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सड़े गले फल भी बड़े काम के, यहां बन रहा टॉयलेट क्लीनर, पढ़‍िए Jamshedpur news

सड़े गले फल का यह इस्तेमाल आपको चौंकाएगा। इससे टॉयलेट क्लीनर बनाया जा रहा है। महज चार सप्ताह में 1500 लीटर क्लीनर तैयार हो जाता है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 05 Oct 2019 07:44 AM (IST)Updated: Sat, 05 Oct 2019 03:20 PM (IST)
सड़े गले फल भी बड़े काम के, यहां बन रहा टॉयलेट क्लीनर, पढ़‍िए Jamshedpur news
सड़े गले फल भी बड़े काम के, यहां बन रहा टॉयलेट क्लीनर, पढ़‍िए Jamshedpur news

जमशेदपुर, मनोज सिंह। सड़े गले फलों को बेकार समझने की भूल न करें। यह भी बड़े काम की चीज है।इससे भी उपयोग की चीजें तैयार हो सकती हैं। जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति (अक्षेस) ने कचरा प्रबंधन की एक अनूठी मिसाल पेश की है। समिति आर्गेनिक टॉयलेट क्लीनर बना रही है। यह सड़े-गले फलों व उसके छिलके से तैयार किया जा रहा है।

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जमशेदपुर नगर निकाय इस कार्य को टोटल वेस्ट सॉल्यूशन नामक एक स्वयंसेवी संगठन की मदद से कर रहा है। सिदगोड़ा डीपो में पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह प्रयोग हो रहा है। चार सप्ताह में 1500 लीटर क्लीनर तैयार हो रहा है। इस क्लीनर का उपयोग 59 सरकारी शौचालयों की सफाई में किया जाता है। जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति का कार्यालय भी इसी आर्गेनिक टॉयलेट क्लीनर से साफ हो रहा है।

आर्गेनिक टॉयलेट क्लीनर के फायदे ही फायदे

विशेषज्ञ और योजना पर काम करने वाले टोटल वेस्ट सॉल्यूशन के प्रमुख सौरव कुमार कहते हैं कि फल वाले, जूस वाले सड़े-गले फल मौसमी, नारंगी, नींबू और उसके छिलके सड़क पर या नाली में फेंक देते हैं। इससे नाली जाम हो जाती है, साथ ही कीड़े-मकोड़े पर्यावरण को दूषित करते हैं। इस पहल से पर्यावरण की रक्षा होगी। कचरा का उपयोगी साबित होगा। शहर के सभी प्रमुख स्थानों से सड़े-गले फलों व छिलकों को अक्षेस के कर्मचारी जमा कर सिदगोड़ा स्थित डीपो में स्थापित कंटेनर में जमा करते हैं। यहां नौ कंटेनर स्थापित किए गए हैं। महज 3-4 सप्ताह में 1500 लीटर क्लीनर तैयार हो जाता है।

यह ऐसे होता है तैयार

सौरव कुमार कहते हैं कि टॉयलेट क्लीनर बनाने में बायो एंजाइम इनिशीएटर का प्रयोग होता है। यह सूक्ष्मजीवी होते हैं। बैक्टीरिया इसे एसिड में परिवर्तित कर देता है, जो एक आर्गेनिक एसिड होता है। यह एसिड टॉयलेट क्लीनर के रूप में उपयोग किया जाता है। 

टाइल्स की भी कर सकते सफाई 

टॉयलेट क्लीनर का उपयोग टायलेट के साथ दीवार व टाइल्स की सफाई में होता है। लागत परंपरागत फिनायल से तीन गुना कम है। इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता। इसमें कोई बाहरी केमिकल का उपयोग नहीं होता। कुछ दिनों बाद इसे हर घर में पहुंचाने की कोशिश की जाएगी। इसे बाजार में उतारा जाएगा।

- कृष्ण कुमार, विशेष पदाधिकारी, जमशेदपुर अक्षेस


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