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ये हैं पूर्व आईएएस सुचित्रा सिन्हा जिन्‍हें मां कहकर पुकारते हैं लुप्‍तप्राय सबर जनजाति के बच्‍चे Jamshedpur News

सबर बस्तियों के बच्‍चों को पलाश के फूल कार्यक्रम के माध्यम से कर रही जागरूक 71 बच्‍चों को उपलब्‍ध करा रहीं भोजन।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 06:23 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 10:04 AM (IST)
ये हैं पूर्व आईएएस सुचित्रा सिन्हा जिन्‍हें मां कहकर पुकारते हैं लुप्‍तप्राय सबर जनजाति के बच्‍चे  Jamshedpur News
ये हैं पूर्व आईएएस सुचित्रा सिन्हा जिन्‍हें मां कहकर पुकारते हैं लुप्‍तप्राय सबर जनजाति के बच्‍चे Jamshedpur News

नीमडीह (सुधीर गोराई)। यह सकारात्‍मक परिणाम है भारतीय प्रशासनिक सेवा के उस अधिकारी का जिसने अपने सेवाकाल के दौरान किए गए अनुभवों के आधार पर समाज के लिए कुछ कर गुजरने की ठानी थी। नाम है सुचित्रा सिन्‍हा। इस सेवानिवृत्‍त अधिकारी को सरायकेला खरसावां जिले के दर्जनों पिछड़े गांवों के बच्‍चे मां कहकर बुलाते हैं। इतना ही नहीं, तमाम बस्तियों में इसके चित्र भी टंगे मिल जाएंगे। 

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सेवा की जज्बा दिल में हो तो उम्र का तकाजा कदम नहीं रोक सकता। उक्त कहावत को चरितार्थ कर रही हैं यह सेवानिवृत्‍त आईएएस। निबंधक, सहकारी समितियां झारखंड सरकार के पद पर आसीन रहीं। इनकी छवि  एक ईमानदार अधिकारी के रूप में रही है।  भारतीय प्रशासनिक सेवा में रहकर उनके दिल में जो सेवा भावना जागृत हुई तो वह सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी कायम है। 

लुप्‍तप्राय जनजाति के 71 बच्‍चों को भोजन उपलब्‍ध करा रही 'पलाश के फूल'

सबर जातियों से उनके दिल से लगाव को दर्शाती है सरकारी सहायता के बिना प्रायोजकों के सहयोग से " पलाश के फूल" कार्यक्रम के माध्यम से 71 बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना, साफ स्वास्थ्य और शिक्षा के प्रति जागरूक करना ही संस्‍था का लक्ष्‍य है। इस एक वर्षीय योजना की शुरुआत विगत पांच जून को शुरू किया गया।

मां कहकर पुकारते हैं सैकड़ों सबर परिवार के बच्‍चे

सुचित्रा सिन्‍हा वे भारतीय नारी के सेवा भावना का एक मिसाल भी है। सरायकेला खरसावां जिला के नीमडीह प्रखंड अंतर्गत भंगाट, माकुला, बुरुडीह, समनापुर, बिंदुबेड़ा आदि गांव के लुप्तप्राय आदिम जनजाति (सबर) के सैकड़ों परिवार के सदस्य उन्हें नाम से नहीं मानव सभ्यता के सबसे अनमोल शब्द " मां "के नाम से जानते हैं और पुकारते भी हैं। नीमडीह प्रखंड के सभी सबर बस्ती के घरों के दीवार में सुचित्रा सिन्हा का फोटो लगा कर रखा है।यह तस्वीर श्रीमती सिन्हा के प्रति सबर जाति के सम्मान को दर्शाता है।

विदेशी नागरिक भी कर रहे सहयोग

पलाश के फूल कार्यक्रम में सबर बच्चों के जीवन सुधारने के लिए अमेरिका के वर्जिनिया के एक, सैन फ्रांसिस्‍को के दो, इंग्लैंड के चार, ऑस्ट्रेलिया के दो, शेफील्ड के निवासी एक बच्चों व बाकि बच्चों का खर्च का सुचित्रा सिन्हा व भारत के प्रायोजक निर्वहन करते हैं। प्रथम माह प्रति बच्चे 22 सौ रुपये खर्च आया, दूसरे माह से प्रति बच्चे 1650 रुपये खर्च हो रहा है। 

उच्च जीवनशैली की सीख देना है  उद़देश्‍य : सुचित्रा सिन्हा

कार्यक्रम की संयोजक सुचित्रा सिन्हा ने बताया कि सबर बच्चे कुपोषण और कई बीमारियों के शिकार होते हैं, उनके शारीरिक व मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है। उन्होंने कहा कि अभी कोरोना के संक्रमण से बच्चों को बचाना भी एक चुनौती है, बच्चे उच्च जोखिम वर्ग में है। सबर बच्चों को पौष्टिक आहार, स्वास्थ्य स्वच्छता व साफ रखने तथा उच्च जीवनशैली की सीख देने के उद्देश्यों से पलाश के फूल कार्यक्रम शुरू किया गया।


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