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Coronavirus Lockdown Effect : कारोबार‍ियों की हालत हुई पतली, इस बार दुर्गापूजा में भी नहीं होगी कमाई

Coronavirus Lockdown Effect. कोरोना की वजह से अनलॉक-5 तो हो गया लेकिन दुर्गापूजा में बड़े पंडाल नहीं बनाने और मेला नहीं लगाने के आदेश ने उन हजारों-लाखों लोगों की उम्मीद तोड़ दी है जो छह माह से दुर्गापूजा का इंतजार कर रहे थे।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 06 Oct 2020 12:41 PM (IST)Updated: Tue, 06 Oct 2020 02:44 PM (IST)
Coronavirus Lockdown Effect : कारोबार‍ियों की हालत हुई पतली, इस बार दुर्गापूजा में भी नहीं होगी कमाई
इस बार दुर्गा पूजा में उन लोगों को निराशा हाथ लगेगी जो कारोबार को लेकर इंतजार करते थे।

जमशेदपुर, जासं। कोरोना की वजह से अनलॉक-5 तो हो गया, लेकिन दुर्गापूजा में बड़े पंडाल नहीं बनाने और मेला नहीं लगाने के आदेश ने उन हजारों-लाखों लोगों की उम्मीद तोड़ दी है, जो छह माह से दुर्गापूजा का इंतजार कर रहे थे। पहले भी पूजा की कमाई से इनके साल भर की अतिरिक्त कमाई हो जाती थी, लेकिन इस बार इनकी उम्मीद भी टूट गई है। इनका कहना है कि जब पंडाल ही नहीं बनेंगे, बड़ी मूर्ति ही नहीं लगेगी और भोग भी नहीं बंटेंगे, तो किस बात की रौनक। इसी रौनक या डेकोरेशन पर उनका कारोबार चलता था। साल भर का घाटा पूरा हो जाता था। हमारे लिए तो यही बोनस था।आइए देखें, क्या कहते हैं कारोबारी।

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पंडाल डेकोरेटर

पिछले वर्ष दुर्गापूजा के तीन पंडालों व सजावट का पूरा आर्डर मिला था, लेकिन इस वर्ष अब तक एक भी आर्डर नहीं मिला है। कोरोना वायरस के कारण शादी-ब्याह या किसी तरह का धार्मिक आयोजन पहले से ही नहीं हो रहा है। ऐसे में कर्मचारियों को बैठाकर वेतन देना हमारी मजबूरी है, क्योंकि पंडाल निर्माण के कारीगर बार-बार नहीं मिलते। देश में तेजी से अनलॉक हो रहा है, जिसमें धीरे-धीरे सारे व्यवसाय को काम मिल रहा है। इसके बावजूद टेंट हाउस संचालकों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है। छह माह से काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

-खेम चंद, संचालक, श्री मां डेकोरेटर, साकची

सरकार के निर्देश के कारण इस बार पूजा समितियों के पंडाल का बजट भी घट गया है। पहले नए कपड़े के साथ एक पंडाल का खर्च 60 से 70 हजार रुपये होता था। लेकिन अब पूजा समितियां 20 गुना 40 फुट के छोटे पंडाल बनाने की बात कह रहे हैं। इससे हमें आमदनी कम और खर्चा ज्यादा हो जाएगा, क्योंकि कारीगर को तो हमें पूरा वेतन देना होगा। ऐसे में इस दुर्गा पूजा में हमें कोई आमदनी होती नहीं दिख रही है, लेकिन मेहनत पूरा करना होगा।

- ओमप्रकाश सिंह, महासचिव, जमशेदपुर टेंट एंड डीलर वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन

साउंड-लाइट

सरकारी आदेश के इंतजार में साउंड-लाइट को हो चुका करोड़ों का नुकसान50 से अधिक लाइट-साउंड वाले हैं शहर में, स्थिति दयनीय- कोरोना वायरस के कारण सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन के कारण साउंड-लाइट वालों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। लौहनगरी में 50 से अधिक लाइट व साउंड के व्यवसायी हैं, जिन्हें छह माह में करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका। एक साल में औसतन 10 लाख का व्यापार करते हैं तो पांच करोड़ का कारोबार अब तक प्रभावित हो चुका है। इस व्यवसाय से जुड़े इंदिरा लाइट एंड साउंड के मालिक अमन भमरा का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से अप्रैल का सीजन तो बर्बाद हो ही गयी है, अब दुर्गापूजा भी लगभग बर्बाद हो गया। अब तक उनका 10 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है।

