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टाटानगर से तीन और आक्सीजन एक्सप्रेस रवाना, 120 टन लिक्विड मेडिकल आक्सीजन लेकर पहुंचेगी इन शहरों में

दक्षिण पूर्व रेलवे लगातार उन राज्यों को संजीवनी के रूप में आक्सीजन एक्सप्रेस रवाना कर रही है जहां इसकी किल्लत है। शुक्रवार को टाटानगर से दो आक्सीजन ट्रेन कर्नाटक के बेंगलुरू को 120 टन जबकि उत्तर प्रदेश के कानपुर को 40 टन भेजा गया है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 14 May 2021 09:19 PM (IST)Updated: Fri, 14 May 2021 09:19 PM (IST)
टाटानगर से तीन और आक्सीजन एक्सप्रेस रवाना, 120 टन लिक्विड मेडिकल आक्सीजन लेकर पहुंचेगी इन शहरों में
दक्षिण पूर्व रेलवे 23 अप्रैल से लगातार आक्सीजन ट्रेन का संचालन कर रहा है।

जमशेदपुर, जासं। दक्षिण पूर्व रेलवे लगातार उन राज्यों को संजीवनी के रूप में आक्सीजन एक्सप्रेस रवाना कर रही है जहां इसकी किल्लत है। गुरुवार की मध्य रात्रि को टाटानगर रेलवे स्टेशन से उत्तराखंड की राजधानी देहरादून को दूसरा आक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन भेजा गया। इस ट्रेन में 20-20 क्षमता वाले छह टैंकर लोड थे जिसमें 120 टन लिक्विड मेडिकल आक्सीजन भेजा गया।

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जबकि शुक्रवार दोपहर टाटानगर से दो आक्सीजन ट्रेन कर्नाटक के बेंगलुरू को 120 टन जबकि उत्तर प्रदेश के कानपुर को 40 टन भेजा गया है। वहीं, दक्षिण पूर्व रेलवे ने राउरकेला स्टेशन से तमिलनाडु के चेन्नई के निकट स्थित तिरुवल्लुर एक आक्सीजन एक्सप्रेस रवाना किया गया। गुरुवार देर रात रवाना किए गए इस आक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन में दो टैंकर लोड थे जिनमें 31.40 टन लिक्विड आक्सीजन लोड था। दक्षिण पूर्व रेलवे प्रबंधन का कहना है कि 23 अप्रैल से हम लगातार आक्सीजन ट्रेन का संचालन कर रहे हैं। अभी तक हम पूरे जोन से 57 आक्सीजन ट्रेन देश के सात राज्यों व एक केंद्र शासित प्रदेश को भेज चुके हैं। अब तक हम 3477 टन लिक्विड मेडिकल आक्सीजन की सप्लाई कोरोना मरीजों की जान बचाने के लिए कर चुके हैं।

इन राज्यों को आक्सीजन पहुंचा चुकी ट्रेन

दक्षिण पूर्व रेलवे ने अब तक उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, उत्तराखंड, तेलंगाना, तमिलनाडु व दिल्ली को लिक्विड आक्सीजन बोकारो, टाटानगर व राउरकेला से भेज चुकी है। दक्षिण पूर्व रेल प्रबंधन का कहना है कि कर्मचारियों और अधिकारियों के समर्पण के कारण ही हम नियमित रूप से आक्सीजन एक्सप्रेस का संचालन कर पा रहे हैं। आक्सीजन एक्सप्रेस पहुंचने में कम से कम समय लगे इसके लिए ट्रेनों को ग्रीन कॉरिडोर से भेजा जा रहा है।


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