नए साल में दलमा आने वाले पर्यटकों को पीना होगा मिट्टी के बोतल में पानी
राष्ट्रीय उद्यानों और अभ्यारण्यों में प्लास्टिक का उपयोग को प्रतिबंध लगा दिया गया है। सरकार के आदेश के बाद हाथियों के लिए संरक्षित दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के अंदर प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगने के बाद अब इसका पालन भी किया जाने लगा।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : सरकार द्वारा सभी राष्ट्रीय उद्यानों और अभ्यारण्यों में प्लास्टिक का उपयोग को प्रतिबंध लगा दिया गया है। सरकार के आदेश के बाद हाथियों के लिए संरक्षित दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के अंदर प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगने के बाद अब इसका पालन भी किया जाने लगा। इसके लिए दलमा के गांव में ही प्रथम चरण में 3000 मिट्टी के बोतल बनाए जा रहे हैं। इसमें से आधे बन भी गए हैं।
अब पर्यटकों को पानी ले जाने के लिए दलमा के मकुलाकोचा में स्थित प्रवेश द्वार पर मिट्टी की बोतल खरीदकर उसमें पानी ले जाना होगा। इसके अलावा खाना खाने के लिए पत्तल भी मिलने लगेगा। जिसकी तैयारी पूरे जोर-शोर से चल रही है। जंगल में प्लास्टिक का उपयोग करने पर 25 हजार का लग सकता है जुर्माना
दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के डीएफओ डा. अभिषेक कुमार कहते हैं कि वन्य जीवों व उनके प्रवास पर प्लास्टिक से पड़ने वाले उसके कुप्रभाव के कारण वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 33 द्वारा प्रदत शक्ति का उपयोग करते हुए सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग, कचरा फेंकने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। डीएफओ ने बताया कि इसका उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को अधिकतम तीन वर्ष की सजा या अधिकतम 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
जब तक मिट्टी की बोतलें नहीं आ जाती, पैसा जमा कर ले जा सकते हैं पानी की बोतल
दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के रेंजर दिनेश चंद्रा कहते हैं कि जब तक मिट्टी की बाेतलें बनकर नहीं आ जाती तब तक पर्यटकों को प्लास्टिक की बोतल शर्त के साथ ले जाने की इजाजत दी गई है। शर्त यह है कि जितने बोतल पानी ले जाते हैं, उसके बदले में नाका के पास ही 20-20 रुपये जमा करना होगा। जब वापसी में खाली बोतल जमा करना होगा, उसके बाद उनका जमा किया हुआ पैसा वापस कर दिया जाएगा। इस तरह दलमा के अंदर प्लास्टिक का सफाया करने की मुहिम सफल हो रहा है।