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यह परंपरा आपको कर देगी हलकान, गर्म छड़ से दागकर करते बीमारियों का इलाज

chiridag. साल में एक बार मकर संक्रांति के दूसरे दिन सुबह - सुबह मरीज का लोहे की गर्म छड़ से इलाज किया जाता है। इसे चिड़ीदाग कहते हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 02:36 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 02:36 PM (IST)
यह परंपरा आपको कर देगी हलकान, गर्म छड़ से दागकर करते बीमारियों का इलाज
यह परंपरा आपको कर देगी हलकान, गर्म छड़ से दागकर करते बीमारियों का इलाज

जमशेदपुर, जेएनएन। पेट की समस्त बीमारियों का एक इलाज ! लोहे की गर्म छड़ है इलाज का औजार। आधुनिक युग में भी बीमारियों के इलाज का अनोखा रिवाज बदस्तूर जारी है। यह इलाज होता है झारखंड के पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर प्रखंड के आदिवासी बहुल गदड़ा गांव में। डॉक्टर हैं जेना जामुदा। पेट दर्द और पेट से संबंधित बीमारियों के इलाज के लिए शहर से सटे इस गांव में छोटे बच्चे से लेकर वृद्ध तक पहुंचते हैं।

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जेना जामुदा बताते हैं कि पुरानी मान्यता के तहत रिवाज है कि मकर संक्रांति के दूसरे दिन अखंड जतरा के साथ गांव में खेत और गोबर जमा किये जाने वाले जगह पर तीन बार कुदाल चलाया जाता है। इस तिथि से हर शुभ कार्य शुरू हो जाता है। जहां तक पेट दर्द और पेट से संबंधित तकलीफों से निजात दिलाने का सवाल है तो इलाज का यह तरीका वर्षो से प्रचलन में है। वे तीस सालों से इसी पद्धति से इलाज कर रहे है। उनसे पहले उनके पिता जी और उनसे पहले दादा जी इसी तरीके से इलाज करते थे।

साल में एक बार होता है इलाज

जेना जामुदा ने बताया कि साल में एक बार मकर संक्रांति के दूसरे दिन सुबह - सुबह मरीज का इलाज किया जाता है। पेट की समस्त बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए सभी आयु वर्ग के मरीज इलाज के लिए आते हैं। इसे चिड़ीदाग कहते हैं।

गर्म छड़ से होता है ऐसे इलाज

खाली पेट आए हुए मरीज को खटिया पर सुला दिया जाता है। फिर नाभि के चारो तरफ सरसो का तेल लगा दिया जाता है। उसके बाद जलती लकड़ी की आग से गर्म छड़ निकालकर मरीज की नाभि के पास तीन जगहों पर दागा जाता है। दर्द से छटपटाने की स्थिति में गांव वाले मरीज का हाथ और पांव कसकर पकड़कर रखते हैं। ताकि इलाज में परेशानी खड़ा न हो।

खतरनाक है यह: डॉ वकील सिंह

डॉ वकील सिंह।

चिकित्सक डॉक्टर वकील सिंह ने कहते कि लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। खतरनाक है यह। इस तथाकथित इलाज के तरीके से शरीर का पतला स्‍कीन जलने और संक्रमण फैलने की प्रबल संभावना है।

लोगों को जागरूक करने की जरूरत

समाजसेवी और टाटा मोटर्स कर्मी दीपक कुमार बताते हैं कि वे इस इलाज को करीब से देख चुके हैं। यह कष्टदायक तो है ही जोखिम भरा भी। लोगों को जागरूक करने की जरूरत है कि परंपरा की आड़ में इस जानलेवा इलाज से बचें। उनकी कोशिश होगी कि लोगों को समझाएं।


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