैशन डिजाइनर प्राची को विभिन्न फोरम पर मिली सराहना

प्राची मोहन जमशेदपुर की हैं। यहां स्कूलिंग के बाद उन्होंने कोलकाता से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया। उसके बाद एमएस यूनिवर्सिटी वडोदरा से उन्होंने क्लोदिंग एंड टेक्सटाइल्स में मास्टर्स डिग्री हासिल की। इसके बाद एक प्रोजेक्ट के तहत सोहराय कला को फैशन वल्र्ड में पहचान दिलाने में जुट गईं। पहले कलेक्शन को ही देश-विदेश के विभिन्न फोरम पर भरपूर सराहना मिली। 

अपने प्रोजेक्ट में सोहराय को किया शामिल

कुछ अलग करने के व अलग तरह से करने के स्वभाव ने प्राची को आदिवासी परंपरागत कला की ओर ध्यान खींचा। उन्होंने झारखंड की जनजातीय कला सोहराय को फैशन में शामिल करने को चुनौती के रूप में लिया। इस थीम पर अपने पहले कलेक्शन को मिली भरपूर सराहना के बाद उन्होंने साड़ी व अन्य परिधानों पर सोहराय के साथ ही अन्य परंपरागत कलाओं जैसे मधुबनी पेंटिंग, बंधानी आदि को अपने फैशन कलेक्शन का थीम बनाया है। प्राची ने पद्मश्री बुलू इमाम के साथ भी काम किया है। 

ताकि प्रेरित हो नई पीढ़ी

अपनी सोच के प्रति प्राची मोहन काफी स्पष्ट हैं। उनका मानना है कि इस आदिवासी कला को एक नया मुकाम दिलाना चाहती हैं। ज्यादा से ज्यादा लोगों को तक यह कला पहुंच सके, इसके लिए प्रयासरत हैं। इसके लिए कोई भी उपयुक्त मंच हो सकता है। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि आज की पीढ़ी अपनी इस गौरवशाली पारंपरिक कला को सहेजने के लिए प्रेरित हो सकेगी। प्राची अपने प्रोजेक्ट के साथ फिलहाल टाटा स्टील ग्रेफेन डेवलपमेंट सेंटर से जुड़ी हुई हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.