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Tokyo Olympics 2020 : यह रामायण-महाभारत वाला तीर-धनुष नहीं, इंजीनियरिंग का कमाल वाला एक धनुष की कीमत 75 हजार रु. से भी अधिक

भारतीय संस्कृति में तीर-धनुष का अलग महत्व है। रामायण हो या महाभारत सभी में बांस से बने तीर-धनुष से ही लड़ाई लड़ी गई। लेकिन क्या आपको पता है कि पेशेवर तीरंदाज जो तीर-धनुष का उपयोग करते हैं वह बांस का नहीं बना होता है। जानिए कैसे...

By Jitendra SinghEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 12:58 PM (IST)
Tokyo Olympics 2020 : यह रामायण-महाभारत वाला तीर-धनुष नहीं, इंजीनियरिंग का कमाल वाला एक धनुष की कीमत 75 हजार रु. से भी अधिक
यह रामायण-महाभारत वाला तीर-धनुष नहीं, उन्नत है इसकी तकनीक

जितेंद्र सिंह, जमशेदपुर। हजारों वर्षों से भारतीय संस्कृति में तीर-धनुष का काफी महत्व है। चाहे रामायण हो या फिर महाभारत, वीरों ने तीरों से दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए। आमतौर पर हमें यह पता होता है कि तीर-धनुष बांस के बने होते हैं।

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हॉलीवुड की फिल्मों की बात करें तो तीरंदाजी की सबसे लोकप्रिय सांस्कृतिक अवधारणा रॉबिनहुड की पसंद से आई थी। मध्यकालीन लोक कथाओं की हॉलीवुड की कल्पना जिसमें तकनीक की विशेषता एक साधारण लकड़ी के धनुष और कॉर्डेड बॉलस्ट्रिंग से अधिक जटिल नहीं है।

पेशेवर तीरंदाज बांस के धनुष से नहीं खेलते

लेकिन तीरंदाजी खेल में प्रयोग होने वाले तीर धनुष हमारे सोच से कहीं अधिक उन्नत हैं। यहां तीर धनुष में बांस का उपयोग नहीं किया जाता है। यह कार्बन का बना होता है, क्योंकि कार्बन काफी लचीला होता है। जाहिर है, टोक्यो ओलंपिक में तीरंदाजों के पास जो तीर-धनुष हम देख रहे हैं वह रामायण, महाभारत से लेकर रॉबिनहुड की काल्पनिक दुनिया से कोसों दूर है।

 

कार्बन फाइबर के बने होते हैं तीर-धनुष

टोक्यो ओलंपिक में इस्तेमाल में आने वाला तीर-धनुष इंजीनियरिंग का कमाल है। भारत की स्वर्णपरी कही जाने वाली दीपिका कुमारी की कोच पूर्णिमा महतो कहती है, तीरंदाजी अब सिर्फ लकड़ी की छड़ी और स्ट्रिंग से बहुत बदल गए हैं, जो कि ज्यादातर लोग सोचते हैं। अधिकांश धनुषों में बहुत कम लकड़ी होती है और मुख्य रूप से एल्यूमीनियम और कार्बन फाइबर से बने होते हैं। ये सामग्री मजबूत और हल्के वजन की होती है, जिससे तीरंदाजों को स्ट्रिंग (धनुष) पर वापस खींचते समय उन पर बहुत दबाव डालने की इजाजत मिलती है।

यह आपके दादाजी का धनुष-बाण नहीं

यह पारंपरिक तीर-धनुष से काफी अलग होता है। उदाहरण के लिए, तीरंदाजों को निशाना लगाने के लिए पिस्तौल जैसी दृष्टि का उपयोग करने की अनुमति है। आश्चर्य है कि जब शीर्ष स्तर के तीरंदाजी उपकरण की बात आती है तो धनुष से चिपकी हुई वे विशाल छड़ें क्या होती हैं? उन छड़ों को 'स्टेबलाइजर्स' कहा जाता है, और इस छड़ी के अंत में वजन होता है। इसे हम फिजिक्स की भाषा में भार जड़ता (इनर्शिया) से जोड़ सकते हैं। इसी इनर्शिया के कारण तीरंदाजों के लिए लक्ष्य के दौरान अपने धनुष को स्थिर रखना आसान होता है। जब तीरंदाज तार छोड़ता है तो वे कंपन (Vibration) को भी अवशोषित (absorb)कर लेता है।

 

एक धनुष की कीमत 75 हजार रुपए से भी अधिक

लोकप्रिय धनुष में होयट प्रोडिजी और होयट फॉर्मूला रिकर्व राइजर होता है। उनका सुव्यवस्थित डिज़ाइन उस तरह की सटीकता प्रदान करता है जो आप पारंपरिक धनुष और तीर से नहीं सोच सकते। एक उन्नत धनुष की कीमत 75 हजार रुपए से अधिक होती है।

आउटडोर मैच में होता लाइटवेट कार्बन वाले तीरों का इस्तेमाल

ओलंपिक तीरंदाजी में प्रत्येक तीरंदाज आउटडोर शूटिंग के लिए अल्ट्रा लाइटवेट कार्बन से बने तीरों का उपयोग करता है। आधिकारिक ओलंपिक तीरंदाजी का लक्ष्य तीरंदाजों से 70 मीटर (230 फीट) पर होता है। इनडोर तीरंदाजी के लिए लक्ष्य 18 मीटर (60 फीट) हैं। इ़नडोर तीरंदाजी में एल्यूमीनियम के तीर लोकप्रिय हैं। ये तीर ज्यादा दूरी तय नहीं कर पाते हैं, क्योंकि वह कार्बन से बने तीर से भारी होते हैं।

 

इनडोर गेम्स में होता अल्युमीनियम वाले तीरों का उपयोग

सोने के मानक (या, अधिक सटीक होने के लिए, उच्च शक्ति वाले कार्बन फाइबर को 7075 सटीक मानक से बंधे हुए) तीरों को ईस्टन X10s कहा जाता है। पतली दीवार वाले एल्यूमीनियम कोर के साथ इन कार्बन फाइबर तीरों का उपयोग 1996 में अटलांटा खेलों के बाद से हर एक ओलंपिक पदक जीतने के लिए किया गया है।


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