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26 की राष्ट्रव्यापी हड़ताल में टिस्को व टेल्को कर्मचारी यूनियन भी होगी शामिल Jamshedpur News

Nationwide strike. केंद्र सरकार की कथित मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ एक बार फिर सीटू (सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस) की अगुवाई में जमशेदपुर की हड़ताल को सफल बनाने की तैयारी की गई है। इस बाबत बैठक कर रणनीति बनाई गई।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 07 Nov 2020 11:05 AM (IST)Updated: Sat, 07 Nov 2020 11:05 AM (IST)
26 की राष्ट्रव्यापी हड़ताल में टिस्को व टेल्को कर्मचारी यूनियन भी होगी शामिल  Jamshedpur News
हड़ताल को सफल बनाने के लिए आयोजित बैठक में कई ट्रेड यूनियनों प्रतिनिधि शामिल हुए।

जमशेदपुर, जासं।  केंद्र सरकार की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ एक बार फिर सीटू (सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस) की अगुवाई में जमशेदपुर की हड़ताल को सफल बनाने की तैयारी की गई है। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र फेडरेशनों द्वारा आहूत 26 नवंबर की राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल को सफल बनाने के लिए सीटू से संबंधित यूनियनों की बैठक शुक्रवार गोलमुरी में हुई।

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कामरेड केके त्रिपाठी की अध्यक्षता में हुई बैठक में बीएसएसआर (बिहार स्टेट सेल्स रिप्रेजेंटेटिव्स) यूनियन, टिस्को कर्मचारी यूनियन, इंडस्ट्रियल मजदूर यूनियन, सिंहभूम कामगार यूनियन, टेल्को कर्मचारी यूनियन, टिनप्लेट कर्मचारी यूनियन व कॉपर इम्प्लाइज यूनियन के नेताओं ने भाग लिया था।

स्‍थानीय स्‍तर की मांगों पर भी चर्चा

इसमें सबसे पहले गांधी जयंती पर राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित श्रमिकों के ऑनलाइन सम्मेलन में सर्वसम्मति से पारित घोषणा पत्र और उसके माध्यम से उठाई गई मांगों का समर्थन किया गया। इसके साथ ही मजदूरों से संबंधित राज्य और स्थानीय स्तर की मांगों पर चर्चा की गई। इसी क्रम में 26 नवंबर की राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर चर्चा की गई। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सभी यूनियनें संबंधित सक्षम अधिकारियों को हड़ताल का नोटिस देंगी और पर्चे, ग्रुप मीटिंग, गेट मीटिंग, पोस्टरिंग, नुक्कड़ सभा, सोशल मीडिया आदि के माध्यम से संगठित और असंगठित श्रमिकों के बीच वर्तमान हमलों, नए कानूनों के प्रभाव और श्रमिक वर्ग के भविष्य के मुद्दों पर सघन प्रचार अभियान किया जाएगा। 

23 नवंबर से शुरू होगइ पदयात्रा

इस हड़ताल को सफल बनाने के लिए 23 नवंबर से पदयात्रा और छोटी रैलियां की जाएंगी। 26 नवंबर को धरना, रैली, मानव श्रृंखला आदि के माध्यम से कारपोरेट जगत और सरकार को यह संदेश देने की कोशिश होगी कि भारतीय कामगार और किसान अपने अधिकारों का समर्पण करने के लिए तैयार नहीं हैं।


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