World Aids Day 2019: झारखंड के इस जिले में हर साल दस फीसद बढ़ रहे एड्स के मरीज, आंकड़़े़े कर रहे हलकान
World Aids Day 2019. झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में तीन हजार एड्स मरीज हैं। हर साल दस फीसद रोगी बढ़ रहे हैंं। हर माह 300 लोगों की जांच होती है।
जमशेदपुर, जासं। World Aids Day 2019 झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में हर साल दस फीसद एड्स के रोगी बढ़ रहे है। इसका खुलासा, महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल की रिपोर्ट से हुआ है। यहां पर एड्स मरीजों को बेहतर सेवा उपलब्ध कराने की मकसद से अलग सेंटर संचालित किया जाता है। यहां करीब तीन हजार रजिस्टर्ड मरीज हैं। जिनका इलाज चल रहा है।
अस्पताल का आंकड़ा देखा जाए तो हर माह करीब 300 रोगी जांच कराने पहुंचे हैं। इसमें 10 फीसद एड्स के पॉजिटिव मरीज मिलते हैं। इसकी जांच व इलाज की सुविधा मुफ्त में उपलब्ध है। जागरूकता की वजह से लोग इसकी जांच करा रहे हैं, जिससे रोगी सामने आ रहे हैं। सही समय पर एचआइवी की जांच होने से रोगी एक सामान्य इंसान की तरह जिंदगी जी सकता है। भारत में एड्स के कारण होने वाली मौतों की संख्या में 22 फीसद की कमी दर्ज की गई है।
एड्स क्या होता है?
आप किसी एचआइवी पॉजिटिव व्यक्ति को तबतक एड्स ग्रस्त रोगी नहीं कह सकते हैैं, जबतक एचआइवी वायरस व्यक्ति के शरीर पर पूरी तरह से हमला न बोल दें। इस पूरी प्रक्रिया में करीब आठ से दस साल का समय लगता है। दरअसल, एचआइवी के शरीर में दाखिल होने के बाद शरीर की प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है और शरीर पर कई तरह की बीमारियां और इंफेक्शन पैदा करने वाले वायरस अटैक करने लगते हैैं।
सामान्य बीमारी की तरह ही होता एचआइवी का लक्षण
एचआइवी का लक्षण सामान्य बीमारी की तरह ही होता है। इस कारण से बीमारी की पहचान करने में देरी होती है। एचआइवी के लक्षण में बुखार, मुंह में छला पडऩा, वजन कम होना, उल्टी, दस्त, रात में पसीना आना सहित अन्य शामिल है। ये सारे लक्षण सामान्य बीमारी में भी होते हैं।
एचआइवी, एड्स के पांच कारण
- एचआइवी पॉजिटिव पुरुष या महिला के साथ असुरक्षित सेक्स करना। देश में एड्स के जो भी मामले हैैं, उनमें से 86 फीसद असुरक्षित सेक्स संबंधों की वजह से हैैं।
- एचआइवी संक्रमित खून चढ़ाने से भी होता है। इसकी वजह से एड्स होने के मामले 2.57 फीसद हैैं।
- एचआइवी पॉजिटिव महिला से पैदा हुए बच्चे में। बच्चा होने के बाद एचआइवी ग्रस्त मां के दूध पिलाने से भी ये वायरस फैल सकता है।
- खून के सैैंपल लेने या खून चढ़ाने में डिस्पोजेबल सिङ्क्षरज (सिर्फ एक ही बार इस्तेमाल में आने वाली सुई) न यूज करने से या फिर स्टरलाइज किए बिना निडिल और सिङ्क्षरज यूज करने से। 1.97 फीसद मामलों में इसकी वजह से एड्स होता है।
ये कहते विशेषज्ञ
एड्स छुआछूत की बीमारी नहीं है। कोई भी व्यक्ति हेल्पलाइन नंबर 1097 पर फोन पर इस मामले में जानकारी हासिल कर सकता है।
- डॉ. पीएन मिश्रा, फिजिशियन, एमजीएम अस्पताल।
मरीजों को प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। एड्स मरीजों को किसी भी हालत में दवा नहीं छोडऩी चाहिए।
- डॉ. पी. सरकार, विभागाध्यक्ष, मेडिसीन, एमजीएम।