15 लाख का नुकसान हो चुका 

साकची स्थित चंदन इवेंट के मालिक गुरप्रीत सिंह कहते हैं कि इतना नुकसान हो चुका है कि निकट भविष्य में इसकी भरपाई संभव नहीं है। 22 मार्च से उनके पास लाइट साउंड की काफी बुकिंग हो चुकी थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण सभी कार्यक्रम रद हो गए। मजबूरी में हमें सबका पैसा लौटाना पड़ा। अब तक मेरा 15 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है। इसमें तो शादी से संबंधित आठ लाख रुपये का कार्ड छप कर बेकार पड़ा है।

सरकार को शादी के लिए छूट देनी चाहिए

 हिंदुस्तान लाइट एंड साउंड के मालिक सर्वदीप कहते हैं कि मार्च का सीजन तो खराब हो गया। अब घर से चार लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। दुर्गा पूजा में दो स्थान पर साउंड व लाइट का काम करते थे, इस बार कहीं से कोई आर्डर नहीं आया। सरकार को शादी पार्टी में छूट देना चाहिए, ताकि लाइट एंड साउंड, सजावट, बैंड, डीजे में कार्य करने वाले को राहत मिल सके।

स्थिति पूरी तरह दयनीय हो गयी

 मानगो बालुगुमा स्थित पार्वती साउंड एंड लाइट के मालिक सामू मार्डी कहते हैं कि कोरोना ने घर की रोजी रोटी पर ग्रहण लगा दिया। अब तक उन्हें सात लाख रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। परमानेंट कर्मचारी को पांच माह तक वेतन दिया, इस आशा में कि अब सरकार कार्यक्रम की इजाजत देगी। लेकिन यही आशा का परिणाम रहा कि घर से नुकसान उठाना पड़ा। अब इसकी भरपाई कई सालों तक नहीं हो सकेगी। सरकार को हम लाइड साउंड व डेकोरेटर संचालक की ओर ध्यान देना चाहिए।

दुर्गोत्सव पर कुम्हारों के चेहरों पर छाई उदासी

 कुम्हारों के लिए दुर्गा पूजा एक ऐसा त्योहार है, जब उन्हें अपने मेहनत की कमाई का पैसा मिलता है, लेकिन इस बार दुर्गोत्सव पर कुम्हारों के चेहरों पर उदासी छाई हुई है। इसके पीछे का वजह पहले कोरोना को लेकर दुर्गोत्सव के लिए सरकार का गाइडलाइन है। लौहनगरी में चार सौ से अधिक स्थानों में दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है। दुर्गोत्सव के दौरान लगभग सभी पूजा पंडालों और मंदिरों में श्रद्धालुओं के लिए भोग का वितरण किया जाता है। बड़े पूजा पंडालों में तीन दिनों में 15 से 18 हजार और छोटे पंडालों में पांच से सात हजार हंडी भोग का वितरण किया जाता है। एक अनुमान के मुताबिक दुर्गोत्सव के दौरान भोग वितरण के लिए शहर में करीब 15 लाख मिट्टी की हंडी पूजा आयोजन समितियों की ओर से मंगाया जाता है।

गाइडलाइन ने छीन लिया रोजगार

ललन प्रसाद ने बताया कि दुर्गापूजा को लेकर सरकार के जारी गाइडलाइन ने कुम्हारों का रोजगार छीन लिया है। पूजा के दौरान भोग वितरण की मनाही होने के कारण किसी भी कुम्हार को हंडी का आर्डर नहीं मिला है। सोनी देवी ने बताया कि शहर के बाराद्वारी, मानगो, डांगा, सोनारी, भालूबासा, परसुडीह, कदमा, टेल्को समेत अन्य कई क्षेत्र में कुम्हार मिट्टी के बर्तन बनाते हैं। शारदीय नवरात्र के दौरान कुम्हारों की कमाई अधिक होती है। इस वर्ष कोरोना महामारी को लेकर सरकार की गाइडलाइन ने कुम्हारों का रोजगार छीन लिया है।

फूल कारोबार

नहीं बिखरेगी दो करोड़ की खुशबू 

 शारदीय नवरात्र के दौरान नौ दिनों तक खुशबूदार फूलों की सुगंध से वातावरण महकता रहता था। पंडालों और मंचों की सजावट के साथ अतिथियों के स्वागत के लिए बुके और पूजा के लिए नौ दिनों तक रोज फूलों की आवश्यकता पड़ती है। नवरात्र के दौरान एक-एक दुकानों से करीब 10 से 15 हजार रुपये की खरीदारी होती थी। पूरे शहर में एक से अधिक फूलों की दुकान है। फुटपाथ में अलग से फूलों की बिक्री होती है। बिष्टुपुर बाजार स्थित रोज गैलेरी के संचालक शमशेर ने बताया कि इस बार कोरोना महामारी ने फूल व्यवसाय को करारा झटका दिया है। ऊपर से सरकार का गाइडलाइन। इस बार पंडाल ही नहीं बनेंगे तो सजावट कहां से होगी। कार्यक्रम ही नहीं होंगे तो अतिथि कहां से आएंगे। ऐसे में फूल बाजार पर भी इसका असर पड़ेगा। उन्होंने बताया कि वाहन नहीं चलने के कारण बाहर से फूल भी नहीं आ रहे हैं। नवरात्र के दौरान इस बार पूजा के लिए आवश्यकता के अनुसार फूलों की मांग होगी। ऐसे में शहर के व्यवसायियों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा।

