ई- कॉमर्स एवं जीएसटी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की चुप्पी से व्यापारी नाराज
कैट के राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय सचिव का कहना है कि वर्ष 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कैट को बताया था कि जिस जीएसटी की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी जीएसटी का वर्तमान स्वरूप ठीक उसके उल्ट और बेहद जटिल हो गया है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : देश के ई-कॉमर्स व्यापार में विदेशी धन पोषित ई कॉमर्स कंपनियों की लगातार मनमानी और नियम व कानून का उल्लंघन, जीएसटी की दिन-प्रतिदिन बढ़ रही जटिलता ने देश के व्यापारी समुदाय को बर्बादी के चौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है। बार-बार इन मुद्दों पर आवाज उठाने के बाद भी केंद्र और राज्य सरकारों ने जिस प्रकार की चुप्पी साध रखी है उससे देश भर के व्यापारी बेहद नाराज और आक्रोशित हैं।
इस स्तिथि को अब और अधिक बर्दाश्त न करने की घोषणा के साथ कंफ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने इन ज्वलंत मुद्दों सहित अन्य व्यापारिक मुद्दों को लेकर एक राष्ट्रव्यापी संघर्ष अभियान छेड़ने की घोषणा की है जिसकी रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए कैट ने देश के सभी राज्यों के प्रमुख व्यापारी नेताओं का एक राष्ट्रीय सम्मेलन आगामी 11 -12 जनवरी को उत्तर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी कानपुर में आयोजित करेगी। इस सम्मेलन में सभी राज्यों और विभिन्न उत्पादों के राष्ट्रीय संगठनों ने लगभग 100 व्यापारी नेता भाग लेंगे।
ये कहते राष्ट्रीय अध्यक्ष
उक्त जानकारी कैट के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने दी। बकौल सुरेश, ऐसा लगता है कि देश की सभी सरकारों ने विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों के आगे घुटने टेक दिए हैं। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले दो वर्षों से विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय मंचों पर एवं सार्वजनिक रूप से ई कॉमर्स कंपनियों को चेतावनी देने में कोई कसर नहीं छोड़ी और न मानने पर क़ानून अपना काम करेगा, की बात भी जोर-शोर से कही। लेकिन अभी तक देश भर के व्यवसायी कड़े कानून के क्रियान्वित होने का इंतजार कर रहे हैं। कैट के अधिकारियों का कहना है कि आखिर क्या कारण है कि नियम एवं क़ानून की अवहेलना करने वाली ई कॉमर्स कंपनियां पर गांजा सहित अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं की खुलेआम बिक्री कर रही है। केंद्र एवं राज्य सरकारों को ई कॉमर्स कंपनियों द्वारा जीएसटी के राजस्व की क्षति पहुंचाने के सबूत दिए जाने के बाद भी सरकार चुप है। इससे प्रतीत होता है कि केंद्र व राज्य सरकार विदेशी दबाव में है इसलिए ई-कॉमर्स कंपनियां खुलकर अपनी मनमानी कर रही है।
बेहद जटिल हो चुकी है जीएसटी
कैट के राष्ट्रीय महासचिव प्रवीण खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया का कहना है कि वर्ष 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कैट को बताया था कि जिस जीएसटी की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी, जीएसटी का वर्तमान स्वरूप ठीक उसके उल्ट और बेहद जटिल हो गया है। जेटली के देहावसान के बाद जीएसटी कॉउंसिल ने व्यापारियों से सलाह मशविरा करना छोड़ दिया और ऐसे निर्णय लिए जा रहे हैं जिनका कोई जमीनी आधार नहीं है। टेक्सटाइल और फुटवियर पर जीएसटी की कर दरों में वृद्धि का प्रस्ताव इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। देश की 85 प्रतिशत जनसंख्या एक हजार रुपये से कम कीमत के कपडे एवं जूते चप्पल खरीदती है तो उन्हें पांच के बजाए 12 प्रतिशत जीएसटी देना होगा। इस नए कानून का सीधा असर देश के 85 प्रतिशत आबादी पर पडेगा। यह निर्णय बेहद अतार्किक है और देश भर में फैले छोटे-छोटे निर्माताओं, कारीगरों और अन्य वर्गों की रोजी रोटी बुरी तरह प्रभावित होगी। जीएसटी का पूरा ढांचा ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस के विपरीत हो गया है लेकिन कोई सुनने वाला नहीं। देश की सभी राज्य सरकारों ने अपने लाभ की खातिर जीएसटी के स्वरूप को बेहद विकृत कर दिया है।
विराट संघर्ष की हो रही है तैयारी
कैट के अधिकारियों का कहना है कि देश भर के व्यापारी सरकार की अस्पष्ट नीति से तंग आ चुके हैं और अब और कोई विकल्प न होने के कारण देश भर में एक विराट संघर्ष अभियान छेड़ने को मजबूर हो गए हैं। आगामी 11 -12 जनवरी को कानपुर में होने वाले राष्ट्रीय व्यापारी सम्मेलन में देश के प्रमुख व्यापारी नेता इसके लिए एक बृहद रणनीति तय करेंगे। जिसके अंतर्गत देश के सभी राज्यों में भारत व्यापार स्वराज्य रथ यात्रा, राज्यस्तरीय विराट व्यापारी सम्मेलन, देश भर के बाज़ारों में विरोध जलूस, मशाल जलूस, धरने, सांसदों एवं विधायकों का घेराव, प्रदर्शन, राज्यस्तरीय व्यापार बंद एवं भारत व्यापार बंद की योजना सहित अन्य विरोध कार्यक्रमों को अंतिम रूप देंगे। साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों को हराने की बड़ी योजना पर भी नीति तय करेंगे।