सब्जी बाजार

सब्जी बाजार पर भी पड़ेगा गाइडलाइन का असर

दुर्गापूजा को लेकर सरकार के गाइडलाइन का असर सब्जी बाजार पर भी पड़ेगा। पूजा पंडालों से वितरित होने वाले भोग के लिए बाजार में सब्जी की मांग बढ़ जाती है। साकची बाजार के कारोबारी अमृत ने बताया कि पूजा के दौरान बड़े पंडालों में 15 हजार तक की सब्जी की खरीदारी की जाती थी। वहीं छोटे पंडाल वाले करीब आठ हजार की सब्जी खरीदते थे। पूजा के दौरान भोग वितरण के लिए पूरे शहर में करीब एक करोड़ रुपये की सब्जी की खरीदारी होती थी। इस बार कोरोना महामारी को लेकर सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के कारण नवरात्र में सब्जी बाजार पर भी बुरा असर पड़ेगा। पंडालों में भोग वितरण नहीं होने से सब्जी की खरीदारी नहीं होगी। ऐसे में सब्जी बिक्रेताओं को नुकसान उठाना पड़ेगा। दुर्गा पूजा में भोग का विशेष महत्व रहता है। सरकार को अपने गाइडलइन में संशोधन करते हुए आवश्यक सुधार करना चाहिए।

भोग वितरण

दुर्गोत्सव में भोग के लिए बिकता है एक करोड़ का राशन

दुर्गापूजा के दौरान भोग वितरण के लिए एक करोड़ रुपये से अधिक का राशन मंगाया जाता था। इस बार भोग नहीं बनने से राशन दुकानों से सामग्री की बिक्री नहीं होगी, जिससे दुकानदारों की कमाई भी नहीं होगी। राशन दुकानदार सरदार सरनजीत सिंह ने बताया कि बड़े-बड़े पूजा समितियों द्वारा भोग के लिए करीब 25 हजार रुपये की राशन सामग्री खरीदारी की जाती थी। छोटे पूजा की समिति भी करीब 15 हजार की राशन सामग्री लेती थी। शहर में लगभग सभी पूजा पंडालों में भोग का वितरण किया जाता है। इस बार कोरोना महामारी के लिए सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन में भोग वितरण पर पाबंदी लगाई गर्ई है। ऐसे में दुर्गा पूजा कमेटियों में भोग का वितरण नहीं होगा। भोग वितरण नहीं होने से राशन सामग्रियों की बिक्री भी नहीं होगी। इसका असर सीधे राशन दुकानदारों की कमाई पर पड़ेगा।

पेट्रोल-डीजल

अष्टमी से दशमी तक हर रोज बिकते थे करीब तीन लाख लीटर पेट्रोल-डीजल

लॉकडाउन में पेट्रोल पंप तो खुले थे, लेकिन स्कूल-कालेज, शादी-ब्याह, होटल-सिनेमा आदि बंद रहने से इनका कारोबार भी काफी प्रभावित हुआ। सीएच एरिया स्थित पेट्रोल पंप के मालिक आलोक सिंह बताते हैं कि लॉकडाउन में हमारी सेल 10 फीसद हो गई थी। दुर्गापूजा की बात पर कहा कि अष्टमी से दशमी तक चार दिन पेट्रोल-डीजल की बिक्री डेढ़ से दोगुनी हो जाती थी, जो इस बार नहीं होगा। शहर में 36 पेट्रोल पंप हैं, जिसकी औसत बिक्री प्रतिदिन पांच हजार लीटर होती है। इस हिसाब से दुर्गापूजा में हर रोज शहर में करीब तीन लाख लीटर पेट्रोल-डीजल की बिक्री होती थी। इस बार दुर्गापूजा पर ना बड़े पंडाल बनेंगे, ना मेला लगेगा। इसका सीधा असर पेट्रोल-डीजल की बिक्री पर भी पड़ेगा। सिंह बताते हैं कि अभी भी हमारी बिक्री 60-70 फीसद हो रही है, क्योंकि स्कूल-कालेज, होटल-सिनेमा समेत मनोरंजन के तमाम स्थल बंद हैं। इसकी वजह से गाड़ियों की आवाजाही कम हो रही है। अब घर से वही लोग निकल रहे हैं, जिन्हें बहुत जरूरी काम है। बेवजह कोई नहीं घूम रहा है। देर रात को गाड़ियां नहीं के बराबर चल रही हैं।


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